‘राजनीतिक हिन्दुत्व’ नहीं, अपितु ‘सनातन धर्म से बंधा हुआ हिन्दुत्व’ ही देश को संगठित रख सकता है ! – श्री. चेतन राजहंस, सनातन संस्था

केवल ‘सनातन धर्म से बंधा हुआ हिन्दुत्व’ ही देश को संगठित रख कर उसे वैभव के शिखर तक पहुंचा सकता है ! एक राम मंदिर के निर्माण के लिए यदि इतना लंबा और व्यापक संघर्ष करना पडता हो, तो रामराज्य की स्थापना हेतु और कितने गुना प्रयास करने पडेंगे ? Read more »

साधना करने से ही धर्म की शक्ति का अनुभव होगा एवं धर्मकार्य में सफलता मिलेगी ! – श्री. कार्तिक साळुंके

हिन्दुआें को विभाजित करने का एक बडा षड्यंत्र रचा जा रहा है ! हिन्दू समाज में जाकर हिन्दुआें का वैचारिक उद्बोधन करना, यही इस समस्या का एकमात्र समाधान है। जब भारत को स्वतंत्रता मिली, तब भारत में लगभग ५५० जातियां थीं, जो अब बढकर ५ सहस्र से भी अधिक हो चुकी हैं ! Read more »

नेपाल एवं भारत पर थोपा गया वर्तमान का लोकतंत्र एक प्रकार की ‘सह-तानाशाही’ (Co-dictatorship) है ! – सदगुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी

हमें, ‘धर्मनिरपेक्षता एवं लोकतंत्र’ का पाठ पढ़ानेवाले इन देशों में आज भी ‘हाऊस ऑफ लॉर्ड्स’ एवं ‘हाऊस ऑफ कॉमन्स’ है और ईसाई धर्म उनके देश का आधिकारिक धर्म है ! तो उन्हें हमारा हिन्दू राष्ट्र क्यों नहीं पसंद आता ?, इस पर चिंतन आवश्यक है ! Read more »

व्यक्तिगत जीवन में आनंद एवं त्याग पर आधारित ‘हिन्दू राष्ट्र’ निर्माण हेतु साधना का बल आवश्यक ! – श्री. मनोज खाडये, हिन्दू जनजागृति समिति

धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष इन ४ पुरुषार्थों में से अर्थ एवं काम प्रारब्धाधीन हैं, तो धर्म एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए क्रियमाण की आवश्यकता होती है; परंतु मनुष्य अपने संपूर्ण जीवन में केवल अर्थ एवं काम के लिए ही क्रियमाण का उपयोग कर धर्म एवं मोक्ष को प्रारब्ध पर सौंप देता है ! Read more »

‘धर्मनिरपेक्षता’ हिन्दुआें के धार्मिक अस्तित्व को ही मिटाने का षड्यंत्र ! – श्री. मनोज खाडये, हिन्दू जनजागृति समिति

हिन्दुआें को यह समझ लेना चाहिए कि संविधान में ‘धर्मनिरपेक्षता’ यह शब्द घुसेड़ कर हिन्दुआें के धार्मिक अस्तित्व को ही मिटाने का यह षड्यंत्र था ! हिन्दू जनजागृति समिति के पश्‍चिम महाराष्ट्र, कोंकण, साथ ही गुजरात राज्य के समन्वयक श्री. मनोज खाडये ने ऐसा प्रतिपादन किया। Read more »

असफल सिद्ध हुए लोकतंत्र के स्थान पर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना यही एकमात्र विकल्प ! – श्री. कार्तिक साळुंके

प्राचीन काल में राजा यदि अयोग्य आचरण करता हो, तो एेसे राजा काे हटाने का अधिकार जनता को था; परंतु आजकल चुने हुए शासनकर्ता चाहे कितना भी अयोग्य आचरण करें, फिर भी हम उन्हें ५ वर्षोंतक हटा नहीं सकते ! Read more »

राष्ट्र के उत्कर्ष का समष्टि दायित्व ब्राह्मणों का है ! – सदगुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी

ब्राह्मण वर्ण चारों वर्णों का प्रतिनिधित्व करता है। सभी वर्णों की क्षमता उसमें रहती है। जो व्यक्ति चारों वर्णों को समाविष्ट करते हुए उससे एकरूप होकर विराट समाजपुरुष का एक संगठित अंग निर्माण नहीं कर सकता, क्या उसे ब्राह्मण कह सकते हैं ? Read more »

‘हिन्दू राष्ट्र’ में ही तीर्थस्थलों को उर्जितावस्था प्राप्त होगी ! – सदगुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी

वर्तमान में धर्मसंस्थापना हेतु अर्थात ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने हेतु कार्य करना यही गंडकी माता, भगवान हिमालय एवं ईश्वर की आज्ञा होने के कारण सभी को इस कार्य में सक्रिय होना चाहिए; क्योंकि केवल ‘हिन्दू राष्ट्र’ ही तीर्थस्थलोंं को उर्जितावस्था प्राप्त करा सकता है ! Read more »

विविध क्षेत्रों में पनप रहीं दुष्प्रवृत्तियों को उखाड फेंकने हेतु संगठित रुप से प्रयास करना यही ‘हिन्दू राष्ट्र’ की नीव ! – श्री. बलवंत पाठक, हिन्दू जनजागृति समिति

आज शिक्षा, वैद्यकीय क्षेत्र एवं न्यायालयीन व्यवस्था आदि क्षेत्रों में भारी मात्रा में भ्रष्टाचार हो रहा है ! सूचना अधिकार का उपयोग कर भ्रष्टाचार के प्रकरणों को उजागर कर उसे विरोध करना चाहिए। आदर्श व्यवस्था के लिए ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना करना ही इन सभी समस्याओं पर एकमात्र समाधान है ! Read more »

‘भूख हडताल’ नहीं, अपितु हिन्दू राष्ट्र स्थापना ही राष्ट्र एवं धर्म की समस्याआें का वास्तविक समाधान है ! – पू. संदीप आळशी

प्रभु श्रीराम जैसे सुसंस्कृत एवं आदर्श राज्यकर्ता हो, तो उसके सामने ‘भूख हडताल करना’ उचित है; परंतु राज्यकर्ता सुसंस्कृत एवं आदर्श न हों, तो भूख हडताल का संज्ञान भी नहीं लिया जाता अथवा किया हुआ भूख हडताल व्यर्थ हो जाता है ! Read more »

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