पाकिस्तान में हिन्दुओं व अल्पसंख्यकों पर अत्याचार जारी

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर होनेवाले अत्याचारों के विरोध में उठनेवाली आवाजों के बावजूद वहां इस दुष्चक्र का जारी रहना इस तथ्य का मुंह बोलता प्रमाण है कि पाकिस्तान सरकार ने अपने देश के अल्पसंख्यकों के प्रति किस कदर उदासीनतापूर्ण रवैया अपना रखा है !

जहां पाकिस्तान सरकार और उसकी सेना भारत में अपने पाले हुए आतंकवादियोंद्वारा लगातार हिंसा करवा रही है वहीं दूसरी ओर विभाजन के बाद पाकिस्तान में रह गए हिन्दू, सिख, ईसाई, हाजरा व अहमदिया अल्पसंख्यकों के विरोध में हिंसा, धर्मांतरण, नाबालिग अल्पसंख्यक कन्याओं के अपहरण, बलात्कार व जबरन विवाह का सिलसिला जारी है !

पाकिस्तान में अहमदियों की धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगी हुई है । अल्पसंख्यकों से बेगार करवाई जाती है और उनपर अत्याचार किया जाता है जिससे उनकी मौत तक हो जाती है ! उन्हें न आसानी से रोजगार मिलता है और न अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए ऋण ! यही नहीं विद्यालयों में अल्पसंख्यकों के विरोध में नफरत का पाठ पढाया जाता है । मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ हयूमन राइट्स इन २०१७’ के अनुसार, ‘‘देश की सेना की आलोचना या भारत से अच्छे संबंधों की वकालत करने के कारण पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का गायब होना जारी है ! ईश निंदा के झूठे आरोपों ने उन्हें चुप रहने पर मजबूर कर दिया है !’’

‘‘सरकार के अल्पसंख्यकों पर अत्याचार व हिंसा रोकने में असफल रहने के कारण वहां इनकी संख्या घट रही है । चरमपंथी पाकिस्तान की विशेष इस्लामिक पहचान बनाने पर आमादा हैं व सरकार ने उन्हें पूरी छूट दे रखी है !’’ अकेले सिंध प्रांत में ही २०१० से अब तक १२०० से अधिक लोगों का अपहरण किया जा चुका है और हालत यह है कि ५ हिन्दुओं सहित अकेले मई, २०१८ में ही अल्पसंख्यक समुदाय के १३ लोगों की हत्या की गई । इसी वर्ष २५ मार्च को सिंध के मातली जिले में ५०० हिन्दुओं को इस्लाम कबूल करवाया गया । इनमें अधिकांश वे लोग थे जो भारत में शरण लेने आए थे परंतु दीर्घावधि वीजा न मिलने के कारण उन्हें पाकिस्तान लौटना पडा !

पाक में अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों के ताजा उदाहरण निम्न में दर्ज हैं :

  • १७ दिसम्बर, २०१७ को पाकिस्तान के हांगू जिले में रहनेवाले सिखों ने आरोप लगाया कि स्थानीय अधिकारियोंद्वारा उन्हें धर्म परिवर्तन करने के लिए विवश किया जा रहा है व उन पर लगातार अत्याचार किए जा रहे हैं ! २२ दिसम्बर को पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक हिन्दू किशोरी के अपहरण के बाद उसका जबरन धर्म परिवर्तन करवाया गया । १० मार्च, २०१८ को बलूचिस्तान के नासिराबाद में अज्ञात हमलावरों ने जानिया कुमारी नामक हिन्दू महिला को कुल्हाडी से काट डाला ! ०५ अप्रैल को सिंध के डारो कस्बे में बंदूक की नोक पर एक हिन्दू बालक के अपहरण के बाद उसके साथ सामूहिक कुकर्म किया गया !
  • ०९ मई को शिकारपुर पुलिस ने एक हिन्दू व्यापारी चुन्नी लाल का सिर मुंडवा दिया । उसकी मूंछें और भौंहें भी काट दी गईं ! उस पर यह आरोप लगाया गया कि वह ब्याज पर पैसे उधार देता है । १३ मई को बलूचिस्तान प्रांत में एक हिन्दू व्यापारी जयपाल दास और उसके बेटे गिरीश नाथ की हत्या कर दी गई । १९ मई को कराची में ईसाई समुदाय के नेताओं ने आरोप लगाया कि ३० मार्च से अब तक नकाबपोश सुरक्षा अधिकारी उनके समुदाय के २४ युवकों को कराची के निकट से उठा कर ले गए !
  • २४ मई को स्यालकोट में ६०० उपद्रवियों की भीड़ ने रात ११ बजे अहमदिया समुदाय की एक बंद पडी मस्जिद पर हमला करके इसे ढहा दिया ! २५ मई को पाकिस्तान के सिंध प्रांत के मीरपुर खास शहर के वकील हीरा लाल का अपहरण करके अज्ञात हमलावर किसी गुप्त स्थान पर ले गए । पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय पर वहां की सरकार और सेना की शह पर किए जानेवाले अत्याचारों के ये तो चंद नमूने मात्र हैं !

इनके अलावा भी न जाने कितनी घटनाएं हुई होंगी जो प्रकाश में नहीं आ पाईं !

इस बीच पाकिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघनों के विरोध में वहां के अल्पसंख्यकों ने ‘साऊथ एशिया मायनारिटीज अलायंस फाऊंडेशन’ नामक एक संगठन बनाया है जिसे अमरीका की रिपब्लिकन पार्टी के कुछ सांसदों का समर्थन भी प्राप्त है !

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद तथा अमरीकन सैंटर फार लॉ एंड जस्टिस ने कहा है कि ‘‘ईसाइयों को उनकी आस्था की खातिर पाकिस्तान में मारा-पीटा जा रहा है, उनपर अत्याचार किया जा रहा है और उनकी हत्या की जा रही है अत: दुनिया के नेताओं को पाक के विरोध में तुरंत कार्यवाही करनी चाहिए !’’ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर होनेवाले अत्याचारों के विरोध में उठनेवाली आवाजों के बावजूद वहां इस दुष्चक्र का जारी रहना इस तथ्य का मुंह बोलता प्रमाण है कि पाकिस्तान सरकार ने अपने देश के अल्पसंख्यकों के प्रति किस कदर उदासीनतापूर्ण रवैया अपना रखा है ! – विजय कुमार

स्त्रोत : पंजाब केसरी

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