परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का जन्मोत्सव

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी हिन्दू राष्ट्र के प्रखर समर्थक हैं । वर्ष १९९८ से परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ग्रंथसंकलन; सनातन प्रभात के लिए राष्ट्र और धर्म संबंधी लेखन करना; विविध संत, संप्रदाय, हिन्दुत्वनिष्ठ, देशभक्त और सामाजिक कार्यकर्ताआें का दिशादर्शन करना; ब्राह्मतेज से युक्त संत बनाना आदि माध्यमों से अथक रूप से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का कार्य कर रहे हैं । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के विचारों से प्रेरित होकर ७ अक्टूबर २००२ को हिन्दू जनजागृति समिति की स्थापना हुई । धर्मशिक्षा, धर्मजागृति, धर्मरक्षा, राष्ट्ररक्षा, हिन्दू-संगठन आदि द्वारा हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का कार्य करना, समिति का ध्येय है ।

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के लिए हिन्दू जनजागृति समिति का कार्य

हिन्दू धर्मजागृति सभा

समिति ने जनवरी २०१७ तक ७ भाषाआें में १३ राज्यों में १२२६ से अधिक धर्मजागृति सभाएं आयोजित की हैं । धर्मजागृति सभाआें में राष्ट्र और धर्म की वर्तमान स्थिति तथा उन पर उपाययोजना के संबंध में दिशादर्शन किया जाता है । इससे हिन्दू जागृत होते हैं तथा भविष्य में हिन्दू राष्ट्र स्थापना के उद्देश्य से विविध संगठनों के हिन्दुत्वनिष्ठ राष्ट्र और धर्म कार्य के लिए संगठित होते हैं । स्थान-स्थान पर युवकों ने तिलक लगाना, सात्त्विक वेशभूषा परिधान करना आदि धर्माचरण करना प्रारंभ कर दिया है ।

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राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन

राष्ट्रीय हिन्दू आन्दोलन, राष्ट्र एवं धर्म पर हो रहे आघातों के विरोध में जागृति और हिन्दुआें का संगठन करनेवाला उपक्रम । विविध स्थानीय हिन्दू संगठनों के प्रतिनिधि इस आंदोलन में सम्मिलित होते हैं । उनके विचार प्रस्तुत करते हैं तथा शासन और प्रशासन को निवेदन देते हैं । हस्ताक्षर अभियान चलाते हैं । इसलिए हिन्दुआें की न्यायिक मांगें और संगठित आवाज शासन तक पहुंचाने में सहायता होती है । राष्ट्रीय हिन्दू आन्दोलन हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को एकत्रित लानेवाला व्यासपीठ बन गया है ।

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हिन्दू अधिवेशन

अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन, हिन्दू राष्ट्र-स्थापना की दिशा में बढा गया पहला ऐतिहासिक चरण है । इस अधिवेशन का उद्देश्य है, पूरे देश के, हिन्दू राष्ट्र प्रेमी हिन्दुत्वनिष्ठों का संगठन करना तथा स्थानीय स्तर पर कार्यरत हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों में राष्ट्रीय स्तर पर धर्मरक्षा का विचार प्रबल करना । इससे हिन्दुत्व के कार्य को गति प्राप्त होती है । हिन्दू अधिवेशन हिन्दू राष्ट्र स्थापना का यज्ञकुंड है । इन अधिवेशनों की यह श्रृंखला भविष्य में एक नए इतिहास को निश्‍चित मोड देगी ।

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धर्मजागृति हेतु सार्वजनिक प्रदर्शनियां

समिति की ओर से सार्वजनिक धार्मिक उत्सव, मेले, धार्मिक कार्यक्रम, विवाह समारोह, राष्ट्रजागृति से संबंधित कार्यक्रम आदि स्थानों पर फलक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है । इस प्रदर्शनी में कश्मीरी हिन्दुआें की रक्षा, बांग्लादेशी हिन्दुआें की दुरावस्था, धर्मशिक्षा, धर्मरक्षा, राष्ट्ररक्षा, हिन्दू राष्ट्र, क्रांतिकारियों का स्मरण, लव जिहाद आदि विषयों पर धर्मजागृति फलकों का समावेश है । प्रदर्शनी के २०० से अधिक धर्मशिक्षा फलकों के संग्रह से पूर्ण समिति का ग्रंथ धर्मशिक्षा फलक उपलब्ध है ।

