श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर की घोटालेबाज शासकीय समिति बरखास्त करें; अन्यथा रास्ते पर उतरेंगे ! – वारकरी एवं हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का चेतावणी

‘सरकारी मंदिर समिति’की लापरवाही के कारण मंदिर के करोडों रुपयों की घाटा !

श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर की घोटालेबाज शासकीय समिति बरखास्त करें; अन्यथा रास्ते पर उतरेंगे ! – वारकरी एवं हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का चेतावणी

पंढरपुर में आयोजित इस संवाददाता सम्मेलन में हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. राजन बुणगे, ह.भ.प. नागेश बागड़े महाराज, ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ के समन्वयक श्री. सुनील घनवट, वारकरी संप्रदाय पाईक संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता ह.भ.प. रामकृष्ण वीर महाराज और श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर संरक्षण कृति समिति के अध्यक्ष श्री. गणेश लंके उपस्थित थे।

करोडों विठ्ठलभक्तों के श्रद्धास्थान पंढरपुर के श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर में केवल मूल्यवान जवाहरात, सोने के आभूषण, प्रसाद के लड्डू, शौचालय में गैरव्यवहार हुआ; इतना ही नहीं, अपितु देश के अनेक बडे मंदिर फायदे में होते हुए भी मंदिर समिति की आर्थिक अनुशासनहीनता के कारण मंदिर को वर्ष 2021-22, इस आर्थिक वर्ष में 6 करोड 5 लाख 82 हजार रुपयों की घाटा हुवा है । योग्य आर्थिक व्यवस्थापन न करने के परिणामस्वरूप 3 करोड 77 लाख 21 हजार 565 रुपयों का जी.एस्.टी. मंदिर को अकारण ही भरना पडा है । बैंक से शेष 69 लाख 14 हजार 913 रुपयों की टी.डी.एस्. राशि मंदिर समिति पुन: नहीं प्राप्त कर सकी । इसके साथ ही बिना टेंडर निकाले ‘बी.वी.जी.’ कंपनी को ठेका देकर लाखों रुपये अकारण व्यर्थ किए, मंदिर के पास लगभग 1250 एकड से भी अधिक भूमि के होने पर उसका वर्ष में केवल 5 लाख 26 हजार रुपयों का भूमी खंड मिलना, यह घोटाला नहीं तो क्या है ? ऐसे अनेक अक्षम्य गैरव्यवहार करनेवाली श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर समिति तत्काल बर्खास्त कर, गैरव्यवहार करनेवाले दोषियों पर अपराध प्रविष्ट किया जाए, ऐसी मांग समस्त वारकरी एवं ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ ने की । यदि ऐसा नहीं हुआ, तो हम रास्ते पर उतर कर तीव्र आंदोलन करेंगे, ऐसा इशारा भी इस अवसर पर सरकार को दिया गया है ।

पंढरपुर में आयोजित इस संवाददाता सम्मेलन में ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ के समन्वयक श्री. सुनील घनवट, वारकरी संप्रदाय पाइक संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता ह.भ.प. रामकृष्ण वीर महाराज, श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर संरक्षण कृति समिति के अध्यक्ष श्री. गणेश लंके, ह.भ.प. नागेश बागड़े महाराज और हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. राजन बुणगे उपस्थित थे।

आभूषण गुम नहीं हुए, तो लेखापरीक्षकों को जांच के लिए क्यों नहीं दिए ?

