दशम ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ को हिन्दुत्वनिष्ठों का स्वयंस्फूर्त प्रतिसाद !

बायीं ओर से श्री. रमेश शिंदे, श्री. चेतन राजहंस, सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे, पत्रकारों को संबोधित करते हुए श्रीमती एस्थर धनराज और श्री. अंकित साळगांवकर

‘इन्क्विजिशन’ के लिए वैटिकन चर्च के पोप गोमंतकियों से क्षमा मांगें – श्रीमती एस्थर धनराज, भगवद्गीता फाउंडेशन फॉर वैदिक स्टडीज, तेलंगाना

पणजी (गोवा) – इन्क्विजिशन’ के नामपर ईसाई मिशनरियों ने 250 वर्ष गोमंतकियों ने किए हुए अमानवीय और क्रूर अत्याचारों लिए ईसाई संस्था के प्रमुख पोप को गोमंतकियों की सार्वजनिक क्षमा मांगनी चाहिए, ऐसी मांग तेलंगाना से दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के लिए आई हुई भाग्यनगर (तेलंगाना) के भगवद्गीता फाउंडेशन फॉर वैदिक स्टडीज की सहयोग निदेशक श्रीमती एस्थर धनराज ने की । यहां दशम ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ की समापन पत्रकार परिषद में वे बोल रही थीं ।

इस पत्रकार परिषद में ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे, ‘गोमंतक हिन्दू प्रतिष्ठान’ के अध्यक्ष श्री. अंकित साळगांवकर, मिशनरियों द्वारा होनेवाले धर्मांतरण के विरोध में कार्य करनेवाली तेलंगाना की अभ्यासक श्रीमती एस्थर धनराज, और ‘सनातन संस्था’ के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस उपस्थित थे ।

मिशनरियों द्वारा होनेवाले धर्मांतरण के विरोध में कार्य करनेवाली अभ्यासक श्रीमती एस्थर धनराज ने आगे कहा, ‘‘पोप जॉन पॉल द्वितीय ने इससे पूर्व यहूदियों की हत्या, चर्च में महिलाओं को समान अधिकार न देने के संबंध में, अफ्रीका के लोगों को गुलाम बनाना आदि अनेक कारणों के लिए क्षमा मांगी है । उनकी क्षमायाचना की सूची बहुत बडी है । उनके लिए क्षमा मांगना नया नहीं है । गोवा में ‘इन्क्विजिशन’ के नाम पर हिन्दुओं का वंशविच्छेद किया गया है, यह इतिहास है । अनेक अंग्रेज विचारकों ने यह सत्य स्वीकारा है । छोटी-बडी अनेक बातों के लिए चर्चसंस्था ने क्षमा मांगी है । इसलिए गोवा के ‘इन्क्विजिशन’ के लिए भी क्षमा मांगी जाए, ऐसी अधिवेशन में सम्मिलित सर्व हिन्दू संगठनों की मांग है ।’’

संवैधानिक मार्ग से हिन्दू राष्ट्र स्थापित करने का हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का संकल्प ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने कहा, ‘‘संवैधानिक एवं संसदीय मार्ग से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हो सकती है, इसपर दशम ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ में आयोजित ‘हिन्दू राष्ट्र संसद’ में सर्व हिन्दू संगठनों का एकमत हुआ । उसमें अच्छे संवैधानिक प्रस्ताव बने हैं । वे हम केंद्र सरकार को देनेवाले हैं । इसके साथ ही नेपाल को भी पुनः एक बार हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए अधिवेशन के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने एकमत से समर्थन दिया है ।

जैसी जनप्रतिनिधियों की संसद है, वैसी धर्महित के विषय पर चर्चा करने के लिए धर्मप्रतिनिधियों की ‘हिन्दू राष्ट्र संसद’ तीन दिन इस अधिवेशन में आयोजित की गई थी । इस संसद में पारित होनवाले प्रस्ताव जनप्रतिनिधियों को भेजे जाएंगे । उसके आधार पर भारतीय संसद में चर्चा हो सकती है, उदा. कानून का प्रस्तुतीकरण भारतीय संस्कृति के अनुसार हो, गुरुकुल शिक्षा मंडल स्थापित किया जाए, मंदिरों के पुजारी और वेदपाठाशाला को आर्थिक सहायता दी जाए, अल्पसंख्यक की श्रेणी देते समय वैश्विक स्तर के आधार पर दी जाए तथा श्रीमद्भगवद्गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ के रूप में मान्यता दी जाए ।’’

