‘राष्ट्र-धर्म जागृति’ इस विषयपर ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ में मान्यवरों ने किया उद्बोधन

बाएं से चेतन राजहंस, पू. रामबालक दासजी महात्यागी महाराज, ऋषी वशिष्ठ, एस्थर धनराज और सूत्रसंचालन मैं श्री. कार्तिक साळुंखे

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में ‘हिन्दू राष्ट्र आक्षेप एवं खंडन’ इस ‘ई बुक’ का लोकार्पण !

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में २१ जून को ‘हिन्दू राष्ट्र – आक्षेप एवं खंडन’ इस मराठी एवं हिन्दी भाषा के ‘ई बुक’ का लोकार्पण छत्तीसगढ के श्री जामडी पाटेश्वरधाम सेवा संस्थान के संचालक पू. रामबालक दासजी महात्यागी महाराज के करकमलों से हुआ । इस समय व्यासपीठ पर सनातन के प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस, देहली के अर्थशास्त्रज्ञ श्री. ऋषी वशिष्ठ एवं तेलंगाना के भारतीय स्वाभिमान समिति की परामर्शदाता श्रीमती एस्थर धनराज उपस्थित थीं । यह ‘ई बुक’ विक्रय के लिए एमेजोन पर उपलब्ध रहेगी । भारत में सेक्युलरवादी ‘हिन्दू राष्ट्र’ पर आपत्ति उठाते हैं । सेक्युलरवादी हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना को संविधान विरोधी कहते हैं । इस प्रकार की अनेक आपत्तियों का खंडन इस पुस्तक में है ।

छोटे संगठनों को एकत्र कर हिन्दुत्व का कार्य करवाना चाहिए ! – पू. रामबालक दासजी महात्यागी महाराज, संचालक, श्री जामडी पाटेश्‍वरधाम सेवा संस्थान, पाटेश्‍वर धाम, छत्तीसगड

पू. रामबालक दासजी महात्यागी महाराज, संचालक, श्री जामडी पाटेश्‍वरधाम सेवा संस्थान, पाटेश्‍वर धाम, छत्तीसगड

विद्याधिराज सभागृह – ‘वैश्‍विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ के छठे दिन छत्तीसगड के श्री जामडी पाटेश्‍वरधाम सेवा संस्था के संचालक पू. रामबालक दासजी महात्यागी महाराजजी ने अपने वक्तव्य में कहा, ‘केवल व्यासपीठ से घोषणा करने से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना नहीं होगी । हिन्दू राष्ट्र की स्थापन के लिए प्रत्यक्ष कार्य करने की आवश्यकता है । भिन्न भिन्न पद्धति से कार्य करने से हिन्दुओं की शक्ति विभाजित होती है । गांव गांव में महिलाओं का गुट शासकीय योजनाओं द्वारा काम कर रहा है । इन महिलाओं के गुटों को धर्मकार्य में सहभागी करवाकर लेना चाहिए । गावों में जिस प्रकार स्वच्छता अभियान चलाया जाता है, उसी प्रकार संस्कारों के प्रसार के लिए अभियान चलाना चाहिए । इस प्रकार संस्कार वाहिनी के माध्यम से छत्तीसगड में १५ हजार लोग कार्यरत हैं । यह संख्या १ लाख तक पहुंचाने का हमारा संकल्प है । इन सबको काम करने के लिए जो साहित्य आवश्यक होती है वह सब संस्कार वाहिनी द्वारा उपलब्ध करवाकर दिए जाते हैं । यह साहित्य देने के लिए निधि की आवश्यकता होती है; परंतु संतों के मार्गदर्शन में कार्य करने से यह अडचन नहीं आती । राजनैतिक कार्य से बाहर आकर धर्म के लिए कार्य करना होगा । आर्य चाणक्य ने राजनैतिक शक्ति का उपयोग धर्मकार्य के लिए किया । इसका आदर्श सामने रख हम भी धर्मकार्य कर रहे हैं । इसके पूर्व राजनैतिक दलों ने हमारा उपयोग किया । अब हम राजनैतिक शक्ति का धर्मकार्य के लिए उपयोग कर रहे हैं । ईसाई मिशनरी प्रलोभन देकर निर्धन हिन्दुओं का धर्मांतरण करते हैं; परंतु हम हिन्दुओं को आवश्यक साहित्य उपलब्ध करवा कर दे रहे हैं । इसलिए छत्तीसगड में धर्मांतरण रोका जा सका । जो धर्मांतरित हुए हैं उन्हें दूर न करते हुए, उन्हें प्रेम से समीप लाना होगा । ऐसा करने से हिन्दुओं का धर्मातरण नहीं होगा । प्रभु श्रीराम ने वनवास काल में वानरों के साथ वनवासियों को प्रेम देकर उन्हें अपने कार्य से जोड कर लिया । प्रभु श्रीराम का आदर्श रखकर हमें कार्य करना है ।

