हिन्‍दुओं की धर्म पर श्रद्धा बढाने के लिए वैश्‍विक हिन्‍दू राष्‍ट्र महोत्‍सव की आवश्‍यकता – जगद़्‍गुरु शंकराचार्य श्री श्री श्री विधुशेखर भारती महाराजजी

श्रृंगेरी के दक्षिणाम्‍नाय श्री शारदा पीठ के जगद़्‍गुरु शंकराचार्य श्री श्री श्री भारती तीर्थ महाराजजी के उत्तराधिकारी जगद़्‍गुरु शंकराचार्य श्री श्री श्री विधुशेखर भारती महाराजजी ने दिया शंकराचार्य का आशीर्वादरूपी शुभसंदेश !

‘हिन्‍दू जनजागृति समिति’की ओर से आज से ७ दिन गोमंतक में ‘वैश्‍विक हिन्‍दू राष्‍ट्र महोत्‍सव’ आयोजित किया गया है । इसके अंतर्गत ‘सनातन हिन्‍दू धर्म का आचरण एवं उसका महत्त्व’ इस विषय में जागृति करने के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है । यह वार्ता अत्‍यंत आनंददायी है । अपना सनातन धर्म सर्वश्रेष्‍ठ धर्म है । उसमें प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति को इस लोक में (भूलोक में), परलोक में एवं अगले जीवन के कल्‍याण हेतु क्‍या करना चाहिए, इसका मार्गदर्शन मिलता है । इस जन्‍म में हम अनेक प्रकार के दु:ख सहन कर रहे हैं । ऐसे दु:खमय संसार से मुक्‍ति कैसे पानी है, इस विषय में केवल सनातन धर्म में ही योग्‍य प्रकार से मार्गदर्शन मिलता है । वेद, शास्‍त्र, पुराण, सनातन धर्म के मूल हैं । सनातन इतिहास मूल्‍यवान हैं । इन ग्रंथों में अपने सभी प्रकार के प्रश्‍नों के उचित उत्तर मिलते हैं ।

परकीय आक्रमणों के कारण हिन्‍दुओं की श्रद्धा हुई डांवाडोल !

भारत में अनादि काल से सनातन धर्म का आचरण किया जा रहा है । उसकी प्रत्‍येक कृति के पीछे विशेष कारण होता है । इसके कुछ कारण हम समझ सकते हैं, तो कुछ को समझने की क्षमता हममें नहीं होती । महर्षिजी ने दिव्‍य दृष्‍टि से इन आचरणों के विषय में हमें उपदेश किया है । कुछ कारण समझ लेने की क्षमता है और कुछ के कारण समझने की हममें क्षमता नहीं है । अपने पूर्वजों को धर्म एवं उस अनुरूप आचरण पर अटूट श्रद्धा थी । लगभग १५० से २०० वर्षों पूर्व तक इस विषय में लोगों के मन में दृढ श्रद्धा थी; कारण धर्माचरण के पीछे के कारण उन्‍हें ज्ञात थे । इसलिए वे सभी अनुष्‍ठान श्रद्धा से करते थे । कुछ वर्षों पूर्व से लोगों के मन की भी क्षमता अल्‍प होने लगी है । इसका कारण है कुछ लोग बाहर से आकर अपने धर्म पर आक्रमण कर रहे हैं और वे वहां के लोगों को गलत मार्ग पर ले जाने का प्रयत्न कर रहे हैं । इसलिए भारतीयों में धर्म के विषय में श्रद्धा अल्‍प होती जा रही है । अब हमें यह श्रद्धा जागृत करना अत्‍यंत आवश्‍यक है । इसके लिए ऐसे अधिवेशनों की बहुत आवश्‍यकता है । ऐसे काम प्रत्‍येक स्‍थान पर होने चाहिए ।

ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन सदैव होता रहे !

सभी सनातन धर्मियों में एकवाक्‍यता (मतैकता अर्थात मत की एकता) होनी चाहिए । हिन्‍दुआें की धर्म पर श्रद्धा बढाने के लिए एवं हिन्‍दुआें द्वारा धर्म का आचरण होकर धर्म की रक्षा होने हेतु ऐसे अधिवेशनों की अत्‍यंत आवश्‍यकता है । ‘विश्‍व के कल्‍याण के लिए सनातन धर्म के अत्‍यावश्‍यक तत्त्वों की इस अधिवेशन में चर्चा हो, उन विषयों के प्रति लोगों में जागृति निर्माण हो एवं ऐसे कार्यक्रम का आयोजन सदैव होता रहे’, ऐसा आशीर्वाद हम दे रहे हैं । हिन्‍दू धर्मियों में जागृति करने हेतु इस पवित्र कार्यक्रम के आयोजन में जो लोग सम्‍मिलित हैं, उन्‍हें भी नारायणस्‍मरणपूर्वक आशीर्वाद दे रहा हूं । दक्षिण दिशा में दक्षिणाम्‍नाय श्रृंगेरी शारदा पीठ के ३६ वें आचार्य जगद़्‍गुरु श्री श्री श्री भारती महास्‍वामी की कृपा से यह सर्व कार्यक्रम निर्विघ्‍नता से संपन्‍न हो । इसके साथ ही इस कार्यक्रम में सम्‍मिलित सभी का कल्‍याण हो ।

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