हिन्दू राष्ट्र के लिए हिन्दूद्रोही प्रसारमाध्यमों के विरोध में वैचारिक संघर्ष आवश्यक – ईश्‍वरप्रसाद खंडेलवाल, अध्यक्ष, लष्कर-ए-हिन्द

लष्कर-ए-हिंद के अध्यक्ष तथा हिंदुस्थान नॅशनल पार्टीके अध्यक्ष श्री. ईश्‍वरप्रसाद खंडेलवाल

विद्याधिराज सभागृह, रामनाथी – पंचम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में ‘लष्कर-ए-हिन्द’ के अध्यक्ष तथा ‘हिन्दुस्थान नैशनल पार्टी’ के अध्यक्ष श्री. ईश्‍वरप्रसाद खंडेलवाल ने अनुभव कथन करते हुए कहा कि, देश के ‘एनडीटीवी’, ‘टाइम्स’, ‘सीएनएन-आयबीएन’, ‘स्टार’, ‘हिन्दुस्थान टाईम्स’ आदि माध्यमसमूहों पर विदेश के ईसाई और मुसलमानों का अधिकार है । इसलिए हिन्दुत्वनिष्ठ हिन्दुआें पर होनेवाले अन्याय के विषय में इन माध्यमों को कितनी भी जानकारी दें, वे उन समाचारों को प्रसारित नहीं करते । इसलिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का कार्य करते हुए हिन्दूद्रोही माध्यमों के विरोध में वैचारिक संघर्ष करना आवश्यक है । वह संघर्ष प्रामाणिकता से तथा धर्महित के दृष्टिकोण से करने पर हम सफल हो सकते हैं ।

इस अवसर पर श्री. खंडेलवाल ने सनातन संस्था के विरोध में गत ४ वर्षों से चल रहा माध्यमों का कुप्रचार, सनातन के साधकों पर लगाए जानेवाले हत्या और विस्फोट के आरोप और वस्तुस्थिति के विषय में जानकारी दी । समाचारवाहिनी ‘एबीपी न्यूज’ द्वारा उत्तर भारत की दो युवा साधिकाआें के निमित्त किए गए कुप्रचार को पत्रकार परिषद द्वारा दिया गया उत्तर, सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवले संमोहन कर रहे हैं, यह दिखाकर किया गया कुप्रचार आदि के विषय में विस्तारपूर्वक विवेचन किया ।

श्री. खंडेलवाल के खरे विचार !

१. सनातन के साधक डॉ. वीरेंद्रसिंह तावडे किसी की हत्या नहीं कर सकते; क्योंकि वे हिन्दू हैं । हिन्दू धर्म में अन्यों की हत्या करने की सीख नहीं दी जाती ।

२. सनातन के साधकों पर विस्फोट करने के झूठे आरोप लगाए गए, उसमें वे निर्दोष मुक्त हुए । हम हिन्दू हैं, हम कभी मातृभूमि पर विस्फोट नहीं करेंगे ।

३. आज संसार के सबसे बडे लोकतांत्रिक देश भारत में प्रसारमाध्यमों पर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं है, यह एक बडी त्रुटि है ।

४. ५४७ सांसद ९० करोड हिन्दुआें का भला नहीं कर सकते; परंतु ९० करोड हिन्दू हिन्दू राष्ट्र की स्थापना कर संसार का कल्याण निश्‍चित कर सकते हैं ।

उग्रवादियों का उदात्तीकरण करनेवाले न्यायाधीश के विरोध में लोकतांत्रिक मार्ग से किया गया संघर्ष !

कुछ वर्ष पूर्व प्रसारमाध्यम उग्रवादी अबू सलेम का उदात्तीकरण कर रहे थे । उसके विरोध में हस्तफलक लेकर हम २५ कार्यकर्ताआें ने न्यायालय के सामने प्रदर्शन किया । न्यायाधीश ने हम पर कार्यवाही की; परंतु मैंने उन्हें स्पष्ट कहा, ‘उग्रवादी की सुव्यवस्था की पूछताछ न्यायाधीश द्वारा किया जाना अयोग्य है ।’ तत्पश्‍चात मैंने संबंधित न्यायाधीश के पक्षपात के विषय में विधि और न्याय विभाग में परिवाद किया तब उन्हें पद से हटाया गया । अर्थात हम लोकतांत्रिक मार्ग से अपना कार्य सफल कर सकते हैं ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी पर संमोहन के विषय में लगाए गए आरोपों की खंडेलवालजी द्वारा चीरफाड !

श्री. खंडेलवाल बोले, ‘‘यदि हमारे परात्पर गुरु डॉ. आठवले वास्तव में संमोहन द्वारा अन्यों से कार्य करवा सकते, तो संसद में बैठे हुए ५४७ सांसदों को संमोहित कर हिन्दू राष्ट्र कब का स्थापित कर लिया होता । हमें हिन्दू राष्ट्र के लिए इतने कष्ट नहीं उठाने पडते; परंतु ऐसा नहीं हुआ है । इसका अर्थ यह है कि परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी पर लगाए गए संमोहन के (‘मास हिप्नॉटिजम’के) आरोप स्पष्ट रूप से असत्य हैं ।

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