14 जून हिन्दू राष्ट्र संसद – हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु संसदीय और संवैधानिक मार्ग

व्यासपीठ पर सभापति – देहली के ‘भारतमाता परिवार’के महासचिव तथा सर्वाेच्च न्यायालय के अधिवक्ता उमेश शर्मा, २. उपसभापति – हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ३. सचिव – सनातन संस्था के प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस

दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में हिन्दू राष्ट्र संसद में महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव पारित !

प्राचीन धर्मशास्त्रों के आधार पर भारतीय संविधान तैयार किया जाए !

रामनाथी (गोवा) – ईसाईबहुल देशों में ‘बाईबल’ और इस्लामी देशों में ‘कुरान-हदीस’ के आधार पर संविधान बनाए गए, उसी प्रकार भारतीय संविधान भी प्राचीन धर्मशास्त्रों के आधार पर तैयार की जाए, यह महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव यहां के दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन की द्वितीय हिन्दू राष्ट्र संसद में पारित किया गया । इस संसद के सभापतिपद पर सर्वाेच्च न्यायालय के अधिवक्ता उमेश शर्मा, उपसभापति हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे, तो सचिव पद पर सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस विराजमान थे ।

‘संविधान बनाते समय शंकराचार्य, धर्माचार्य जैसे धर्म के जानकारों का मत लिया जाए ।’, ‘भारतीय संविधान में ‘पंथ’ एवं ‘धर्म’, साथ ही ‘रिलीजन’ आदि की परिभाषाएं स्पष्ट की जाएं ।’ ‘चुनाव के समय में की जानेवाली घोषणाएं कितने दिनों में पूर्ण किए जाएंगे ?’, इसके लिए राजनीतिक दल समयावधि सुनिश्चित करें आदि विविध प्रस्ताव इस हिन्दू राष्ट्र संसद में रखे गए । विभिन्न जयघोषों के उत्स्फूर्त प्रत्युत्तर के द्वारा उपस्थित सदस्यों ने इन प्रस्तावों का अनुमोदन किया ।

उपसभापति श्री. रमेश शिंदे द्वारा सभापति मंडल की ओर से प्रस्तावों पर रखी गई भूमिका !

१. भारत प्राचीन संस्कृति धारण किया हुआ राष्ट्र है । भारत किसी व्यक्ति की विचारधारा पर चलनेवाला नहीं है; इसलिए संविधान में विद्यमान ‘धर्मनिरपेक्षता’ और ‘समाजवाद’ इन शब्दों को हटाया जाए ।

२. पारसी लोगों के मंदिर में अन्य धर्मियों को प्रवेश नहीं दिया जाता । संविधान इस प्रथा का सम्मान करता है, तो शबरीमला मंदिर में ५० वर्ष आयुसमूहतक की महिलाओं को प्रवेश न देने की प्रथा का भी सम्मान होना चाहिए ।

३. विश्व में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं; उसके कारण किसी को अल्पसंख्यक की श्रेणी न देकर वह वैश्विक स्तर के आधार पर देनी चाहिए । ‘भारत की दृष्टि से किसी को अल्पसंख्यक क्यों प्रमाणित करना चाहिए ?’, इस विषय पर विस्तार से विचारमंथन होना चाहिए । ‘अल्पसंख्यक’ इस संकल्पना की परिभाषा सुनिश्चित की जाए ।

४. लव्ह जिहाद की घटनाओं का विस्तार से अध्ययन होना चाहिए । महिला आयोग को ऐसे प्रकरणों का अध्ययन करना चाहिए । हिन्दू युवती ने यदि अन्य धर्मी से विवाह किया हो, तो महिला आयोग को विवाह के एक वर्ष उपरांत उसकी साक्ष लेनी चाहिए । महिला आयोग को ‘क्या विवाहित युवती पर धर्मपरिवर्तन के लिए जबरदस्ती की जा रही है ?’, इसे देखना चाहिए ।

५. लव जिहाद को अस्तित्व न होने का ब्योरा देनेवाले राष्ट्रीय अन्वेषण विभाग को केरल में घटित लव जिहाद की घटनाओं के तथ्यों की पडताल कर इस विषय में पुनः जांच कर सर्वाेच्च न्यायालय को उस विषय में जानकारी देनी चाहिए ।