इस अवसर पर श्री. घनवट बोले, श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर में 314 से भी अधिक प्राचीन मूल्यवान आभूषणों की आर्थिक विवरण पत्र (बैलेंस शीट) में प्रविष्टी एवं मूल्यांकन न होने के प्रकरण में मंदिर समिति ने जो खुलासा किया है । उससे उन्होंने एकप्रकार से सभी घोटालों की स्वीकृति ही दी है, ऐसा ही कहना होगा । आभूषण गुम नहीं हुए, ऐसा कहनेवाली मंदिर समिति ने फिर वे आभूषण लेखापरीक्षकों को जांचने के लिए क्यों नहीं उपलब्ध करवाए ? अखिर यह घोटाला क्या है? पल्ला झाड खुलासा करनेवाली मंदिर समिति ने निकृष्ट प्रसाद, अडव्हान्स रकम, गोशाला की दयनीय अवस्था, शौचालय में 22 लाखों की घाटा आदि अनेक गंभीर आरोपों के विषय में कुछ भी खुलासा नहीं किया । इसमें वास्तव में क्या है वह सामने आ गया है । वास्तव में मंदिर का सरकारीकरण होकर 38 वर्ष होने पर भी प्राचीन मूल्यवान आभूषणों का मूल्यांकन एवं प्रविष्टी न हुई हो, तो श्री तुळजापुर मंदिर समान प्राचीन आभूषणों की अदला-बदली हो सकती है । झूठे कागदपत्र अथवा दस्तावेज तैयार नहीं किए जा सकते । इसलिए इस अक्षम्य प्रकार के विरोध में पुन: अपराध प्रविष्ट करने के लिए हमने पंढरपुर पुलिस थाने और सोलापुर जिलाधिकारी के यहां परिवाद प्रविष्ट किया है ।

वर्ष 2013 में हमने पत्रकार परिषद लेकर श्री विठ्ठल मंदिर के घोटालों के अनेक सूत्र प्रस्तुत किए थे । आज 10 वर्षोें उपरांत भी बहुतांश घोटाले मंदिर में पुन: पुन: हो रहे हैं, यह अत्यंत गंभीर है । पुणे के ‘बी.एस्.जी. एंड एसोसिएट्स’ इस सनदी लेखापरीक्षक संस्था द्वारा मंदिर का लेखापरीक्षण कर 23 मार्च 2023 को रिपोर्ट प्रस्तुत किया है । इसमें मंदिर समिति के 27 प्रकार के अत्यंत गैरजिम्मेदारी के काम सामने आए हैं ।

मंदिर घाटे में ! : वर्ष 2021-22 के अंदाजपत्रक में मंदिर समिति ने 6 करोड 24 लाख 71 हजार रुपये जमा, तो 12 करोड 30 लाख 53 हजार रुपये खर्च दिखाया है । अर्थात 6 करोड 5 लाख 82 हजार रुपयों की घाटा हुई है । करोडों भक्त और भारी मात्रा में अर्पण मिलनेवाले महाराष्ट्र का श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर घाटे में कैसे हो सकता है ? आज देशभर के बडे मंदिर नफे में हैं, फिर ऐसे में श्री विठ्ठल मंदिर किसके कारण घाटे में गया ?

भूमि घोटाला ? : मंदिर के नाम से 1,250 एकड से भी अधिक भूमि होते हुए मंदिर समिति के पास वर्ष में केवल 5 लाख 26 हजार रुपयों का भूमी खंड जमा होना दिखाया गया है । इसमें लेखापरीक्षकों ने ब्योरे में बताया कि यह खंड अयोग्य पद्धति से दिखाया गया है ।’ प्रत्यक्ष में इतनी प्रचंड भूमि के होते हुए इतना अत्यल्प खंड कैसे ? ‘दाल में कुछ काला है !’, इतना ही नहीं अपितु ‘पूरी दाल ही काली है’ऐसा कहना होगा ।

3 करोड 77 लाख रुपए पानी में ? : इनपुट टैक्स क्रेडिट कर (आई.सी.टी. क्रेडिट) यह व्यापार खरीद पर भरा जाता है; परंतु सामग्री बिक्री होने पर वह जी.एस्.टी. में से कम किया जाता है; परंतु उसका उपयोग न करने से जी.एस्.टी. पोर्टल पर वर्ष 2017-18 से 2022-23 तक लगभग 3 करोड 77 लाख 21 हजार 565 रुपयों का आई.सी.टी. क्रेडिट उपलब्ध है; किंतु मंदिर समिति से विशेषज्ञों से लिखित रूप में मत न लेकर उतने रूपयों का जी.एस्.टी. शासन के पास जमा किया है । वह निधि सेट ऑफ कर सकते थे । इस प्रकार से अन्य प्रकरण में कितने रुपयों की हानि हुई होगी, इसका अंदाज लगाया जा सकता है ।

