क्या आधुनिकतावादियों को जीवित मूर्ति का दान लेने का अधिकार है ? – रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

श्री गणेशचतुर्थी की पार्श्वभूमि पर हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा कोल्हापुर में पत्रकार परिषद

पत्रकार परिषद में बार्इं ओर से श्री. किरण दुसे, श्री. संभाजी भोकरे, अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर, श्री. रमेश शिंदे, श्री. रणजीत आयरेकर एवं श्री. शिवाजीराव ससे

कोल्हापुर – भारतीय संस्कृति एवं कानून पूजित मूर्ति को सजीव (जीवित) मानता है । अतः किसी भी देवस्थान के न्यासी देवी-देवताओं की ओर से कामकाज करते हैं । क्या पुरोगामियों को इस प्रकार सजीव मानी हुई मूर्ति का दान लेने का अधिकार है ? इसी के साथ साक्षात् जीवित के रूप में पूजित एवं हिन्दुओं की भावनाओं से जुडी श्री गणेशमूर्तियों को पर्यावरणवादी एवं अन्य लोग कूडे की गाडियों से ले जाकर डालते हैं। जिससे हिन्दुओं की भावनाएं आहत होती हैं । श्री गणेशमूर्ति के माध्यम से होनेवाला प्रदूषण नहीं के बराबर है । केवल हिन्दुओं के त्यौहार एवं उत्सवों का आनंद छीनने के उद्देश्य से चलनेवाले श्री गणेशमूर्तिदान समान ये प्रकरण बंद होने चाहिए, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने ऐसा स्पष्ट मत व्यक्त किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से शाहू स्मारक में आयोजित पत्रकार परिषद में वे बोल रहे थे ।

इस पत्रकार परिषद में शिवसेना के उपजिलाप्रमुख श्री. संभाजी भोकरे, युवासेना के जिला समन्वयक श्री. रणजीत आयरेकर, हिन्दू एकता आंदोलन के श्री. शिवाजीराव ससे, हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर एवं हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. किरण दुसे उपस्थित थे ।

इस अवसर पर श्री. रमेश शिंदे द्वारा प्रस्तुत अन्य सूत्र…

१. एक ओर पुरोगामी देव का अस्तित्व ही स्वीकार नहीं करते एवं दूसरी ओर जिनका अस्तित्व ही स्वीकार नहीं है, उनका दान भी मांगते हैं । क्या यह दोहरी नीति नहीं है ?

२. गणेशोत्सव से होनेवाला प्रदूषण एक प्रतिशत भी नहीं है, तब भी लोगों के मन में प्रदूषण के नाम पर भय फैला कर उनसे उत्सव मनाने का आनंद छीना जा रहा है ।

३. केवल मुंबई के देवनार पशुवधगृह में बकरी ईद के दिन कतल के कारण ३० लक्ष लिटर प्रदूषित पानी उत्पन्न होता है, तो महाराष्ट्र में कितना प्रदूषित पानी उत्पन्न होता होगा ? ऐसी स्थिति में भी इस पर कोई कुछ भाष्य न करते हुए केवल गणेशोत्सव के उपलक्ष्य में होनेवाले प्रदूषण पर बोलते हैं, जोे पूरी तरह से अयोग्य है । हाल ही में मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा मस्जिद के अवैध भोंगों के संदर्भ में निष्कर्ष दिया गया है । इस निष्कर्ष पर कौन कार्यवाही करेगा ? पुलिस प्रशासन द्वारा अभी तक कितने अवैध भोंगेवाली मस्जिदों को सूचनापत्र दिए गए ?

४. मूलतः हिन्दुओं के त्यौहार पर्यावरणपूरक हैं । हम निसर्ग को ईश्वर मानते हैं । इसीलिए हम सागर की पूजा करते हैं । इसके विपरीत, किसी प्रकार का प्रदूषण न हो, इस हेतु हिन्दू धर्मी अधिक जागृत हैं ।

इस अवसर पर बोलते हुए अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने कहा..

१. अलिबाग नगरपरिषद द्वारा पिछले वर्ष हिन्दू जनजागृति समिति के आवाहन की सत्यता को ध्यान में लेकर कृत्रिम हौज का निर्माणकार्य करने का निर्णय रद्द कर श्री गणेशमूर्तियों का विसर्जन प्राकृतिक स्रोतों में ही करने का निर्णय लिया गया है । यदि अलिबाग नगरपरिषद के लिए यह संभव है, तो कोल्हापुर महापालिका प्राकृतिक स्रोतों में ही विसर्जन करने का निर्णय क्यों नहीं ले सकती ?

२. गंदे पानी पर योग्य प्रक्रिया न करने के कारण कोल्हापुर महानगरपालिका को महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा अनेक बार सूचनापत्र दिए गए हैं । तदुपरांत एक बार १ लाख एवं दूसरी बार २ लाख रुपयों की महानगरपालिका की बैंक खाता नियंत्रण में ली गई है । इसके भी आगे जाकर कोल्हापुर महापालिका कार्यालय की विद्युतपूर्ति दो बार खंडित की गई है । उसी प्रकार पंचगंगा नदी के जलप्रदूषण के लिए उत्तरदायी तत्कालीन कोल्हापुर महानगरपालिका आयुक्त तथा जल-अभियंता के विरुद्ध ३ फौजदारी अभियोग प्रविष्ट किए गए हैं । इन बातों की ओर दुर्लक्ष क्यों किया जाता है ?

३. गतवर्ष पुणे महापालिका द्वारा दान में ली गई मूर्तियों को पुनः नदी में पेंâका गया था । यदि ऐसा ही होनेवाला है, तो श्री गणेशमूर्ति को दान में लिया ही क्यों जाता है ?

४. साधारणत: हिन्दुओं के सहिष्णु होने से ही ये घटनाएं हो रही हैं । इसलिए हिन्दुओं की धार्मिक परंपराओं से घात करनेवाले मूर्र्तिदान समान प्रकरण बंद होने आवश्यक हैं ।

अन्य धर्मियों के त्यौहारों के अवसर पर पर्यावरणवादी कहां रहते हैं ? – रमेश शिंदे

एक पत्रकार द्वारा प्रदूषण न होने हेतु, आप वर्षभर क्या करते हो, ऐसा प्रश्‍न पूछने पर श्री. रमेश शिंदे ने कहा कि हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से हम अनेक वर्षों से जलाशय प्रदूषित न होने के लिए पुणे का खडकवासला रक्षा उपक्रम चला रहे हैं । पटाखों के कारण होनेवाला प्रदूषण रोकने हेतु हम प्रयासरत हैं । समिति प्रदूषण न होने हेतु समिति केवल एक दिन नहीं, अपितु वर्षभर सक्रिय रहती है । इसके विपरीत ये कथित पर्यावरणवादी एवं पुरोगामी केवल हिन्दुओं के त्यौहारों के अवसर पर समय रहते ही सक्रिय होते हैं । अन्य धर्मियों के त्यौहार के समय वे कहां होते हैं ?

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