श्री गणेश की नगरी सांगली में ‘हिन्दू एकता फेरी’ के माध्यम से स्त्रीशक्ति का जागर !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अमृतमहोत्सव के उपलक्ष्य में सांगली में ‘हिन्दू एकता फेरी’ !

धर्मध्वज को वंदन करते हुए ह.भ.प. रमाकांत बोंगाळे महाराज (दाईं ओर)

सांगली : परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अमृतमहोत्सव के उपलक्ष्य में ३० मई को यहां ‘हिन्दू एकता फेरी’ निकाली गई। श्री गणेश की इस नगरी में हुई वीरश्री जागृत करनेवाली इस फेरी के माध्यम से स्त्रीशक्ति का जागर देखने मिला। फेरी में ४०० से भी अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ सम्मिलित हुए थे। स्थानिकों ने कहा कि फेरी की ओर देख कर चैतन्य एवं उत्साह प्रतीत हो रहा था !

फेरी में सम्मिलित धर्माभिमानी महिलाएं

पहले झुलेलाल चौक में सांगली जिला वारकरी संप्रदाय सेवा संगठन के संस्थापक ह.भ.प. रमाकांत बोंगाळे महाराज ने धर्मध्वज का पूजन किया एवं वेदाचार्य लक्ष्मणशास्त्री मोटे ने नारियल चढ़ाया। हिन्दू एकता आंदोलन के कार्याध्यक्ष श्री. नारायणराव कदम के शुभहाथों गाय की पूजा कर फेरी आरंभ हुई। श्री हनुमान मंदिर के पास फेरी की परिसमाप्ति हुई। रणरागिणी पथक, प्रथमोपचार पथक एवं महिला अधिवक्ताओं का पथक भी फेरी की विशेषता रही। फेरी में क्रांतिकारी, राष्ट्रपुरुष एवं संत की वेशभूषा में बालसाधकों ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। ४ वर्ष की आयुवाले बालक भी फेरी में सम्मिलित हुए थे !

उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठ

श्री शिवप्रतिष्ठान के श्री. हरिदास कालिदास, श्री. प्रसाद दरवंदर, श्री. प्रमोद धुळुबूळू, श्री. सचिन पवार, माळी समाज के न्यासी श्री. श्रीकृष्ण माळी, शिवसेना के श्री. तानाजी सातपुते, शिवउद्योग सेना के श्री. तात्या कराडे, शिवलीला सांस्कृतिक कला मंच के संस्थापक श्री. सुरेश गरड, हिन्दू एकता आंदोलन के कार्याध्यक्ष श्री. नारायणराव कदम, शिराळा के श्री. अशोक मस्कर आदि

विशेष

१. गोपूजन के अवसर पर गाय ने गोमुत्र दिया। यह एक शुभसंकेत माना जाता है !

२. फेरी कापड पेठ में आने पर प.पू. भक्तराज महाराज एवं प.पू. रामानंद महाराज के भक्त श्रीराम एजन्सी के स्वामी श्री. धनी लोंढे ने धर्मध्वज तथा पालकी में स्थित परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की प्रतिमा को पुष्पहार समर्पित किया। इस अवसर पर उनकेद्वारा किया गया जयघोष उपस्थितों में भाव जागृत एवं नवचैतन्य उत्पन्न करनेवाला रहा ! श्री हनुमान चौक में श्रीमती तेजस्विनी सरनोबत, डी.पी. परांजपे कोल्ड्रिंक हाऊस के स्वामी श्री. मनोज सहस्त्रबुद्धे एवं श्रीमती सहस्त्रबुद्धे ने भी ध्वज को पुष्पहार समर्पित किया।

३. मिरज के ‘ओएसके’ मार्शल आर्ट के कार्यकर्ताओं ने हर चौक में लाठी-काठी एवं मार्शल आर्ट के प्रात्यक्षिक दर्शाए !

4. यातायात पुलिस उपस्थित नहीं थे ऐसे में हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ताओं ने यातायात का नियमन कर हिन्दुओं के लिए आदर्श स्थापित किया !

5. ‘फेसबुक लाईव्ह’ के माध्यम से फेरी का प्रक्षेपण किया गया। ६५ सहस्त्रों से भी अधिक धर्माभिमानियों ने इसका लाभ उठाया !

मान्यवरों का मार्गदर्शन

‘हिन्दू’ इस देश की संस्कृति है ! – श्री. नारायणराव कदम, हिन्दू एकता आंदोलन, कार्याध्यक्ष

आज हम ‘हिन्दू राष्ट्र’ का उद्घोष कर रहे हैं। इसमें अनुचित क्या है ? ‘हिन्दू’ इस देश की संस्कृति है एवं ‘हिन्दू राष्ट्र’ की संकल्पना प्रस्तुत करना अत्यंत उचित है। हिन्दू संस्कृति सर्वसमावेशक है। यहां अनेक उपासना पद्धतियां होते हुए भी आज हिन्दू एक हैं। इसलिए सभी हिन्दू समाज को ‘हिन्दू सारा एक’ इसी भावना से मार्गक्रमण करना चाहिए !

यदि हिन्दुओं पर अन्याय हुआ, तो हिन्दू विधिज्ञ परिषद दायित्व लेगी ! – अधिवक्ता श्री. समीर पटवर्धन, सांगली जिला अधिवक्ता परिषद, अध्यक्ष

जहां जहां हिन्दुओं पर अत्याचार होगा, वहां वहां मैं हिन्दू विधिज्ञ परिषद के लिए सदैव दायित्व लूंगा ! हिन्दुओं की सहायता के लिए परिषद २४सो घंटे सहाय्य करने हेतु तत्पर है !

गाय को काटनेवाली कांग्रेस एवं साम्यवादियों को स्थाई रूप से सीमापार करें ! – श्री. मनोज खाडये, हिन्दू जनजागृति समिति, पश्‍चिम महाराष्ट्र समन्वयक

आज केरल में गोमाताओं की हत्याएं हो रही हैं। केवल केंद्र सरकार के कानून को विरोध के रूप में यह विरोधी कृत्य किया जा रहा है। भविष्य में गाय काटनेवाली कांग्रेस एवं साम्यवादियों को स्थाई रूप से सीमापार कर देना चाहिए !

परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी एवं पू. भिडे (गुरुजी) के कार्य में हरएक ने सम्मिलित होना चाहिए ! – श्री. सचिन पवार

समाज में आज परात्पर गुरु आठवलेजी एवं पू. भिडे (गुरुजी) दोनों भी राष्ट्रोद्धार हेतु निरंतर प्रयास कर रहे हैं। इनके इस कार्य में हरएक ने सम्मिलित होना चाहिए। ४ जून को रायगढ में होनेवाले ३२ मण के सुवर्णसिंहासन की पुनर्प्रस्थापना के कार्य में हरएक ने सम्मिलित होना चाहिए !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की प्रतिमा रखी हुई फूलों से सजी हुई वैशिष्ट्यपूर्ण पालकी !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की प्रतिमावाली पालकी के नागरिकों ने भी दर्शन लिए। पालकी उठानेवालों ने अब्दागिरी का वेश परिधान किया था। कुछ स्थान पर पालकी पर पुष्पवृष्टि की गई। इसमें मंजिरा लेकर चलनेवाले वारकरी एवं नामघोष करनेवाले पथक भी सम्मिलित हुए थे। कुछ लोगों ने श्री देवी भवानी के ‘गोंधली’ की वेशभूषा परिधान की थी !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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