६. ईशनिंदा के विरोध में कानून बनाते समय उसमें कौनसे प्रावधान होने चाहिएं, यह सुनिश्चित करने के लिए यह प्रस्ताव संशोधन समिति को भेजना चाहिए ।

७. आरक्षण के सर्वंकष अध्ययन के लिए सरकार समिति का गठन करे । आर्थिक आरक्षण के विषय पर विस्तार से चर्चा ली जाए ।

हिन्दू राष्ट्र संसद में पारित प्रस्तावों के विषय में क्या कानून में इन प्रस्तावों के विषय में प्रावधान है ?, इसका अध्ययन हो ! – उमेश शर्मा, सभापति

‘हिन्दू राष्ट्र संसद में जो प्रस्ताव पारित किए गए, उन्हें पारित करने के लिए वर्तमान कानून नों में क्या कोई प्रावधान हैं ?’, इसका अध्ययन किया जाना चाहिए । जिन विषयों में कानून नहीं है, उन विषयों में कौनसे न्यायालयी निर्देश हैं क्या ?, इसे देखा जाए । शासन के अनुचित निर्णयों में राज्य सरकार तुरंत संशोधन करे । संशोधन न होते हो, तो उसके विरोध में चरणबद्ध पद्धति से शिकायत की जाए ।

हिन्दू राष्ट्र संसद में सहभागी सदस्यों और विशेषज्ञ समिति के सदस्यों द्वारा रखे गए सूत्र !

१. ‘लव जिहाद’ का कठोर कानून बने ! – आनंद जाखोटिया, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश राज्य समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति

भारत हिन्दू राष्ट्र बने । हिन्दुत्वनिष्ठ सरकार का उपयोग हिन्दू धर्म के लिए हो । मंदिर के पुजारियों और वेदपाठशालाओं को शासन से आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए । पुलिस गोतस्करों को बिना कार्यवाही कर छोड देती है । इसके लिए कठोर कानून बनना चाहिए । लव जिहाद के विरोध में कठोर कानून बनना चाहिए । जो दोषी है, उसे दंड मिलना चाहिए । हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ता राष्ट्र और धर्म के लिए आंदोलन करने हैं; परंतु हिन्दुत्वनिष्ठों पर ही झूठे अभियोग प्रविष्ट किए जाते हैं । हिन्दुत्वनिष्ठ सरकार आने के उपरांत उन पर प्रविष्ट अभियोग वापस लेने चाहिएं । अल्पसंख्यक राष्ट्रहित के लिए कोई कार्य नहीं करते, उस विषय में विचार हो ।

२. श्री. शंभू गवारे, पूर्व एवं पूर्वाेत्तर भारत राज्य समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति – हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ता को कारागृह में डाले जाने पर उसके परिवार को अनेक संघर्षाें का सामना करना पडता है । उनके बच्चों के भविष्य का विचार नहीं किया जाता, उसके कारण उसके परिवार को आवश्यक सहायता नहीं मिलती । इसके विपरीत धर्मांधों को कारागृह में जाना पडे, तो उनके प्रति सहानुभूति दिखाने का प्रयास होता है; इसलिए हिन्दुओं को भी उनके कार्यकर्ताओं पर हो रही अनावश्यक कार्यवाही टालने हेतु दबावसमूह तैयार करना चाहिए ।

३. अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, हिन्दू विधिज्ञ परिषद – कानून सभी के लिए समान है, तो उसका लाभ कैसे उठाया जाना चाहिए, इस पर हिन्दुओं को विचार करना चाहिए । जनप्रतिनिधि के चुनकर आने पर उसके कार्यकाल में उसकी संपत्ति दोगुनी हो जाती है । ऐसे जनप्रतिनिधियों की जानकारी रिश्वतखोरी प्रतिबंधक विभाग को दी जानी चाहिए । हिन्दुओं को लोकतंत्र की आलोचना करने का अधिकार है । हिन्दुओं को लोकतंत्र की त्रुटियां दिखा देनी चाहिए । मांसाहार के विषय में वस्तुनिष्ठ विचार करते समय पशुवधगृह में १ किलो मांस बनाने के लिए आनेवाला खर्च, उदा. पानी, बिजली, यातायात के लिए बहुत खर्च होता है । उसकी तुलना में १ किलो गेहूं बडी सहजता से उपलब्ध होते हैं । मांसाहार एक बहुत खर्चिला आहार है । पशुवधगृह चलाना विश्व की एक गंभीर समस्या होने की कगार पर है ।

