Menu Close

ज्ञानवापी के व्‍यास तहखाने में पूजा जारी रहेगी, इलाहाबाद उच्च न्यायालय का बडा फैसला

प्रयागराज : वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के व्‍यास तहखाने में पूजा जारी रहेगी। आज इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बड़ा फैसला सुना दिया है। पिछली सुनवाई 15 फरवरी को हुई थी, उसके बाद निर्णय सुरक्षित रखा गया था। सुनवाई के बाद ऑर्डर में न्यायालय ने हिंदू पक्ष के वकील से लिखित में दलीलें दाखिल करने को कहा था। इसके लिए न्यायालय ने 48 घंटे का समय दिया था। ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाना में हो रही पूजा मामले पर न्यायालय के फैसले का मुस्लिम पक्ष और हिंदू पक्ष के साथ ही सभी लोगों को बेसब्री से प्रतिक्षा थी।

सोमवार को इस मामले में उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका खार‍िज कर दी। इसमें हिंदू पक्ष को पूजा करने के अधिकार देने वाले जिला न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इस फैसले से मुस्लिम पक्ष को झटका लगा है।

15 फरवरी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की न्यायालय में मुस्लिम पक्ष-अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई थी। हिंदू पक्ष को वाराणसी जिला जज ने अनुमति दे दी थी। इसी आदेश को मुस्लिम पक्ष ने चुनौती दी थी। इस मामले में 2 फरवरी को पहली सुनवाई हुई थी। इसमें न्यायालय ने अगली सुनवाई की डेट 6 फरवरी लगाई थी, फिर 7 फरवरी और आगे 12 फरवरी की डेट पर सुनवाई हुई। इसके बाद अगली सुनवाई की डेट 15 फरवरी लगी थी।

न्यायालय ने 15 फरवरी को न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला रिजर्व रख लिया था। शाम को जब वेबसाइट पर फैसला अपलोड हुआ तो पता चला कि, न्यायालय ने हिंदू पक्ष से भी लिखित में दलील दाखिल करने का आदेश दिया है।

जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की न्यायालय में हिंदू पक्ष ने लिखित दलीलें दाखिल की हैं। इसका अध्‍ययन करने के बाद अब सोमवार को न्यायालय का फैसला आ गया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की न्यायालय में अपीलकर्ता मुस्लिम पक्ष की तरफ से लिखित दलीलें पहले ही दाखिल की गई थीं। इनको न्यायालय ने रिकॉर्ड पर लिया है, हिंदू पक्ष से भी लिखित दलील दाखिल करने को कहा है।

स्रोत : नवभारत टाइम्स


2 फरवरी

ज्ञानवापी मामला : ‘व्यास जी तहखाना’ में पूजा पर रोक लगाने से उच्च न्यायालय का इनकार

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (2 फरवरी 2024) को वाराणसी के ज्ञानवापी ढांचे में हिंदू पक्ष को दिए गए पूजा के अधिकार पर रोक लगाने से मना करते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी। दरअसल, वाराणसी की जिला अदालत ने 31 जनवरी को 2024 पर हिंदू पक्ष की अपील पर सुनवाई करते हुए यह अधिकार दिया था। इसके बाद से वहाँ पूजा शुरू हो गई है। वहीं, इसके विरोध में मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी बंद का आह्वान किया है।

न्यायालय ने कहा कि जब तक 17 जनवरी के आदेश को चुनौती नहीं दी जाती, तब तक मस्जिद कमिटी की चुनौती पर सुनवाई करना संभव नहीं होगा। न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष को जिला अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका में संशोधन करने के लिए 6 फरवरी 2024 तक का समय दिया है। वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार को ज्ञानवापी क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कहा गया है।

मस्जिद समिति की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने कहा, “मामले में अतिशीघ्रता है। उन्होंने (हिंदू पक्ष) पहले ही व्यास तहखाना (दक्षिणी तहखाने) में पूजा शुरू कर दी है।” नकवी ने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट को तहखाने में पूजा शुरू कराने के लिए सात दिन का समय दिया गया था, लेकिन उन्होंने 7 घंटे में पूजा शुरू करवा दी।

नकवी के तर्क का विरोध हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने किया। उन्होंने कहा कि जब तक मुस्लिम पक्ष 17 जनवरी के आदेश को चुनौती नहीं देता, तब तक 31 जनवरी के आदेश को चुनौती नहीं दी जा सकती है। इसके बाद उच्च न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष को राहत देने से इनकार कर दिया।

स्रोत : ऑप इंडिया


1 फरवरी

ज्ञानवापी में व्यास जी के तहखाने में हुआ पूजा का आरंभ, श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

वाराणसी जिला अदालत द्वारा हिंदुओं को ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहखाने में पूजा का अधिकार दिये जाने के चंद घंटे बाद बुधवार देर रात तहखाने को खोलकर उसकी साफ सफाई की गई और फिर वहां पूजा की गई। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष नागेंद्र पांडेय ने बृहस्पतिवार को बताया कि जिला अदालत के आदेश के बाद व्यास जी के तहखाने में पूर्व की तरह अब पूजा पाठ नियमित किया जाएगा।

ज्ञानवापी में व्यास जी के तहखाने में पूजा-अर्चना के बाद आम श्रद्धालुओं ने भी पुलिस की मौजूदगी में दर्शन किए हैं। वहीं इस मामले को लेकर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा ”ज्ञानवापी मामले में यह एक बड़ा घटनाक्रम है। ‘व्यास जी के तहखाने’ में पहले भी पूजा होती थी। नवंबर 1993 के बाद इसे गलत तरीके से बंद कर दिया गया कोई बिना लिखित आदेश के, बिना किसी लिखित आदेश के पूजा रोक दी गई और बैरिकेड्स लगा दिए गए। कल ‘व्यास जी का तहखाना’ में पूजा की गई।”

मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय का सुनवाई से इनकार, कहा- उच्च न्यायालय जाइए

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिला जज न्यायालय की ओर से हिंदू पक्ष को व्यासजी तहखाने में पूजा का अधिकार दिया गया। इसके बाद मुस्लिम पक्ष एक्टिव हुआ। ज्ञानवापी मस्जिद की संचालक अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद आधी रात को सर्वोच्च न्यायालय पहुंची। ज्ञानवापी मस्जिद के व्यासजी तहखाने में पूजा को रोकने की मांग की गई। अहले सुबह करीब 3 बजे मुस्लिम पक्ष की याचिका पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई की। उन्होंने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए तत्काल कोई राहत देने से इनकार कर दिया। मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जाने का आदेश दिया गया।

स्रोत : नवभारत टाइम्स


31 जनवरी

ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की बडी जीत, व्यास जी के तहखाने में मिला पूजा का अधिकार

वाराणसी – ज्ञानवापी केस में वाराणसी की जिला अदालत ने अब तक का सबसे बड़ा फैसला सुनाया है। न्यायालय ने व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा पाठ का आदेश दिया है। जिला प्रशासन को 7 दिन के अंदर यहां पूजा पाठ की व्यवस्था करने का आदेश दिया है।

ज्ञानवापी परिसर में दो तहखाने हैं। इसी के ऊपर ज्ञानवापी मस्जिद बनी है। एक तहखाना हिंदू पक्ष के पास था, जहां 1993 तक पूजा होती थी। लेकिन तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार ने यहां पूजा बंद करवा दी।

अब हिंदू पक्ष ने याचिका दायर कर मांग की है कि यहां पूजा की अनुमति दी जाए। न्यायालय ने एक दिन पहले सुनवाई पूरी करते हुए व्यास तहखाना कलेक्टर के सुपुर्द करने को कहा था। आज पूजा की अनुमति भी दे दी। न्यायालय के आदेश के मुताबिक यहां नियमित पूजा होगी। मुस्लिम पक्ष इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाएगा।

क्या है व्यास तहखाना

ज्ञानवापी परिसर में नंदी भगवान के ठीक सामने व्यास परिवार का तहखाना है। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन के मुताबिक, साल 1993 तक यहां पूजा होती थी, लेकिन नवंबर 1993 में अवैधानिक रूप में मुलायम सरकार की ओर से यहां पूजा पर पाबंदी लगा दी गई थी।

स्रोत : नई दुनिया


26 जनवरी

ज्ञानवापी मस्जिद बनने से पहले यहां एक हिन्दू मंदिर था : एएसआई की रिपाेर्ट हुई सार्वजनिक

वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) सर्वे रिपोर्ट की कॉपी हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष को मिल गई, इस सर्वे रिपोर्ट में तहखानों से सनातन धर्म से जुड़े सबूत मिलने का दावा किया जा रहा है। एएसआई सर्वे रिपोर्ट की कॉपी हिंदू पक्ष से वकील विष्णु शंकर जैन और मुस्लिम पक्ष के वकील अखलाख अहमद को मिली है। एएसआई सर्वे रिपोर्ट की कॉपी 839 पन्ने की है, ASI सर्वे ज्ञानवापी में 92 दिनों तक चला था।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस सर्वे रिपोर्ट में स्वस्तिक के निशान, नाग देवता के निशान, कमल पुष्प के निशान, घंटी के निशान, ओम लिखा हुआ निशान, टूटी हुई विखंडित हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां भारी संख्या में मिली हैं। इसके साथ ही मंदिर के टूटे हुए खंभों के अवशेष मिले हैं। वहीं GPRS द्वारा जो सर्वे हुआ है उसमें विखंडित शिवलिंग मिले हैं।

गुंबद के ऊपर भी स्टडी टीम ने की थी जांच 

इसके साथ ही फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी, थ्री डी इमेज और रासायनिक प्रकिया द्वारा किये गये सर्वे में भी सबूत मिले हैं। वहीं सभी साक्ष्य वैज्ञानिक परीक्षण के आधार पर संकलित किए गए थे। इन तीनों गुंबद के ऊपर भी स्टडी टीम ने जांच की थी, टीम ने वजूखाने को छोड़कर एक-एक जगह की बारीकी से जांच की थी। एएसआई की टीम अपने उच्चटेक इंस्ट्रूमेंट के जरिये परिसर में मिली कलाकृतियों और मूर्ति के कालखंड का पता लगाई थी।

तहखाने में मिले सनातन धर्म से जुड़े सबूत

इस सर्वे में विभिन्‍न बिंदुओं पर टेंपल आर्किटेक्‍ट सामने आए हैं। ज्ञानवापी के तहखाने में सनातन धर्म से जुड़े सबूत भी मिलने का दावा किया गया है। वहीं तहखाने के अंदर खंभों पर हिंदू धर्म से जुड़ी तमाम कलाकृतियां मिली हैं।

कई लिपियों में शिलालेख मिले – वकील विष्णु शंकर जैन

वहीं एएसआई की सर्वे रिपोर्ट को लेकर हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, “ASI ने कहा है कि वहां पर 34 शिलालेख हैं, जहां पर पहले से मौजूद हिंदू मंदिर के थे। जो पहले हिंदू मंदिर था उसके शिलालेख को पुन:उपयोग कर ये मस्जिद बनाया गया। इनमें देवनागरी, ग्रंथ, तेलुगु और कन्नड़ लिपियों में शिलालेख मिले हैं। इन शिलालेखों में जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर जैसे देवताओं के तीन नाम मिलते हैं।”

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *