जलगांव में हिन्दू जनजागृति समिति का प्रांतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन हुआ संपन्न !

दीपप्रज्वलन करते हुए (दाहिनी ओर से) सद्गुरु नंदकुमार जाधवजी, श्री. सुनील घनवट और अधिवक्ता सुशील अत्रे

जलगांव : हिन्दू राष्ट्र के लिए ब्राह्मतेज और क्षात्रतेज इन दोनों की आवश्यकता है तथा इसका सर्वाेत्तम उदाहरण है छत्रपति शिवाजी महाराज ! समर्थ रामदासस्वामी द्वारा बताए अनुसार सैनिकों का संगठनकर छत्रपतिजी ने हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना की । उसके अनुसार ही ‘सामर्थ्य है आंदोलन का, जो जो करेगा उसका; परंतु वहां भगवान का अधिष्ठान होना आवश्यक’, इस वचन के अनुसार हिन्दुओं को साधना कर भगवान का अधिष्ठान प्राप्त कर लेना आवश्यक होता है । आध्यात्मिक साधना को महत्त्व देकर प्रत्येक हिन्दू को इस कार्य में सम्मिलित होना आवश्यक है, ऐसा मार्गदर्शन सद्गुरु नंदकुमार जाधवजी ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से हाल ही में यहां आयोजित प्रांतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के उद्घाटन के अवसर पर वे ऐसा बोल रहे थे ।

अधिवेशन में उपस्थित धर्मप्रेमी

इस अधिवेशन का उद्घाटन सनातन के धर्मप्रचारक सद्गुरु नंदकुमार जाधवजी के करकमलों से हुआ । इस समय व्यासपीठ पर अधिवक्ता सुशील अत्रे, साथ ही हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट उपस्थित थे । इस अधिवेशन में अलग-अलग विषयों पर मान्यवरों का मार्गदर्शन हुआ । अंत में उपस्थित धर्मप्रेमियों ने अपना मनोगत व्यक्त किया । इस अधिवेशन में जलगांव, धुले, नंदुरबार, नासिक एवं मालेगांव क्षेत्र से आए हिन्दुत्वनिष्ठ उपस्थित थे ।

समूहचर्चा में सम्मिलित हिन्दुत्वनिष्ठ

कानून स्वीकार्य न हों, तो उन्हें आधिकारिक तंत्र से रद्द प्रमाणित किया जाए ! – अधिवक्ता सुशील अत्रे, जलगांव

हिन्दू धर्म किसी एक ग्रंथ पर आधारित नहीं है, अपितु वह एक सर्वसमावेशी वैश्विक तत्त्व है । अन्य धर्मियों को हमारे धर्मग्रंथ के प्रति जितनी आस्था है, उतनी आस्था हिन्दुओं में दिखाई नहीं देती । समाज में धर्म की अपेक्षा जाति को अधिक महत्त्व दिया जाता है । देश के जनप्रतिनिधि धर्मनिरपेक्ष होने का दिखावा करने में निष्णात हैं । संसद द्वारा पारित ३ कृषि कानून जनता की मांग पर वापस लेने पडे । कानूनभंग एक शस्त्र है । उसका उचित स्थान पर और उचित व्यक्ति के विरुद्ध उपयोग करना पडता है । इसलिए कानून स्वीकार्य न हो, तो उन्हें आधिकारिक तंत्र की ओर से रद्द कराना पडता है ।

किलों का जतन एवं संवर्धन आवश्यक ! – डॉ. अभय रावते, यावल

किलों के प्रति हिन्दुओं में उपेक्षा दिखाई देती है । यावल के राजे निंबाळकर किले की दयनीय स्थिति बन गई है; इसलिए कुछ स्वयंसेवकों ने उसकी स्वच्छता की । फरवरी २०२२ में पहली बार इस किले पर शिवजयंती का उत्सव मनाया गया । ‘एक दिन महाराज के लिए’, यह योजना चलाई गई । उसमें अनेक स्वयंसेवकों ने भाग लेकर किले की स्थिति में सुधार करने का प्रयास किया । सामजिक प्रसारमाध्यमों द्वारा इस ऐतिहासिक किले के पहले के और आज के छायाचित्र प्रसारित किए गए, जिससे लोगों को उसका महत्त्व ध्यान में आया ।

गोमाता की रक्षा करना प्रत्येक हिन्दू का कर्तव्य ही है ! – योगेश पाटिल, गोरक्षक, एरंडोल, जलगांव

श्रीकृष्ण ने स्वयं गोसेवा की है; उसी प्रकार से हम सभी को गोमाता की सेवा और उसकी रक्षा करना आवश्यक है । यह सेवा सभी प्रकार के सुख प्रदान करनेवाली है । भारत में पहले का ९० करोड संख्या का गोवंश आज केवल ८ करोडतक आ पहुंचा है । स्वतंत्रता से पूर्व भारत में ३१० पशुवधगृह थे, जो अब ३ सहस्र ६०० है ।

हलाल जिहाद : एक भावी संकट ! – सुनील घनवट, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति

इस्लाम के अनुसार ‘हलाल शब्द’ का अर्थ है वैध ! मूलतः मांस के संदर्भ में की जानेवाली हलाल की मांग अब शाकाहारी खाद्यपदार्थाेंसहित सौंदर्यप्रसाधनों, औषधियों, चिकित्सालयों, गृहसंस्थाओं, मॉल जैसे अनेक विषयों में की जा रही है । उसके लिए निजी इस्लामी संगठनों ने हलाल प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य किया गया है । धर्मनिरपेक्ष भारत में भारत सरकार के अन्न सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण विभाग से एक बार प्रमाणपत्र लेने पर निजी इस्लामी प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य किसलिए ? भारत में मुसलमानों की जनसंख्या केवल १५ प्रतिशत होते हुए भी शेष ८५ प्रतिशत हिन्दुओं पर हलाल प्रमाणपत्र क्यों थोपा जा रहा है ? धर्मनिरपेक्ष भारत में धर्म पर आधारित समानांतर अर्थव्यवस्था चलाई जाना, देश की सुरक्षा की दृष्टि से गंभीर बात है । इसलिए सरकार को हलाल प्रमाणपत्र व्यवस्था तुरंत बंद कर देनी चाहिए और नागरिक भी हलाल उत्पादों का बहिष्कार करें ।

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