४. श्री. संजय शर्मा, गोरक्षक, धुळे, महाराष्ट्र – हिन्दुओं को कानून की जानकारी नहीं है । वह उन्हें देनी चाहिए । पुलिस गोतस्करों पर कठोर कार्यवाही करने के स्थान पर उनकी सहायता करते हैं । गोहत्या करनेवालों की संपत्ति जब्त की जानी चाहिए । गोतस्करों पर ६ महिनों की मामुली कार्यवाही न कर उन पर कठोर कार्यवाही की जाए ।

५. श्री. विनोदकुमार सर्वाेदय, गाजियाबाद, उत्तरप्रदेश – अल्पसंख्यांक आयोग का अस्वीकार कर उसके माध्यम से मुसलमानों का किया जानेवाला तुष्टीकरण रोकना चा हिए । राजनीतिक दलों में भी अल्पसंख्यकों का सशक्तिकरण हो रहा है, उसे रोका जाए ।

६. श्री. राहुल कौल, पनून कश्मीर (हमारा कश्मीर) – विगत ३२ वर्षाें से कश्मीरी हिन्दू अपने पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे हैं । उनकी भांति अन्य किसी पर भी विस्थापित होने की स्थिति न आए, इसके लिए कानून बनाया जाए ।

७. श्री. मनोज खाडये, पश्चिम महाराष्ट्र एवं गुजरात राज्य संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति – आज के समय में भारतीय न्यायव्यवस्था सहस्रों वर्ष पूर्व की हिन्दू विचार परंपरा का विचार करती हुई दिखाई नहीं देती । अतः हिन्दू धर्म प्राचीन और सर्वश्रेष्ठ होने के कारण कानूनों का मूल स्रोत हिन्दू धर्म होना चाहिए ।

८. श्री. नरेंद्र सुर्वे, हिन्दू जनजागृति समिति – बहुसंख्यक हिन्दुओं के भारत में हिन्दुओं को यथोचित स्थान नहीं दिया जाता । सर्वाेच्च न्यायालय ने विवाहबाह्य संबंधों और समलैंगिकता को अनुमति दी है । इससे भारत के उच्च सांस्कृतिक मूल्यों पर आघात हुए हैं ।

९. श्री. अलोक तिवारी, हिन्दुत्वनिष्ठ, प्रतापगढ – अनेक लोगों को संविधान के विषय में कोई जानकारी ही नहीं होती; इसलिए लोगों को सरल भाषा में संविधान सिखाया जाना चाहिए । हिन्दू समाज पर आघात करनेवालों को दंडनीय कार्यवाही होनी चाहिए ।

१०. श्री. अनिर्बान नियोगी, महासचिव, ‘सलकिया भारतीय साधक समाज’, हावडा (बंगाल) – भारतीय जीवनपद्धति के लिए अपेक्षित न्यायव्यवस्था स्थापित होनी चाहिए । भारतीय शासनव्यवस्था में सुधार लाने हेतु शिक्षा विभागप्रमुखों और शिक्षाधिकारियों को वेद और संस्कृत भाषा में कुशल होना चाहिए ।

११. ईश्वरप्रसाद खंडेलवाल, लष्कर-ए-हिन्द, पालघर (मुंबई) – गुरुकुल शिक्षापद्धति मंडल का गठन किया जाए ।

१२. श्री. रमेश शिंदे, उपसभापति, हिन्दू राष्ट्र संसद – जनप्रतिनिधि जिस चुनावक्षेत्र से चुनकर आते हैं, उस चुनावक्षेत्र के नागरिकों द्वारा उनके कार्य का मूल्यमापन किया जाए । संविधान की रचना भारतीय संस्कृति के अनुसार हो । गुरुकुल शिक्षामंडल का गठन हो, शिक्षा विभागप्रमुख वेद और संस्कृत भाषा में प्रवीण होना चाहिए ।

‘द्वितीय हिन्दू राष्ट्र संसद में पारित ये सभी प्रस्ताव भारतीय संसद के जनप्रतिनिधियों को भेजे जाएंगे’, ऐसा उपसभापति श्री. रमेश शिंदे ने बताया । हिन्दू राष्ट्र संसद का समापन होने के उपरांत उपस्थित धर्मनिष्ठों की उत्स्फूर्त नारेबाजी से सभागार गूंज उठा !

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