गोवा सरकार धर्मांतरण प्रतिबंधक कानून लागू करे ! – अंकित साळगावकर, अध्यक्ष, गोमंतक हिन्दू प्रतिष्ठान

गोवा में शिवोली के बिलिवर्स पंथ द्वारा पास्टर ‘डॉमनिक एंड जो मिनिस्ट्री’ ने विगत कुछ वर्षाें में बडी मात्रा में हिन्दुओं का धर्मांतरण किया है । रोग ठीक करने के नाम पर 15 रुपयों का तेल 100 से 150 रुपयों में बेचकर पीडितों को ठगा गया है । यही पास्टर जब स्वयं बीमार हुआ, तब उसने ‘हीलिंग तेल’ का उपयोग नहीं किया, अपितु चिकित्सालय में भरती हो गया, यह उसके जाल में फंसे भोलेभाले हिन्दुओं को ध्यान में रखना चाहिए । डॉम्निक के दलाल गोवा में बडी मात्रा में धर्मांतरण कर रहे हैं । इसलिए गोवा में धर्मांतरण प्रतिबंधक कानून लागू किया जाए, ऐसी हमारी मांग है ।

‘हलालविरोधी कृति समिति’ के माध्यम से प्रत्येक जिले में ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ के विरोध में आंदोलन ! – रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

‘हलाल’ की अनिवार्यता मुसलमानों के लिए है; अन्य धर्म-पंथियों के लिए नहीं । तब भी ‘हलाल’ प्रमाणित मांस तथा उत्पादन भारत के बहुसंख्यक हिन्दुओं पर लादना, ‘भारतीय संविधान’ ने दी हुई धार्मिक स्वतंत्रता तथा ग्राहक अधिकारों के विरुद्ध है । इसलिए 100 प्रतिशत ‘हलाल’ प्रमाणित खाद्यपदार्थाें का विक्रय करनेवाले ‘मैकडोनल्ड’, ‘के.एफ.सी.’ जैसे बहुराष्ट्रीय प्रतिष्ठानों पर अभियोग प्रविष्ट करने चाहिए । ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ का विरोध करने के लिए प्रत्येक जिले के स्तर पर ‘हलालविरोधी कृति समिति’ की स्थापना होने लगी है । इस माध्यम से ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ के विरोध में आंदोलन खडा करने की योजना है ।

शहरों को दिए गए आक्रमणकारियों के नाम परिवर्तित करने के लिए ‘केंद्रीय नामकरण आयोग’ की स्थापना की जाए ! – चेतन राजहंस, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था

वास्को शहर का नाम परिवर्तित कर संभाजीनगर करने की मांग

जिन आक्रमणकारियों को हमने संघर्ष कर भारत से भगाया है, उनके नाम भारत के शहरों को क्यों दिए जाएं ? उसके लिए हमने केंद्र सरकार से मांग की है कि ‘केंद्रीय नामकरण आयोग’ की स्थापना की जाए तथा देशभर के शहर, वास्तु, मार्ग, संग्रहालय आदि को दिए गए विदेशी आक्रमणकारियों के नाम परिवर्तित किए जाएं । उसके अनुसार ‘वास्को-दि-गामा’ इस विदेशी आक्रमणकारी के नाम पर गोवा के शहर को दिया हुआ नाम ‘वास्को’ परिवर्तित कर गोमंतकियों की रक्षा के लिए लडनेवाले ‘छत्रपति संभाजी महाराज’ का ‘संभाजीनगर’ नाम दिया जाए ।

हिन्दुत्वनिष्ठों का अभूतपूर्व प्रतिसाद प्राप्त ‘हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ में भारत के 26 राज्यों सहित अमेरिका, हांगकांग, नेपाल, फिजी और इंग्लैंड के 177 से अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के 400 से अधिक प्रतिनिधि उपस्थित थे ।

 

पणजी में संपन्न दशम ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’की समापन पत्रकार परिषद में हुए प्रश्नोत्तर

१. ईसाई धर्म आध्यात्मिकता की ओर नहीं ले जाता, इसलिए उसका त्यागकर हिन्दू धर्म स्वीकारा ! – श्रीमती इस्थर धनराज

प्रश्न : (श्रीमती इस्थर धनराज को संबोधित कर) आपने हिन्दू धर्म स्वीकारने का क्या कारण है ?