भारत की इस्लामी अर्थव्यवस्था को समझ कर उसका विरोध करना चाहिए ! – ऋषि वशिष्ठ, अर्थशास्त्रज्ञ, देहली

ऋषि वशिष्ठ, अर्थशास्त्रज्ञ, देहली

रामनाथ (फोंडा) – भारत की इस्लामी अर्थव्यवस्था समझना आवश्यक है । कश्मीर में केसर की खेती, हिमाचल प्रदेश में सेब की खेती, राजस्थान में खनिज उद्योग, उत्तरप्रदेश में पान मसाला उद्योग, गुजरात में तेल उद्योग, कर्नाटक में चंदन की खेती, केरल में नारियल की खेती आदि की अर्थव्यवस्था संपूर्णतः मुसलमानों के पास है । यह केवल योगायोग नहीं,अपितु सनातन हिन्दू धर्म एवं हिन्दुओं पर किया जानेवाला ‘प्रयोग’ (षड्यंत्र) है । इसलिए भारत की इस इस्लामी अर्थव्यवस्था को समझकर लेना चाहिए, हिन्दुओं को समझाकर बताना चाहिए और उसका विरोध करना चाहिए, ऐसा आवाहन देहली के अर्थशास्त्रज्ञ ऋषि वशिष्ठ ने वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के छठे दिन किया ।

वे आगे बोले,

१. किसी भी प्रकार की मुहिम चलाने के लिए, संघर्ष करने के लिए धन की आवश्यकता होती है । धन के माध्यम से संघर्ष आरंभ किया जा सकता है, उसे समर्थन दिया जा सकता है । हिन्दुओं को ‘डिजिटल’ अर्थव्यवस्था का अभ्यास कर उसे सुदृढ बनाना चाहिए ।

२. भारत के बडे-बडे २-३ मंदिरों की अर्थव्यवस्था भी भारत के संपूर्ण राष्ट्रीय उत्पन्न की तुलना में अधिक है । ९५ प्रतिशत हिन्दू मंदिरों में दान करते हैं । उन्हें इस संघर्ष में सम्मिलित कर सकते हैं । उन्हें संगठित कर राष्ट्रीय, प्रादेशिक एवं जिलास्तरीय न्यास की स्थापना कर ऐसे हिन्दुओं को एक समान सूत्र में संगठित करने से इस्लामी षड्यंत्र रोक सकते हैं ।

३. ऐसा बताया जाता है कि भारत के मुसलमानों की संख्या बढ गई है । किसी गांव की लोकसंख्या गणना के लिए जब सरकारी अधिकारी जाते हैं तब एक घर में एक मुसलमान पुरुष की ३ पत्नियां और १० बच्चे दिखाए जाते हैं । दूसरे घर जाने पर वही लोग कुटुंब में दिखाए जाते हैं और उस संख्या के आधार पर सरकार से अनुदान, अनाज इत्यादि लिया जाता है । वही अनाज उस गांव के हिन्दुओं को मुसलमान अधिक मूल्य पर बेचते हैं । यह भी अर्थव्यवस्था के संदर्भ में एक षड्यंत्र है ।

