पंढरपुर मंदिर समिति के भ्रष्टाचार की जांच ‘एस.आई.टी.’ से कराएं ! – महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की मांग

श्री विट्ठल के प्राचीन अलंकारों का मूल्यांकन एवं उसकी प्रविष्टि न करना, बडा घोटाला !

प्रसाद के लड्डू से लेकर, गोशाला, शौचालय, अग्रिम राशि सर्वत्र ही अनियमितताएं !

महाराष्ट्र सरकार द्वारा नियंत्रित श्री तुळजाभवानी मंदिर संस्थान में प्राचीन एवं मूल्यवान सोने-चांदी के अलंकार गायब होने की घटना हाल ही में सामने आई । कुछ वर्ष पूर्व कोल्हापुर के श्री महालक्ष्मी देवस्थान में भी भूमि और अलंकार संबंधी बहुत बडा घोटाला हुआ था । इसी प्रकार अब यह उजागर हुआ है कि करोडों श्रद्धालुओं के आस्थाकेंद्र पंढरपुर के श्री विट्ठल मंदिर में राजा, महाराजा, पेशवा, संस्थानिक आदि द्वारा श्री विट्ठल-रुक्मिणी को अर्पित 300 से अधिक प्राचीन तथा मूल्यवान अलंकारों की तालेबंदी में प्रविष्टि और मूल्यांकन नहीं है । यह अत्यंत गंभीर है । कहीं ये भगवान विट्ठल के अलंकार हडपने का षड्यंत्र तो नहीं ? इसकी गहन जांच ‘राज्य अपराध अन्वेषण विभाग’ के ‘विशेष जांच दल’द्वारा (एस.आई.टी.द्वारा) कराई जाए, साथ ही दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों तथा मंदिर समिति के सदस्यों पर तत्काल अपराध प्रविष्ट किया जाए, ऐसी मांग ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ के राज्य समन्वयक श्री. सुनील घनवट ने पंढरपुर की पत्रकार परिषद में की । इस पत्रकार परिषद में वारकरी संप्रदाय पाईक संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता ह.भ.प. रामकृष्ण वीर महाराज, तुळजापुर स्थित पुजारी संघ के पूर्व अध्यक्ष श्री. किशोर गंगणे, श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर संरक्षण कृति समिति के अध्यक्ष श्री. गणेश लंके, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. राजन बुणगे आदि उपस्थित थे ।

विट्ठल भक्तों के प्रसाद के लिए निकृष्ट खाद्यतेल का उपयोग, गोशाला की दुर्दशा, शौचालय बनाए बिना लाखों रुपए व्यर्थ करना, मंदिर की सोने की वस्तुओं का मूल्यांकन न करना, अत्यंत गंभीर घटनाएं हैं । इस कारण वर्तमान समिति को बरखास्त कर संबंधित दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों को निलंबित किया जाए, ऐसी आग्रहपूर्ण मांग ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ ने इस समय की ।

कुछ दिन पूर्व हुए विधिमंडल के शीतकालीन अधिवेशन में ‘श्री विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर का वर्ष 2021-22 का वार्षिक लेखापरीक्षण ब्योरा’ सरकार को सौंपा गया । इस ब्योरे में लेखापरीक्षक ने मंदिर समिति के उपर्युक्त सुस्त काम का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है । मूलतः वर्ष 1985 में मंदिर का सरकारीकरण हुआ । 38 वर्ष होने के उपरांत भी मंदिर की प्राचीन एवं मूल्यवान सोने-चांदी की वस्तुएं, भगवान के मूल्यवान अलंकार, इनकी तालेबंदी में प्रविष्टि तथा उनका मूल्यांकन क्यों नहीं किया गया ? इस बीच मंदिर के अलंकारों में हेराफेरी होने की अथवा चोरी होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता । इसी के साथ श्री विट्ठल-रुक्मिणी के चरणों में अर्पित किए जानेवाले अलंकारों को सील क्यों नहीं किया जाता ? ऐसे में यह कैसे कहा जा सकता है कि पिछले कुछ वर्षाें में इन अलंकारों को हडप नहीं किया गया है ? इसकी गारंटी कौन देगा ? ऐसे प्रश्न सुनील घनवट ने यहां उपस्थित किए ।

सुलभ शौचालय बनाए बिना केवल भाडे में श्री विट्ठल मंदिर के 22 लाख रुपये उडाए !

