‘समकालीन मुद्दे एवं संवैधानिक सुधार’ इस विषयपर ‘वैश्‍विक हिंदु राष्ट्र महोत्सव’ में मान्यवरों ने दिए भाषण

‘ब्रेकिंग इंडिया फोर्सेस’के द्वारा युवकों को भारत के विरुद्ध खडे करने का षड्यंत्र ! – रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

रामनाथी – वामपंथी शक्तियों ने भारत के शिक्षातंत्र को खोखला बना दिया है तथा उनमें देशविरोधी गतिविधियां चल रही हैं । अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले; इसके लिए हिन्दू अभिभावक बच्चों को बडे विश्वविद्यालयों में भेजते हैं; परंतु ये विश्वविद्यालय शिक्षा देने के स्थान पर प्रोपोगंडा बनाने के (राजनीतिक दुष्प्रचार एवं अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन करनेवाले) केंद्र बन चुके हैं । शिक्षा का संस्कारों के साथ के संबंध को वामपंथियों ने कभी का तोड दिया है । विश्वविद्यालयों में भावी पीढी को राष्ट्रविरोधी बनाने का काम चल रहा है । इसे रोकने के लिए हमें शिक्षा एवं संस्कार दिलानेवाली गुरुकुल शिक्षाव्यवस्था का समर्थन करना होगा । वामपंथी स्वयं को मानवतावादी एवं पर्यावरणवादी दिखाने का प्रयास करते हैं । विश्व में वामपंथियों का सत्ता में आने का इतिहास रक्तरंजित है । उसके कारण हिन्दुओं को ‘ब्रेकिंग इंडिया फोर्सेस’ के षड्यंत्र की ओर गंभीरता से देखने की आवश्यकता है, अन्यथा भविष्य में भारतविरोधी गतिविधियां चलाने के लिए बाहर से आक्रमण करने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी । इस षड्यंत्र को रोकने के लिए इसे गंभीरता के साथ लेना पडेगा । इसके लिए विश्वविद्यालयों में राष्ट्रहित की तथा भारतीय संस्कृति की शिक्षा देनी पडेगी तथा इसके लिए हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता है । श्री. रमेश शिंदे ने ऐसा स्पष्टतापूर्ण प्रतिपादन किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के तीसरे दिन (१८.६.२०२३ को) उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों को संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे ।

इस अवसर पर व्यासपीठ पर प्रज्ञा मठ पब्लिकेशन के लेखक तथा प्रकाशक मेजर सरस त्रिपाठी, कर्नाटक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अमृतेश एन्.पी. तथा मुंबई के उच्च न्यायालय में कार्यतर अधिवक्ता श्रीमती सिद्ध विद्या उपस्थित थीं ।

कर्नाटक सरकार के हिन्दूविरोधी निर्णयों के विरुद्ध लडाई लडने के लिए हम प्रतिबद्ध ! – अधिवक्ता अमृतेश एन्.पी.

अधिवक्ता अमृतेश एन्.पी.

रामनाथी : कुछ दिन पूर्व कर्नाटक में सत्तापरिवर्तन हुआ । अब वहां कांग्रेस सत्ता में आई है । निवर्तमान भाजपा की सरकार ने राज्य में कुछ नए कानून लाए थे; परंतु उन कानूनों का प्रत्यक्ष क्रियान्वयन करने में वह सरकार अल्प सिद्ध हुई थी । कांग्रेस ने सत्ता में आते ही क्रमिक पुस्तकों से वीर सावरकर एवं डॉ. हेगडेवारजी के पाठ हठाने का निर्णय लिया, साथ ही धर्मांतरणविरोधी कानून वापस लेने की घोषणा की । इस सरकार ने अंधविश्वास निर्मूलन कानून का कठोर क्रियान्वयन करने की भी घोषणा की है । राज्य सरकार ने हिन्दू राष्ट्र के विषय में बुलाई गई बैठक की भी अनुमति नहीं दी । राज्य सरकार के इन हिन्दूविरोधी निर्णयों के विरुद्ध लडाई लडने के लिए हिन्दू विधिज्ञ परिषद तैयार है । कर्नाटक के हिन्दू धर्मप्रेमियों की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं । हिन्दू विधिज्ञ परिषद के उपाध्यक्ष अधिवक्ता अमृतेश एन्.पी. ने ऐसा प्रतिपादित किया । यहां चल रहे वैश्विक हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के तीसरे दिन (१८.६.२०२३) को आयोजित सत्र में वे ऐसा बोल रहे थे ।

अधिवक्ता अमृतेश ने आगे कहा कि वकालत एक प्रतिष्ठित एवं समाजाभिमुख व्यवसाय है । सांप्रदायिक, सामाजिक इत्यादि विषयों पर अधिवक्ता अच्छी सूचनाएं कर सकते हैं । धार्मिक अधिकार संरक्षण कानून, गोवंशहत्याविरोधी कानून इत्यादि कानूनों की रक्षा के लिए हिन्दू विधिज्ञ परिषद निरंतर कार्यरत रहनेवाली है ।

