अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में चर्चासत्र : ‘मंदिर का सरकारीकरण उचित है क्या ?’

मंदिरों का सरकारीकरण रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन हो ! – चर्चासत्र में मान्यवरों का एक मत

बार्इ आेर से  श्री. रमेश शिंदे, श्री. अनिल धीर, श्री. चेतन राजहंस, श्री. टी.आर्. रमेश एवं श्रीमती ऋतु राठोड

विद्याधिराज सभागार, रामनाथी मंदिर : अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के चौथे दिन ‘मंदिरों का सरकारीकरण उचित है क्या ?’ इस विषय पर चर्चासत्र हुआ। इसमें सभी ने एक मत होकर कहा, ‘मंदिरों का सरकारीकरण रोकने आैर जो मंदिर सरकार अपने अधिकार में ले चुकी है, उन्हें स्वतंत्र कराने हेतु सरकार को बाध्य करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक व्यापक आंदोलन करना चाहिए तथा अपने-अपने क्षेत्रों में हो रहे मंदिरों के अपप्रकारों के विरोध में सभी को सक्रिय होना चाहिए।’ इस चर्चासत्र में हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे, भारत रक्षा मंच के महासचिव श्री. अनिल धीर, सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस, चेन्नई के टेंपल वर्शिपर्स सोसायटी के अध्यक्ष श्री. टी.आर्. रमेश, ‘हिन्दू चार्टर’ की श्रीमती ऋतु राठोड ने सहभाग लिया। सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने चर्चासत्र का निवेदन किया।

आजकल भारत के गजनियों द्वारा मंदिरों की लूटपाट ! – श्री. रमेश शिंदे

पहले के राजा-महाराजाआें ने केवल सौंदर्य की दृष्टिकोण से ही नहीं, अपितु ‘आध्यात्मिक चेतना का विकास हो’, इसलिए भव्य मंदिरों का निर्माण किया था। ये मंदिर चैतन्य के स्रोत हैं। यह ज्ञात होने पर गजनी जैसे आक्रमकों ने इन मंदिरों पर आक्रमण कर उनका विध्वंस किया आैर लूटपाट मचाई। आजकल देश के बाहर के नहीं, अपितु भारत के ही गजनी मंदिरों को लूट रहे हैं आैर उन्हें भ्रष्ट कर रहे हैं। एेसे भ्रष्ट कारोबार करनेवाले मंदिर विश्वस्तों के विरोध में हिन्दुआें को आवाज उठानी चाहिए आैर मंदिरों को स्वतंत्र करवाने के लिए लडना चाहिए।
मंदिरों के धन का उपयोग हिन्दुआें की १४ विद्याआें आैर ६४ कलाआें, भारत का सत्य इतिहास, योग विद्या का प्रसार, संत, धर्मप्रसारकों की व्यवस्था, गोशाला आदि अच्छे कामों के लिए होना चाहिए। जब कर्नाटक में चुनाव हो रहे थे, भाजपा मंदिरों के सरकारीकरण के विरोध में भूमिका ली थी; तब उसी समय महाराष्ट्र में भाजपा सरकार ने शनिशिंगणापुर मंदिर का सरकारीकरण किया। यह दोगली भूमिका है। भाजपा को मंदिरों के सरकारीकरण के विषय की राष्ट्रीय भूमिका स्पष्ट करनी चाहिए।

पुरातत्व विभाग को मंदिर की नहीं, अपितु केवल ताजमहल की चिंता है ! – श्री. अनिल धीर

सरकारी पुरातत्व विभाग को मंदिरों की नहीं, अपितु ताजमहल की चिंता है। आेडिशा में पुरी का जगन्नाथ मंदिर आैर कोणार्क का सूर्यमंदिर है। ये मंदिर सरकार के नियंत्रण में हैं। उनकी योग्य पद्धति से देखभाल नहीं की जाती। ५०० वर्षाें में जो नहीं हुई, इतनी दुर्दशा गत ५० वर्षाें में हुई है। यह ध्यान में आया है कि मंदिरों की देखभाल सरकार से अधिक सामान्य ग्रामवासी उत्तम ढंग से करते हैं। संस्कृति को संजोना, सरकार का काम है।

हिन्दू अपने बच्चों को धर्मशिक्षा कहां दें ? – श्रीमती ऋतु राठोड, हिन्दू चार्टर

सरकार मंदिरों के धन पर कर लगाती है; परंतु मस्जिद आैर चर्च को करमुक्त करती है। इसलिए उनके पास भारी मात्रा में धन जमा हो गया है। हिन्दुआें के लिए धर्मशिक्षा की कहीं व्यवस्था नहीं है। सरकार ने हिन्दुआें के मंदिर अपने नियंत्रण में ले लिए हैं। विद्यालय अथवा महाविद्यालय में भी धर्मशिक्षा नहीं मिलती। हिन्दुआें को अपने बच्चों को वेदशास्त्र सिखाना है, तो वे जाएंगे कहां ? यह अन्याय है। धर्म का प्रचार-प्रसार करने के लिए ये मंदिर सरकार के नियंत्रण से मुक्त करवाने चाहिए। उज्जैन के महाकाल मंदिर में पिंडी पर पंचामृत कितना चढाना है अथवा किस पानी से अभिषेक करना है, यह भी न्यायालय ने तय किया है। एेसा हस्तक्षेप बंद होना चाहिए।’’

मंदिर सरकारीकरण के विरोध में कानूनन लडाई आवश्यक है ! – श्री. टी.आर्. रमेश, टेंपल वर्शिपर्स सोसायटी, चेन्नई

कानून बनाकर सरकार मंदिर नियंत्रण में ले रही है; परंतु मंदिर की संपत्ति में जो भ्रष्टाचार हो रहा है, उसके लिए दंड का प्रावधान कानून में नहीं है। सर्वाेच्च न्यायालय ने वर्ष १९५४ में दिए गए एक निर्णय के अनुसार सरकार मंदिर की निधि में से एक रुपया भी अन्य कारणों के लिए उपयोग नहीं कर सकती है। हाल ही में महाराष्ट्र में सरकार ने शिर्डी देवस्थान का बिना ब्याज के ५०० करोड रुपया बांध-निर्माणकार्य के लिए दिया। इसप्रकार बिना ब्याज के निधि देने से सरकार को प्रतिवर्ष उससे लगभग ४० करोड रुपयों की हानि हो रही है। इस प्रकरण में धारा ४०५, ४०६, ४०८ एवं ४०९ के अनुसार संबंधित जिलाधिकारी आैर अन्य संबंधित अधिकारियों के विरोध में अभियोग चला सकते हैं; कारण यह है कि सरकार जो संस्था चला रही है उसकी हानि-लाभ का ध्यान जिलाधिकारियों को रखना होता है। तमिलनाडु में हम कानूनन लडाई कर, सरकार द्वारा नियंत्रण में ले लिए गए मंदिरों को सरकारमुक्त कर रहे हैं। केंद्रसरकार को मंदिरों का सरकारीकरण नहीं करना चाहिए, अपितु मंदिर संस्कृति को बचाने की भूमिका लेनी चाहिए।

Leave a Comment

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​