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देवता और राष्ट्रपुरुषों का अनादर रोकना

विडंबन से व्यक्ति के आस्था को ठेस पहुचती है ।देवता और राष्ट्रपुरुषों का अनादर रोकने हेतु समिति प्रबोधन अभियान तथा वैधानिक मार्ग से आंदोलन करती है । देवताआें का अनादर करनेवाली चित्र प्रदर्शनियां, नाटिकाआें का प्रस्तुतीकरण, कानूनी संघर्ष द्वारा विज्ञापन और जालस्थल द्वारा प्रबोधन कर २५० से अधिक अनादर रोके हैं । समिति के कार्यकर्ता स्थान-स्थान पर प्रबोधन कर उत्पादों के आच्छादन, पटिया (फर्श) आदि स्थानों पर होनेवाला देवताआें का अनादर रोकते हैं ।

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धर्मशिक्षा उपक्रम

हिन्दुओं की वर्तमान दु:स्थिति के पीछे धर्मरक्षा का अभाव यही मूल कारण है ! प्रत्येक हिन्दू में धर्माभिमान जागृत होने हेतु धर्मशिक्षा आवश्यक है । हिन्दुओं को धर्मशिक्षा देकर उसके द्वारा धर्माचरण कर उन्हें संगठित करने की आवश्यकता है। इसलिए हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा धर्मशिक्षा वर्ग का आयोजन किया जाता है । हिन्दुओं की भावी पीढी को सुसंस्कारित और धर्मशिक्षित बनाने के लिए हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से बालसंस्कारवर्ग लिए जाते हैं ।

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दूरदर्शन वाहिनियों द्वारा आयोजित चर्चासत्रों में सहभाग

हिन्दू धर्म का पक्ष प्रस्तुत करने के लिए महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा और देहली के दूरदर्शन वाहिनियों पर हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता नियमित सम्मिलित होते हैं । नेपाल की दूरदर्शन वाहिनियों तथा आकाशवाणी ने भी इस वर्ष हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी से भेंटवार्ता की है ।

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रणरागिणी

शौर्य एवं पराक्रम का स्वरूप है झांसी की रानी। किंतु, पाश्‍चात्त्यों का अंधानुकरण करने के कारण आज की महिलाएं उसे भूल गई हैं । अपनी स्वयं की रक्षा के लिए हरएक स्त्री को स्वसंरक्षण प्रशिक्षण प्राप्त कर रणरागिणी बनना चाहिए। साथ ही धर्माचरण कर धर्माभिमान भी वृद्धिंगत करना चाहिए। इस हेतु हिन्दू जनजागृति समिति प्रणित रणरागिणी की शाखा का आरंभ हुआ ।

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हिन्दू विधिज्ञ परिषद

‘हिन्दू विधिज्ञ परिषद’, ‘राष्ट्र एवं धर्म प्रेमी अधिवक्ताआें का स्वयंसेवी संगठन है । हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित प्रथम ‘‘अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन’ ’से प्रेरणा लेकर हिन्दुत्वनिष्ठ अधिवक्ताआें ने संगठित रूप से इस परिषद की स्थापना की । न्यायिक लडाइयाें के माध्यम से हिन्दअों को न्याय दिलवाने हेतु यह परिषद कार्यरत है ।

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अखिल मानवजाति का उद्धार !

‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना केवल हिन्दुओं के लिए ही नहीं अपितु संपूर्ण मानवजाति के लिए ही आवश्यक है । हिन्दू राष्ट्र अर्थात ‘आदर्श राष्ट्र’ ही है । इसलिए उसका लाभ भारत की जनता को तो होगा ही; परंतु साथ ही हिन्दू राष्ट्र के कारण विश्व में हिन्दू धर्म का प्रसार करना सरल होगा । इससे संपूर्ण मानव जाति को अध्यात्म एवं साधना ज्ञात होगी, जिससे उनकी आध्यात्मिक प्रगति मे भी सहायता होगी । फलस्वरूप पृथ्वी पर सात्त्विक वातावरण उत्पन्न होगा एवं संपूर्ण मानवजाति सुखी होगी !’ - परात्पर गुरु डॉ आठवले.

धर्माधारित हिन्दू राष्ट्र की स्थापना की ओर