नक्षलवाद की आड में हिन्दू संस्कृति नष्ट करने का षड्यंत्र – अधिवक्ता (श्रीमती) रचना नायडू, छत्तीसगढ

दशम अखिल भारतीय हिन्दू हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में ‘नक्सलियों की हिंसा का वैधानिक पद्धति से प्रतिकार’ इस विषय पर विचारमंथन !

बाएं से श्री. गोपी के., सनातन के धर्मप्रचारक पू. रमानंद गौडा एवं अधिवक्‍ता (श्रीमती) रचना नायडू, बोलते हुए श्री. ईश्‍वरप्रसाद खंडेलवाल

नक्षलवाद के विरोध में लडने के लिए देश के सैनिक सक्षम हैं; परंतु जब नक्सलियों को मुठभेड में मारा जाता है, तब कुछ मानवतावादी गिरोह नक्सलियों के पक्ष में खडे होते हैं । नक्सली जब छोटे बच्चों को मारते हैं, तब यह मानवतावादी लोग सामने नहीं आते । नागरिकता संशोधन कानून का विरोध, राष्ट्रघातक किसान आंदोलन के समर्थक, कोरेगांव-भीमा दंगों में संलिप्त शहरी नक्सलियों का समर्थन, शाहीनबाग आंदोलन का समर्थन जैसी अनेक गतिविधियां चल रही हैं । नक्षलवादी देश में अनेक समस्याएं होने का आभास दिलाते हैं; परंतु सर्वाधिक हिंसक गतिविधियां नक्सली ही करते हैं । सडक निर्माण के लिए आई गाडियां जलाकर आदिवासियों की सुविधाओं के लिए बनाई जा रही सडक नहीं बनाने देते । नक्सली ही सर्वाधिक वृक्ष काटते हैं । नक्सलियों द्वारा आदिवासी क्षेत्रों में बडे स्तर पर बमविस्फोट किए जा रहे हैं । गांव के आदिवासियों को विस्थापित किया जाता है ।

अधिवक्ता (श्रीमती) रचना नायडू, छत्तीसगढ

हम स्वतंत्रता का स्वर्णमहोत्सवी वर्ष मना रहे हैं; परंतु आदिवासी क्षेत्रों में अभीतक प्राथमिक सुविधाएं भी नहीं पहुंची है । इन नक्सलियों द्वारा कभी चर्च पर आक्रमण करने की घटना हमने नहीं सुनी है । देश की स्वाधीनता के उपरांत ईसाई धर्मप्रचारकों की ओर से आदिवासियों में ‘आप पीडित हैं’, यह भावना जागृत की गई । उन्हें भारतीय संस्कृति से तोडा गया । छत्तीसगढ में प्राचीन भारतीय संस्कृति है । यह संस्कृति नष्ट कर आदिवासियों का धर्मांतरण किया जा रहा है । जो हमारे साथ युद्ध में जीत नहीं सके, वे उन्होंने इस पद्धति से हमारी संस्कृति नष्ट करने का प्रयास किया । इसके विरुद्ध लडने के लिए सभी को एकत्रित होकर कार्य करना आवश्यक है, ऐसा प्रतिपादन छत्तीसगढ की अधिवक्ता (श्रीमती) रचना नायडू ने किया ।‘नक्सलियों, ईसाईयों और वामपंथियों का कुटील गठबंधन और छत्तीसगढ के आदिवासी हिन्दुओं की स्थिति’, इस विषय पर वे ऐसा बोल रही थीं । इस अवसर पर व्यासपीठ पर बंगलुरू (कर्नाटक) के ‘विराट हिन्दू स्‍थान संघम्’के राज्य महासचिव श्री. गोपी के., ‘लष्कर-ए-हिन्द’ के राष्ट्रीय एवं संस्थापक अध्यक्ष श्री. ईश्वरप्रसाद खंडेलवाल और सनातन के धर्मप्रचारक पू. रमानंद गौडाजी उपस्थित थे ।

देश के वास्तविक शत्रुओं को पहचान कर अपनी भूमि की रक्षा करना आवश्यक ! – श्री. गोपी के., राज्‍य महासचिव, विराट हिन्दू स्‍थान संघम्, बंगलुरू, कर्नाटक

विश्व के अन्य पंथियों को स्वयं का राष्ट्र है; परंतु हिन्दुओं का कोई स्वतंत्र राष्ट्र नहीं है । पाकिस्‍तान भारत के अनेक टुकडे करने का प्रयास कर रहा है । उसके लिए पाकिस्तान के कुछ समूह देश में कार्यरत हैं । उसमें वे निपुण हैं । देश के वास्तविक शत्रुओं को पहचान कर स्वयं की भूमि की रक्षा करना आवश्यक है । देश में काले धन का बडे स्तर का बडे स्तर पर निवेश किया जा रहा है । इन पैसों का निवेश करनेवाले कौन हैं ?, इसे समझ लेना आवश्यक है । ईसाई और मुसलमानोंसहित अन्य पंथीय लोगों को राजनीतिक सहायता मिलती है । देश के सभी राज्यों में हिन्दुओं का हित बोलनेवाले नेता चुनने के लिए हमें प्रयास करने होंगे ।

देश के टुकडे करने की शहरी नक्सलियों की रणनीति को हम सफल नहीं होने देंगे ! – श्री. ईश्वरप्रसाद खंडेलवाल, राष्ट्रीय तथा संस्थापक अध्यक्ष, लष्कर-ए-हिन्द, महाराष्ट्र

‘‘देश में जिहादी मानसिकता का भले ही अस्तित्व हो; परंतु उससे शहरी नक्सली अत्यंत खतरनाक हैं । शहरी नक्सली भले ही रणनीति बनाकर देश के टुकडे करने का सपना देख रहे हों; परंतु हम उनकी यह रणनीति सफल नहीं होने देंगे’’, ऐसा प्रहार ‘लष्कर-ए-हिन्द’ के राष्ट्रीय तथा संस्थापक अध्यक्ष श्री. ईश्वरप्रसाद खंडेलवाल ने किया । रामनाथी में चल रहे दशम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में ‘शहरी नक्सलियों की वास्तविकता’ इस विषय पर वे ऐसा बोल रहे थे ।

श्री. ईश्वरप्रसाद खंडेलवाल ने आगे कहा कि,

१. मुंबई में बमविस्फोट होने के उपरांत मैने आतंकियों का सामना करने के लिए ‘लष्कर-ए-हिन्द’ इस संगठन की स्थापना की है । मैने इसी संगठन के माध्यम से ही मैने सर्वाेच्च न्यायालय में आतंकी मोहम्मद अफजल को फांसी का दंड देने की मांग करनेवाली याचिका प्रविष्ट की थी ।

२. मेरा संगठन जिहादी मानसिकता नष्ट करने का काम करता है । शत्रु को उसी की भाषा में उत्तर देने के लिए मैने अपने संगठन का नाम ‘उर्दू और फारसी’ भाषा में रखा है ।

३. हमने पांडवों की सेना तैयार की है । हमें हिन्दू राष्ट्र चाहिए; इसके लिए हम हिन्दू राष्ट्र की मांग कर रहे हैं ।

४. देश में वर्ष १९४२ में अपवित्र समूह तैयार हुए । ‘धर्मनिरपेक्षता’, ‘इस्लामीकरण’ आदि नामों से ये समूह बन गए । राष्ट्रविरोधी विचारधारा फैलाकर देश के टुकडे करना, उनका एकमात्र उद्देश्य था । इसके पीछे विदेशी शक्तियां कार्यरत हैं और वहीं इन समूहों को आर्थिक सहायता दे रही है । हिन्दुओं को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए ।

५. इन समूहों ने न्यायपालिकाओं, सरकारी कार्यालयों, संस्थाओं, प्रशासन और राजनीति के क्षेत्र में अपना अस्तित्व बढाना आरंभ किया है । ईसाई मिशनरी उनकी सहायता करने के लिए तैयार हुए हैं ।

६. अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होने के उपरांत मानवाधिकारी संगठन उनके पक्ष में अभियोग चलाते हैं । देश में जिहादी गतिविधियां चलाई जा रही हैं तथा धर्मांध हिंसक गतिविधियां चलाकर, साथ ही सैनिकों और पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाजी कर रहे हैं । ऐसा होते हुए भी वामपंत्री विचारधारावाले ‘शांतिभूषण पुरस्कार’प्राप्त सेवानिवृत्त न्यायाधीश धर्मांधों पर कार्यवाही न हो; इसके लिए सर्वाेच्च न्यायालय को पत्र भेजते हैं । उसके कारण धर्मांध और वामपंथियों के पक्षधर लोग झूठे हैं; इसलिए उनका विरोध किया जाना चाहिए ।

७. शिक्षा के क्षेत्र में भी शहरी नक्षलवाद फैल गया है । ये लोग ‘समलैंगिकता’ के विषय पर चर्चा करवाते हैं । इस माध्यम से शहरी नक्सलियों की ओर से संस्कृति और संगठन पर आघात करने का प्रयास किया जा रहा है ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए साधना करना आवश्यक – श्री. ईश्वरप्रसाद खंडेलवाल

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने के विषय में घर-घर जाकर जागृति लानी चाहिए । उसके साथ साधना भी करनी चाहिए । ईश्वरी नियोजन के अनुसार हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होने ही वाली है; परंतु उसके लिए हमें साधना करनी चाहिए । उसके बिना संकट दूर नहीं होंगे । साधना करने से मेरे जीवन में आए संकट भी दूर हुए हैं ।

अधिवेशन के इस सत्र की कुछ झलकियां…

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