४. भारत में जितने ‘मैट्रिमोनियल’ जालस्थल (विवाह मिलान करवानेवाले जालस्थल) हैं, उनमें ८० प्रतिशत इस्लामी देशों के हैं । इस माध्यम से लव जिहाद को प्रोत्साहन दिया जाता है । इसलिए हिन्दुओं को अपने ‘मैट्रिमोनियल’ जालस्थल आरंभ करने चाहिए ।

५. आर्य चाणाक्य ने अर्थव्यवस्था के विषय में ३ सूत्र बताए – भाव, स्वभाव एवं अभाव । भाव अर्थात जन्म से ही हम हिन्दू हैं, स्वभाव अर्थात सांस्कृतिक दृष्टि से हम सनातनी हिन्दू हैं; परंतु हममें अभाव है, तो स्वयं की अर्थव्यवस्था का ।भारतीय चलन पर छत्रपति शिवाजी महाराज एवं गुरु गोविंदसिंह के चित्र होने चाहिए, तो वहां म. गांधी का चित्र है, यही अभाव है ।

ईसाई धर्म प्राचीन है, ऐसा झूठा प्रचार कर ईसाइयों द्वारा भारत में धर्मांतरण ! – एस्थर धनराज, परामर्शदाता, भारतीय स्वाभिमान समिति, तेलंगाना

एस्थर धनराज, परामर्शदाता, भारतीय स्वाभिमान समिति, तेलंगाना

रामनाथ (फोंडा) – ईसामसीह के समय उसके शिष्य ने भारत में आकर यहां ईसाई धर्म का प्रचार किया, ऐसा झूठा प्रचार ईसाइयों द्वारा किया जा रहा है । प्रत्यक्ष में १६ वें शतक तक भारत में ईसाई धर्म अस्तित्व में नहीं था । ईसाई धर्म में सर्वाधिक अंधश्रद्धा है । विदेश में बडे विश्वविद्यालयों की स्थापना होने के उपरांत पहले १०० वर्ष वहां ईसाई धर्म की शिक्षा दी गई । उसके उपरांत विश्वविद्यालयों में अर्थशास्त्र, गणित आदि विविध विषय सिखाए जा रहे हैं । इसके विपरीत भारत के विश्वविद्यालयों में धर्म की शिक्षा नहीं दी जाती । ईसाई धर्मप्रचारक राष्ट्रविरोधी प्रचार कर रहे हैं । जब तक भारत का भूभाग ईसाइयों के लिए नहीं दिया जाएगा, तब तक उनके द्वारा हिन्दुओं का धर्मांतरण होता रहेगा । इस प्रकार ईसाई मिशनरियों का प्रचार चल रहा है । ऐसा होते हुए भी ईसाई धर्मप्रचारकों पर कोई कार्यवाही नहीं होती । ईसाई धर्मप्रचारकों को प्रचार करने से पूर्व हिन्दू धर्म के संबंध में शिक्षा देकर शत्रुभेद सिखाया जाता है । सभी हिन्दुओं को ईसाइयों के प्रचार की प्रणाली समझ लेनी चाहिए । हिन्दुओं को इसका अध्ययन करना आवश्यक है । हिन्दू इसका अध्ययन करेंगे, तब ही वे ईसाई धर्मप्रचारकों का प्रतिवाद कर पाएंगे, ऐसा वक्तव्य तेलंगाना के भारतीय स्वाभिमान समिति के परामर्शदाता एस्थर धनराज ने वैश्विक हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के छठवें दिन के सत्र में किया ।

‘लव जिहाद’ के षड्यंत्र की शिकार बने लडकियों को छुडाने के लिए सतर्कता समितियों का गठन करना आवश्यक ! – अधिवक्ता शैलेश कुलकर्णी, मुंबई उच्च न्यायालय का गोवा खंडपीठ, गोवा।