मंदिरों के 69 लाख कब वसूल करेंगे ? : मंदिर समिति द्वारा आयकर भरकर उसके माध्यम से टी.डी.एस्. पुनः मांगने पर भी बैंक ने वर्ष 2004-05 से 2018-19 तक 69 लाख 14 हजार 913 रुपयों का टी.डी.एस्. नहीं लौटाया । इस विषय में इतने वर्ष मंदिर समिति चुप क्यों है ? बैंक का पैसा अडा होता, तो वह इतने वर्ष रुक सकती थी क्या ? यदि यह राशि फिक्स डिपॉजिट में रखी होती, तो लाखो रुपयों का व्याज मंदिर को मिल जाता ।

निविदा (टेंडर) निकाले बिना ‘बी.व्ही.जी.’ कंपनी को ठेका (कॉन्ट्रैक्ट); लाखों रुपए उडा दिए ! : मंदिर समिति के तीन भक्तनिवास के लिए कामगार उपलब्ध करना, साथ ही स्वच्छ करने के लिए मंदिर समिति ने कोई भी निविदा निकाले बिना ‘बी.वी.जी.’ कंपनी को ठेका दिया । साथ ही स्वच्छता की मशीन के लिए ‘बी.वी.जी.’ कंपनी को प्रति वर्ष 18 लाख 57 हजार 700 रुपये देते हैं । उसकी अपेक्षा मंदिर समिति को यह मशीन खरीदनी चाहिए, ऐसी सलाह लेखापरीक्षक को देनी पडी । यह किसकी पसंदीदा कंपनी है, जिस पर लाखों रुपये लुटाए जा रहे हैं?

अंधाधुंध कारोबार : नकद राशि जिस रूम में रखी जाती हैे, उस रूम के बाहर सुरक्षारक्षक नहीं । नकद राशि रूम में आवक-जावक बही नहीं रखी है । साथ ही बाहर से आते-जाते जांच करना आवश्यक है, ऐसा लेखापरीक्षक ने कहा है । संक्षेप में, कुल कितनी राशि आई एवं कितनी किसके जेब में गई, यह किसी के ध्यान में भी नहीं आएगी, क्या इसका अच्छे से ध्यान मंदिर समिति ने रखा है ? ऐसा प्रश्न निर्माण होता है । इसके साथ ही बैंक में गलत बैलेंस शीट जमा की जाती है । उसमें खर्च दो बार तथा दान दो बार दिखाया है । यह राशि 14,20,495 रुपयों की है । लेखा अधिकारी कार्यालय में श्री विठ्ठल-रुक्मिणी की 25 हजार रुपयों की पीतल की मूर्ति स्टॉक में दिखाए बिना ही रखी थी । इतना ही नहीं, अन्नछत्र, विद्युत कक्ष, आस्थापना विभाग, गोशाला एवं अन्य विभाग में रजिस्टर न रखने के लिए आवक-जावक, तथा सामग्रीकी प्रविष्टि नहीं रखी जाती । इसलिए कितनी वस्तुएं किसके घर गई, यह बताया नहीं जा सकता । ग्रंथालय के 29,615 ग्रंथों का स्टॉक कम है ।

उपरोक्त अंधाधुंध कारोबार के कारण मंदिर की परिस्थिति बिकट हो गई है । इन सब प्रकरणों की सरकार को पूछताछ कर दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए । यह भ्रष्ट मंदिर समिति तत्काल बरखास्त की जाए और सत्यनिष्ठ भक्तों को मंदिर सौंपकर श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर सरकारीकरण मुक्त किया जाए, ऐसी मांगें इस समय की गईं ।

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