श्री विट्ठल रुक्मिणी मंदिर समिति द्वारा 21 मार्च 2017 को रेल्वे की भूमि पर सुलभ शौचालय बनाने के लिए 1 करोड 54 लाख 46 हजार 41 रुपये का भाडा निश्चित किया गया । 35 वर्षाें के इस करार के लिए रेल्वे प्रशासन को भाडे के रूप में मंदिर समिति की ओर से प्रतिवर्ष 4 लाख 41 हजार 315 रुपये दिए जा रहे हैं । तब भी 5 वर्षाें में सुलभ शौचालय नहीं बनाया गया । इस नियोजनशून्य काम के कारण मंदिर के 22 लाख 06 हजार 575 रुपये व्यर्थ हो गए । इतना अनावश्यक पैसा जिनकी चूक के कारण व्यर्थ हुआ, उनसे यह पैसा ब्याज सहित वसूल किया जाए, ऐसी मांग भी महासंघ के श्री. घनवट ने की ।

गोशाला की बीमार गायों की अक्षम्य अनदेखी !

मंदिर समिति की गोशाला की गायों की लिखा-पढी नहीं है । गोशाला में कचरा, भंगार, तेल के खुले पीपे रखे जाते हैं । लेखापरीक्षक ने जब गोशाला का अवलोकन किया, तब देखा कि 2 गायों और 3 बछडों को लंपी बीमारी हुई है; परंतु उनकी उचित देखभाल नहीं की गई है । गोशाला की गायों के दूध की बिक्री की प्रविष्टि नहीं है । गायों का बीमा भी नहीं कराया गया है । गोशाला के परिसर में लेखापरीक्षक ने पूरी ३० ट्रॉली गोबरखाद पाई, जिसका मूल्य 1 लाख 35 सहस्र रुपए था । समय-समय पर इसकी बिक्री भी नहीं की गई । इस प्रकार गोमाता की अनदेखी करनेवाले सरकारी कमचारी-अधिकारी मंदिर और श्रद्धालुओं के प्रति कितनी आस्था से काम करेंगे, ऐसी शंका श्री. घनवट ने उपस्थित की ।

लड्डू में मिलावट; अपराध प्रविष्ट किया जाए !

श्रद्धालुओं को प्रसाद में दिए जानेवाले लड्डू बनाने का ठेका मंदिर समिति ने बचत गुटों को दिया है । लड्डू में ‘ड्रायफ्रूट, पौष्टिक पदार्थ, मूंगफली तेल का उपयोग किया गया है’, ऐसा आवरण (कवर) पर लिखकर वास्तव में वैसा न करना, सीधे-सीधे घोटाला है । इसी के साथ मूंगफली तेल के स्थान पर कम दर्जे के कॉटनसीड तेल का उपयोग किया गया है । विट्ठल के चरणों में श्रद्धा के साथ आनेवाले श्रद्धालुओं को निकृष्ट स्तर का प्रसाद देना पाप है । इस प्रकरण में मंदिर समिति ने केवल बचत गुटों से ठेका छीनकर उनकी जमा राशि (डिपॉजिट) जब्त करने की छोटी-मोटी कार्रवाई की है । इसकी अनदेखी करनेवाली मंदिर समिति भी उतनी ही दोषी और पाप में सम्मिलित है । उस पर भी कारवाई की जाए, ऐसी मांग श्री. रामकृष्ण वीर महाराज ने की ।

12 वर्ष उपरांत भी ‘अग्रिम’ राशि की वसूली नहीं !

मंदिर समिति द्वारा कर्मचारियों को दी जानेवाली अग्रिम राशि (एडवान्स) की वसूली समय पर नहीं होती । देवस्थान की ओर से वर्ष 2010 में 7 व्यक्तियों को 1 लाख 80 हजार 540  रुपए अग्रिम राशि के रूप में दिए गए; परंतु 12 वर्ष उपरांत भी उसकी वसूली नहीं की गई । इसके अतिरिक्त अनेक लोगों को दी गई अग्रिम राशि की वसूली नहीं की गई है । यह गंभीर है, ऐसा मत श्री. किशोर गंगणे ने व्यक्त किया ।

महाराष्ट्र सरकार सरकारीकरण किए सभी मंदिरों की सोने-चांदी की सभी वस्तुओं, मंदिरों के भाग तथा अलंकारों का तत्काल एवं समयसीमा में मूल्यांकन कर, तालेबंदी में उनकी प्रविष्टि करे । लड्डू बनाना, गोशाला की खाद की बिक्री आदि की जांच कर केवल ठेका रद्द करने का दिखावा करने के स्थान पर दोषियों पर अपराध प्रविष्ट करे । यह सब शासकीय मंदिर समिति की अनदेखी के कारण हुआ है । मंदिर की देवनिधि की निष्ठापूर्वक देखभाल न करनेवाले मंदिर समिति के सदस्यों पर कार्रवाई कर निष्ठापूर्वक एवं योग्य विट्ठलभक्तों को ट्रस्ट में नियुक्त किया जाए, ऐसी मांग भी श्री. घनवट ने अंत में की ।

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