अधिवक्ता शैलेश कुलकर्णी, मुंबई उच्च न्यायालय का गोवा खंडपीठ, गोवा

रामनाथी – देश में बडी संख्या में लव जिहाद की घटनाएं हो रही हैं । इसके लिए धर्मांध युवक स्वयं को हिन्दू बताकर हिन्दू लडकियों से निकटता बढाते हैं तथा उसके उपरांत एक दिन उनके साथ विवाह करते हैं । उस लडकी का पहले ही वशीकरण किया होता है, उसके कारण वह उसे छोडकर नहीं जाती तथा वह जैसा बताएगा, वैसा करने लगती है । लडकी ने वैसा नहीं किया, तो उसके साथ बहुत मारपीट की जाती है । ऐसा होते-होते एक दिन उसका संपूर्ण जीवन ही ध्वस्त हो जाता है । इस प्रकार ‘लव जिहाद’ में फंसी लडकियों को उससे छुडाने के लिए हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को सतर्कता समितियों का गठन करना चाहिए, ऐसा मत गोवा के मुंबई उच्च न्यायालय की खंडपीठ में कार्यरत अधिवक्ता शैलेश कुलकर्णी ने व्यक्त किया । ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ के छठे दिन (२१.६.२०२३ को) वे ऐसा बोल रहे थे ।

इस अवसर पर अधिवक्ता शैलेश कुलकर्णी ने लव जिहाद के षड्यंत्र की शिकार हुई गोवा की एक हिन्दू लडकी को उन्होंने कैसे छुडाया, इसका अनुभव कथन किया । उन्होंने कहा, ‘‘गोवा की एक हिन्दू लडकी पुणे में नौकरी करती थी, उस समय एक धर्मांध युवक ने स्वयं को हिन्दू बताकर उसके साथ परिचय बढाया तथा उसके उपरांत उसके साथ विवाह किया । उसके उपरांत वह मुसलमान बनने के लिए उस पर दबाव डालने लगा । उसके लिए उसने उस लडकी के साथ बहुत मारपीट की । कुछ दिन उपरांत उस लडकी ने हिजाब, बुर्का एवं काले कपडे पहनने आरंभ किया । धर्मांध ने उसे ‘तुमने धर्मांतरण नहीं किया, तो मैं तुम्हें मार डालूंगा’, ऐसी धमकी दी । उसने अपनी एक सखी के माध्यम से अपने पिता को उसके संकट में होने का संदेश (मैसेज) भेजा । अर्थात उसके पिता ने यह प्रकरण मुझे सौंपा । उसके उपरांत मैं उसके पिता के साथ पुणे के कोथरूड में गया । पीडिता के घर जाने से पूर्व हमने पुणे के बजरंग दल एवं विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं को इस विषय में सूचित किया । उन्होंने हमारी सहायता के लिए २५० कार्यकर्ता दिए । इसके साथ ही हमने पहले से ही पुणे पुलिस को सूचित किया था; इसलिए वे भी हमारे साथ थे । आरंभ में लडकी ने हमारे साथ आना अस्वीकार किया; परंतु अंततः हम उसे लेकर स्थानीय पुलिस थाने में गए । वहां उसे समझाने पर उसने पुलिस को सभी जानकारी दी । लडकी ने लिखित स्पष्टीकरण में ‘मैं स्वयं उसके साथ गई हूं’, ऐसा लिखा तथा उस धर्मांध के विरुद्ध किसी प्रकार की शिकायत देना अस्वीकार किया । इससे ‘द केरला स्टोरी’ हमारे घरतक पहुंच गई है’, यह स्पष्ट होता है । इसे रोकने के लिए हम ‘पापा, प्लीज हेल्प मी’ (पिताजी, मेरी सहायता कीजिए), ऐसा अभियान भी चला सकते हैं ।’’

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