हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का स्वप्न साकार करने हेतु अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन एक आश्‍वासक पग !

रामनाथी, गोवा में मई-जून २०१९ में होनेवाले ‘अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन’ के निमित्त…

धर्माधिष्ठित ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्वर्णिम प्रभात अब दूर नहीं !

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के उद्देश्य से हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन का यह आठवां वर्ष है । वर्ष २०१२ में रामनाथी, गोवा में संपन्न हुए प्रथम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन से प्रेरणा लेकर सामान्य परंतु धर्म एवं राष्ट्र के प्रति अभिमान रखनेवाले हिन्दू एकत्रित आने लगे । प्रतिवर्ष हो रहे इन अधिवेशनों के माध्यम से, देखते ही देखते देशभर के सैकडों हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का संगठन भी होने लगा । लव जिहाद, हिन्दुओं का धर्मांतरण, गोहत्या, कश्मीरी हिन्दुओं का विस्थापन, हिन्दू देवी-देवताओं का अनादर इत्यादि हिन्दुओं पर अनगिनत आघातों में से एक- दो आघातों के विरुद्ध लडनेवाले सैकडों हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन, ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना’ जैसे व्यापक और सर्वसमावेशक ध्येय से प्रेरित हुए । हिन्दुत्वनिष्ठ नेता और कार्यकर्ताओं तक यह संगठन सीमित न रहकर, धर्माचार्य, संत, विविध संप्रदायों के अनुयायी, निवृत्त न्यायाधीश, अधिवक्ता, संपादक, पत्रकार, उद्योगपति, विचारक, इतिहासकार, डॉक्टर्स, स्वरक्षा प्रशिक्षक इत्यादि का अर्थात विविध क्षेत्रों से संबंधित जानकारों का अभेद्य संगठन बन गया है । देश के २२ राज्य तथा बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, मलेशिया इत्यादि देशों के सैकडों हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के संगठन का वज्र समान अभेद्य कवच तैयार हुआ है । इस संगठन का स्वरूप केवल तात्कालिक और वैचारिक स्तर पर ही नहीं रहा, इसे निरंतर सक्रियता भी प्राप्त हुई ।

जिहादी आतंकवाद के भय से ९० के दशक में जहां सैकडों नहीं, सहस्रों नहीं, पूरे साढे तीन लाख कश्मीरी हिन्दू परिवारों को अपना घर-बार, पैसा, सेब के बाग इत्यादि पर तुलसीपत्र छोडकर निर्वासित होना पडा, तब उनकी ओर से बोलनेवाला एक भी राजनीतिक दल नहीं था और राष्ट्रव्यापी तो क्या, किसी प्रांत में भी कदाचित ही आंदोलन हुए हों । आज का चित्र अलग है । देश के किसी भी कोने में कहीं भी राष्ट्र और धर्म पर होनेवाले आघातों के विरुद्ध प्रत्येक माह में एक ही समय १० राज्यों के ५० शहरों में ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’ होते हैं । इन आंदोलनों के माध्यम से अपनी जाति, संप्रदाय, संगठन, प्रांत, राजनीतिक दल इत्यादि को एक ओर रखकर, एकत्रित हुए पूरे देश के हिन्दू और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन, अपनी आवाज परिणामकारक रूप से सरकार तक पहुंचा रहे हैं । अब तक के अधिवेशनों की फलोत्पत्ति देखने के उपरांत इस बार के अष्टम अर्थात आठवें अखिल भारतीय अधिवेशन का स्वरूप अब हम देखेंगे । २७ मई से ८ जून २०१९ तक होनेवाले अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के अंंतर्गत २७ और २८ मई को धर्मप्रेमी अधिवक्ता अधिवेशन होगा । हिन्दू धर्मरक्षा के लिए लडनेवाले हिन्दुओं को आज विविध स्तरों पर अन्याय सहन करना पड रहा है । ऐसे समय उन्हें नि:शुल्क वैधानिक (कानूनी) सहायता मिलना आवश्यक है । इस पृष्ठभूमि पर गत विविध अधिवक्ता अधिवेशनों से पूरे भारत के हिन्दुत्वनिष्ठ अधिवक्ताओं का संगठन हो रहा है । अब इस अधिवेशन से अधिवक्ता संगठन अधिक सुदृढ होगा । दूसरी ओर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के व्यापक उद्देश्य से तत्पर हिन्दुत्वनिष्ठों को,
वैधानिक मार्ग से आंदोलन कैसे कर सकते हैं, इसके लिए कानून की आवश्यक शिक्षा देना, ‘जनहित याचिका कैसे प्रविष्ट करनी चाहिए, इसकी जानकारी देना’, ‘सूचना के अधिकार का उपयोग कैसे करना चाहिए’, ऐसे सूत्र सिखाने से धर्मप्रसार, हिन्दू-संगठन और धर्मरक्षा
करनेवाले हिन्दुत्वनिष्ठों के कार्य की फलोत्पत्ति, इसमें भारी मात्रा में वृद्धि हो सकती है । इसके साथ ही इस अधिवेशन से न्यायव्यवस्था
की भ्रष्टाचारी प्रवृत्तियों के विरुद्ध न्यायालयीन संघर्ष में भी संगठित रूप से सहभागी होना संभव होगा ।