उत्तर (श्रीमती इस्थर धनराज) : मेरे हिन्दू धर्म स्वीकारने के पीछे पूर्णतः शैक्षणिक पृष्ठभूमि है । मैं कट्टर ईसाई थी । मुझे ईसाई धर्म का अध्ययन कर चर्च की स्थापना करनी थी । ईसाई धर्म का शैक्षणिक अध्ययन करने के लिए अमेरिका गई । वहां ईसाई धर्म से संबंधित पुस्तकों का अध्ययन करने पर मेरे ध्यान में आया कि यह धर्म आध्यात्मिकता की ओर नहीं ले जाता । इसलिए ईसाई धर्म का त्याग कर हिन्दू धर्म स्वीकारा ।

२. जागृति और आंदोलन द्वारा हलाल प्रमाणपत्र पर प्रतिबंध के लिए प्रयास !

प्रश्न : हलाल प्रमाणपत्र के संदर्भ में कृति समिति किस प्रकार कार्य करेगी ?

उत्तर (श्री. रमेश शिंदे) : इस संबंध में हिन्दुओं में जागृति की जाएगी । कर्नाटक में इस संबंध में जागृति करने पर ‘युगादी’ उत्सव के दूसरे दिन वहां के मुसलमानों की ७५ प्रतिशत दुकानें बंद थी । ‘जोमेटो’ प्रतिष्ठान ने कहा है कि ‘अन्न का धर्म नहीं होता’, तो गोवा के पणजी शहर में ‘हलाल रेस्टोरेंट’ बनना आश्चर्यकारक है ।

भारतीय अन्न सुरक्षा और मानक प्राधिकरण एवं अन्न-औषधि प्रशासन होते हुए नए प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है । इसलिए हलाल प्रमाणपत्र पर रोक लगाने के लि प्रयास करनेवाले हैं । इसके लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की गई है तथा २१ जून को उस पर सुनवाई होनेवाली है ।

३. प्रश्न : श्रीराम सेना पर गोवा में प्रतिबंध है । उस संबंध में आपका क्या कहना है ?

उत्तर (सद्गुरु डॉ. पिंगळे) : गोवा सरकार ने हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को सकारात्मक आश्वासन दिया है । हम सरकार के निर्णय की प्रतीक्षा कर रहे हैं ।

४. धर्मांतरण प्रतिबंधक कानून आवश्यक !

प्रश्न : गोवा में धर्मांतरण प्रतिबंधक कानून लागू करने की चर्चा हो रही है, उस संबंध में आपका क्या कहना है ?

उत्तर (सद्गुरु डॉ. पिंगळे) : धर्मांतरण मानवता के विरोध में अपराध है । सर्व धर्म समान हैं, तो धर्मांतरण क्यों किया जाता है ? मानवी अधिकार, संसार को प्रेम और शांति देने की बातें करनेवाले पंथ के लोग ‘इन्क्विजिशन’ करते हैं । लोगों को प्रलोभन देकर और उनकी गरीबी का अनुचित लाभ उठाकर धर्मांतरण किया जा रहा है । इसलिए धर्मांतरण प्रतिबंधक कानून बनाना आवश्यक है । इस संबंध में अधिवेशन में प्रस्ताव पारित किया गया है । स्थानीय जनप्रतिनिधि, विधायक, सांसद इसकी मांग सरकार से करें । गोवा सरकार धर्मांतरण प्रतिबंधक कानून का प्रस्ताव संसद में प्रस्तुत करे ।

५. भगवान परशुराम ही गोवा के आराध्य !

प्रश्न : प्रा. सुभाष वेलिंगकर ने ‘सेंट जेवियर’ को ‘गोयंचो साब’ कहने का विरोध किया है । उस संबंध में आपका क्या कहना है ?

उत्तर (श्री. रमेश शिंदे) : जिस सेंट जेवियर की मांग के कारण गोवा में इन्क्विजिशन किया गया, गोमंतकियों को स्वयं की भूमि छोडकर विस्थापित होना पडा, उसे ‘गोयंचो साब’ कैसे कह सकते हैं ? गोमंतकियों पर अनन्वित अत्याचार करनेवाले पुर्तगालियों को भगाने के लिए गोमंतकियों ने संघर्ष किया, उन पुर्तगालियों की स्मृतियों का स्मरण क्यों किया जाए ? ‘भगवान परशुराम ही इस गोमंतक भूमि के आराध्य हैं’, ऐसा हम हिन्दू मानते हैं ।

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