सरकार ने ‘अल्पसंख्यक’ संज्ञा को परिभाषित किया, तो सभी समस्याएं समाप्त होंगी ! – मेजर सरस त्रिपाठी, लेखक तथा प्रकाशक, प्रज्ञा मठ पब्लिकेशन

मेजर सरस त्रिपाठी, लेखक तथा प्रकाशक, प्रज्ञा मठ पब्लिकेशन

रामनाथ देवस्थान – धर्मांधों को खुरासान से लेकर अराकानतक (पूर्व से लेकर पश्चिमतक) इस्लाम का ध्वज फहराना है । वे ब्रुनईतक (ब्रुनई इंडोनेशिया के निकट का एक क्षेत्र है, जहां पूर्व में इस्लामी साम्राज्य था ।) तक पहुंच गए हैं, अब उन्हें केवल भारत जीतना है । उसके कारण भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाना उनकी नीति (एजेंडा) हहै तथा भारत में तो हमें सर्वधर्मसमभाव सिखाया जा रहा है । अतः हिन्दू के रूप में बने रहना हो, तो हमें सभी स्तरों पर लडाई लडने की आवश्यकता है, ऐसा मेजर सरस त्रिपाठी ने प्रतिपादित किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के तीसरे दिन (१८.६.२०२३ को) उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों को संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे ।

मेजर सरस त्रिपाठी ने आगे कहा,

‘‘तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सरकार ने भारत के मूल संविधान के साथ छेडछाड कर उसमें १० मूलभूत अधिकार (फंडामेंटल राईट्स) अंतर्भूत किए । संविधान में इन अधिकारों पर ही संपूर्ण बल दिया गया है । तब से लेकर प्रत्येक व्यक्ति अपने अधिकारों के लिए लड रहा है । ये अधिकार ही सभी समस्याओं का मूल है । अतः जबतक ये मूलभूत अधिकार बने रहेंगे, तबतक देश में अत्याचार एवं अनाचार चलते ही रहेंगे । इसके साथ ही संविधान में अल्पसंख्यकों का महत्त्व बढाकर हिन्दुओं के साथ भेदभाव किया गया है । सरकार ने ‘अल्पसंख्यक’ इस संज्ञा को परिभाषित किया, तो उससे ये सभी समस्याएं नष्ट होंगी । यह संविधान समाज का विभाजन करनेवाला है; इसलिए हिन्दू धर्म को टिकाए रखने के लिए हिन्दू राष्ट्र आवश्यक है ।’’

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होने पर ही गोहत्याएं संपूर्णतया रुकेंगी ! – अधिवक्ता सिद्ध विद्या, उच्च न्यायालय, मुंबई

अधिवक्ता सिद्ध विद्या, उच्च न्यायालय, मुंबई

रामनाथ देवस्थान – भारत के विभिन्न राज्यों में गोहत्या प्रतिबंधक कानून बनाए गए हैं; परंतु उनमें अनेक त्रुटियां होने के कारण वह एक प्रकार से हिन्दुओं से की गई प्रतारणा है । एक राज्य में गोहत्या प्रतिबंधक कानून हो तथा पडोस के राज्य में गोहत्याबंदी कानून न हो, तो व्यापारी राज्य की सीमा से पार जाकर गोहत्या करते हैं; इसलिए राज्यों के स्तर परप गोहत्या प्रतिबंधक कानून न बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर बनाया जाए । उसके लिए इच्छाशक्ति की आवश्यकता है । उसके कारण जिस दिन भारत हिन्दू राष्ट्र बनेगा, उसी दिन इस देश में गोहत्याएं संपूर्णतया रुक जाएंगी, ऐसा प्रतिपादन मुंबई उच्च न्यायालय की अधिवक्ता सिद्ध विद्या ने किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के तीसरे दिन (१८.६.२०२३ को) उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों को संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रही थीं ।

‘गोरक्षा के वर्तमान त्रुटिपूर्ण कानून’ विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा,

‘‘जिस देश में गोपूजा एक श्रद्धा है, उस देश में ‘एक दिन गोहत्याबंदी के लिए लडाई लडनी पडेगी’, ऐसा किसी को लगा नहीं होगा । विभिन्न राज्यों के गोहत्याप्रतिबंधक कानूनों में भिन्न-भिन्न त्रुटियां हैं, जिसका व्यापारी लाभ उठाते हैं । कुछ स्थानों पर बैल एवं भैंस की हत्या की अनुमति दी गई; परंतु इन पशुओं तथा गाय के मांस में स्थित अंतर पहचानने की कोई व्यवस्था न होने के कारण बैल एवं भैंस के नाम पर गोमांस का व्यापार चलता ही रहता है । कुछ स्थानों पर ‘अनफीट’ (शारीरिकदृष्टि से अपाहिज) गोवंश के हत्या की अनुमति है, उसके कारण गोहत्या करनेनवाले लोग गोवंश को ‘अनफीट’ प्रमाणित कर लेने के लिए उनका उत्पीडन कर उनके ‘अनफीट’ होने का प्रमाणपत्र प्राप्त करते हैं । गोहत्याबंदी के विषय को संविधान के मूलभूत अधिकारों में अंतर्भूत करना आवश्यक है ।

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