आज हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु अर्थात धर्मस्थापना के लिए विचार, धन, मनुष्यबल, प्रत्येक स्तर पर ऐसे योगदान की आवश्यकता
है । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में जितना महत्त्व ब्राह्मतेज और क्षात्रतेज युक्त योगदान का है, उतना ही महत्त्व दानवीर का भी
है । धर्म के उत्कर्ष हेतु उद्योगपतियों का संगठन बढे, साथ ही इस माध्यम से उनकी साधना हो, इस उद्देश्य से २८ मई २०१९ को उद्योगपति अधिवेशन का आयोजन किया गया है ।

२९ मई से ४ जून को अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन संपन्न होगा । इस अधिवेशन के माध्यम से देश-विदेश में हिन्दुओं
पर होनेवाले अन्याय और अत्याचार के संदर्भ में विचारों का आदान-प्रदान होगा । इसके साथ ही हिन्दू धर्मरक्षा और राष्ट्ररक्षा के लिए
राष्ट्रीय स्तर पर परिणामकारक हिन्दू-संगठन और अधिक शक्तिशाली कैसे बन सकता है, इस पर विचार होगा । इस समय हिन्दू राष्ट्र की
स्थापना के लिए आगामी वर्ष का समान कृति कार्यक्रम सुनिश्‍चित किया जाएगा ।

‘हिन्दू-संगठन’ हिन्दू राष्ट्र स्थापना का मर्म है । इसी उद्देश्य से ५ से ८ जून तक होनेवाले चतुर्थ हिन्दू राष्ट्र-संगठक अधिवेशन महत्त्वपूर्ण होगा । आदर्श संगठक में कौन-से गुण होने चाहिए, कौन- से दोषों को दूर करने से हम कुशल संगठक बन सकते हैं, गुणों को साधना की जोड देना क्यों आवश्यक है, ऐसे विविध विषयों पर इस अधिवेशन में विचार-विमर्श और दिशादर्शन किया जाएगा । इससे हिन्दू राष्ट्र के ध्येय से प्रेरित संगठक तैयार होंगे ।

राजनीतिक स्तर पर हिन्दुओं के हित को ध्यान में रखना अब असंभव है । राष्ट्र और हिन्दू धर्म के वास्तविक हित को संभालने के लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना ही एकमात्र उपाय है । जनकल्याणकारी हिन्दू राष्ट्र का आदर्श पाठ पढानेवाले छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास आज हमारे सामने है ही ! भारत के प्रतिष्ठित बुद्धिजीवी वर्ग (‘इलीट क्लास’) ‘हिन्दू राष्ट्र’ की मांग को अप्राकृतिक कहते हैं । यहां यह सूत्र भी ध्यान में रखना चाहिए कि संसार के कोने-कोने में किसी देश में ऐसा कहीं भी नहीं है कि वहां के बहुसंख्यकों का अस्तित्व सामाजिक और राजनैतिक स्तर पर दिखाई नहीं देता । इसलिए संसार में ईसाईयों के १५७, मुसलमानों के ५२, बौद्धों के १२ तथा यहूदियों का अपना १ राष्ट्र है; परंतु संसार की ७०० करोड से अधिक जनसंख्या में से १०० करोड हिन्दुओं के हित की रक्षा हो, ऐसा एक भी राष्ट्र भूतल पर अस्तित्व में नहीं है । संसार का यह नियम भारत में केवल कांग्रेस के कारण उपेक्षित रहा । इसी नियम को ध्यान में रखते हुए भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करने के लिए वर्ष २०१२ में पहली बार हुए अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन का ऐरावत अब अष्टम अधिवेशन के माध्यम से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का स्वप्न यथार्थ में लाने की दृष्टि से और एक आश्‍वासक पग बढाएगा, यह सुनिश्‍चित है ।

– श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

अधिक पढें : हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु अष्टम ‘अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन’

Leave a Comment

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​