दशम ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ को हिन्दुत्वनिष्ठों का स्वयंस्फूर्त प्रतिसाद !

इन्क्विजिशन’ के नामपर ईसाई मिशनरियों ने 250 वर्ष गोमंतकियों ने किए हुए अमानवीय और क्रूर अत्याचारों लिए ईसाई संस्था के प्रमुख पोप को गोमंतकियों की सार्वजनिक क्षमा मांगनी चाहिए । Read more »

हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के छठे दिन ‘विदेश के हिन्दुओं का रक्षण’ इस विषय पर उद्बोधन सत्र

नौकरी के निमित्त पश्चिमी देशों में जाने के कारण नेपाल में पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव बढ रहा है । इसलिए वहां अब हाथों से भोजन करना असभ्य समझा जाता है । Read more »

‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में संतों का दायित्व’ इस विषय पर दशम हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में उद्बोधन सत्र

जिनकी शारीरिक क्षमता है, वह देह से, बौद्धिक क्षमता है वह बुद्धि से, इस प्रकार सभी को स्वयं की क्षमता के अनुसार हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए योगदान देना आवश्यक है । Read more »

दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में ‘जाँबाज हिंदुस्थानी सेवा समिति’ की ओर से धर्मवीरों का सम्मान !

दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के व्यासपीठ पर ‘जाँबाज हिंदुस्थानी सेवा समिति’ के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महामंत्री और कोषाध्यक्ष ने इन धर्मवीरों को यह सम्मानचिन्ह प्रदान किया । Read more »

तृतीय हिन्दू राष्ट्र संसद में हिन्दू शिक्षापद्धति अपनाने पर हुआ विचारमंथन !

संसद के अधिकांश सदस्यों ने पाठ्यपुस्तकों में भारत का इतिहास बनानेवाले संतों, राष्ट्रपुरुष और क्रांतिकारियों का समावेश करने की मांग की । Read more »

दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में ‘हिन्दुओं की शिक्षा प्रणाली’ इस विषय पर विचारमंथन

एक अंग्रेज अधिकारी थॉमस मुन्रो के ब्योरे के अनुसार वर्ष १८२६ में दक्षिण भारत में १ लाख २८ सहस्र विद्यालय थे । जिनमें ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य विद्यार्थियों की मात्रा २५ प्रतिशत थी, जबकि शुद्र विद्यार्थियों की मात्रा ६५ प्रतिशत थी । Read more »

इस्लामी जिहाद के विरोध में निरंतर संघर्ष करना होगा – प.पू. यती चेतनानंद सरस्वती, महंत, डासना पीठ, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश

इस्लामी जिहाद से घबराकर रोने के स्थान पर उनके विरोध में लडना चाहिए । देहली में धर्मांधों द्वारा घडवाए दंगे, कश्मीर में हिन्दुओं की होनेवाली हत्या, ऐसी अनेक घटनाएं भारत में हो रही हैं । Read more »

मंदिर सामूहिक उपासना के केंद्र बनें; इसके लिए संगठितरूप से प्रयास करना आवश्यक – श्री. सुनील घनवट

मंदिर संस्कृति की रक्षा के लिए हमें अभी बहुत कार्य करना है । मंदिर चैतन्य के स्त्रोत हैं । आज मस्जिदों पर लगाए गए अवैध भोंपुओं के विरोध के रूप में ही क्यों न हो; परंतु मंदिरों में हनुमान चालिसा के पाठ होने लगे हैं । Read more »

किलों का रूपांतरण दर्गाह में न हो’; इसके लिए हिन्दुओं को संगठित होकर कार्य करना आवश्यक – मनोज खाडये

पहले तो किले पर मजार बनाई जाती है और उसके उपरांत उस पर चादर चढाई जाती है । कुछ महिने उपरांत उस स्थान पर उर्स मनाया जाता है । Read more »

सभी संतों और महात्माओं को मठ छोडकर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए कार्य करना चाहिए – पू. परमात्माजी महाराज, कर्नाटक

कर्नाटक में धारवाड के पू. परमात्माजी महाराज जी ने आवाहन किया कि, जब धर्म पर अधर्म बढ गया, तब भगवान परशुराम ने परशु धारण किया । ऐसे परशुराम को हमें अपना आदर्श मानना चाहिए । Read more »

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