गोवा के चर्च द्वारा हडप लिए गए मंदिरों की पुनर्स्थापना के लिए हिन्दुओं को एकत्रित होकर लडाई लडनी पडेगी – प्रा. सुभाष वेलिंगकर, राज्य संघचालक, गोवा

  • अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के दूसरे दिन का पहला सत्र

  • मंदिरों पर हुए इस्लामी और ईसाई अतिक्रमण के आघातों को मान्यवरों ने किया उजागर !

रामनाथी – पोर्तुगीज सरकार के कार्यकाल में गोवा के छोटे-बडे २ १ सहस्र से अधिक मंदिर ध्वस्त किए गए । उनमें केवल वरेण्यपुरी (वेरणा) और श्री विजयादुर्गादेवी (शंखवाळी) ये २ मंदिर ही चर्च के आक्रमण से बच सके । अब इन मंदिरों को राज्य पुरातत्व विभाग के अंतर्गत संरक्षित वास्तुओं के रूप में घोषित किए गए हैं; परंतु ऐसा होते हुए भी विगत अनेक वर्षाें से चर्च के माध्यम से इस मंदिर की भूमि हडपने का षड्यंत्र चल रहा है । गोवा के चर्च द्वारा हडप लिए गए मंदिरों की पुनर्स्थापना के लिए हिन्दुओं को एकत्रित होकर लडाई लडनी पडेगी, ऐसा आवाहन गोवा के ‘भारत माता की जय संघ’के राज्य संघचालक प्रा. सुभाष वेलिंगकर ने किया । दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के द्वितीय दिन ‘मंदिरों पर किए गए इस्लामी और ईसाई अतिक्रमण’ विषय पर वे ऐसा बोल रहे थे । इस अवसर पर व्यासपीठ पर वाराणसी के अधिवक्ता मदन मोहन यादव, ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’के प्रवक्ता अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन और सनातन के धर्मप्रचारक पू. अशोक पात्रीकर उपस्थित थे ।

इस अवसर पर प्रा. सुभाष वेलिंगकर ने कहा,

१. वरेण्यपुरी (वेरणा) और श्री विजयादुर्गादेवी इन मंदिरों की भूमि हडपने के लिए मंदिर परिसर में स्थित वृक्ष काटना, बाजू में स्थित तालाब को भर देने जैसे अनेक अवैध कृत्य चल रहे हैं । इस संदर्भ में हिन्दू श्रद्धालुओं के शिकायतों की उपेक्षा की जा रही है ।

२. विजयादुर्गादेवी का स्थान पुरातत्व विभाग के पास ‘फ्रंटीस पिस ऑफ सांकवाळ’ इन नाम से संरक्षित है । सरकारी स्तर पर भी इस स्थान का जतन करने के संदर्भ में घोर उपेक्षा की जा रही है ।

३. इस स्थान पर पुरातत्त्व विभाग की अनुमति के बिना किसी प्रकार का काम नहीं किया जा सकता; परंतु ऐसा होते हुए भी यहां धार्मिक कार्यक्रम कर ‘यह भूमि चर्च की है’, ऐसा दिखाने का प्रयास ईसाईयों द्वारा किया जा रहा है ।

४. पिछले १० वर्षाें से चर्च के माध्यम से इस भूमि को हडपने का षड्यंत्र चल रहा है तथा इसका विरोध करनेवाले हिन्दुओं पर झूठे अभियोग प्रविष्ट कर उनका मनोबल गिराने का प्रयास किया जा रहा है ।

५. मंदिर परिसर में स्थित मंदिर के अवशेषों के पत्थरों को जेसीबी की सहायता से भूमि में गाड दिया गया है ।

६. अन्य क्षेत्रों से आनेवाले ईसाई इस परिसर में पदयात्रा निकालकर यहां आते हैं और यह भूमि चर्च की होने का झूठ लोगों पर थोपा जा रहा है ।


मंदिरों पर आक्रमण कर आक्रांताओं ने हिन्दुओं को दुर्बल बनाया ! – अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, सर्वाेच्च न्यायालय

मंदिर हिन्दुओं के लिए आदर और सम्मान के स्थान हैं । इसलिए इन मंदिरों को पुनः हिन्दुओं के नियंत्रण में देकर हिन्दुओं का उनका वैभव वापस दिलाना आवश्यक है । पहले के राजाओं ने भी मंदिर निर्माण और उनके संरक्षणों को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया था । जिस प्रकार राजा-महाराजाओं पर आक्रमण करने से प्रजा दुर्बल बन जाती है, उसी प्रकार से आक्रांताओं ने मंदिरों पर आक्रमण कर हिन्दुओं को दुर्बल बनाया है । राजा भोज ने भोजशाला के माध्यम से संस्कृत पाठशाला का निर्माण किया था । वर्ष १०३४ में इसी स्थान पर भोजराजा ने एक मंदिर का निर्माण किया था; परंतु धर्मांधों ने उस पर आक्रमण कर मंदिर को ध्वस्त कर वहां मस्जिद होने की घोषणा की । कालांतर से वहां मुसलमानों को प्रति शुक्रवार नमाज पढने की अनुमति दी गई । भोजशाला में स्थित अनेक ऐतिहासिक वास्तुओं को ध्वस्त कर उस स्थान पर धर्मांधों द्वारा अतिक्रमण किए जाने के अनेक प्रमाण उपलब्ध हैं । ‘मंदिर मुक्ति संग्राम’में जाति, पद, दल और संगठन को बाजू में रखकर हिन्दू समाज संगठित हुआ, तो ये सभी मंदिरों के हिन्दुओं के नियंत्रण में आने में समय नहीं लगेगा, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टीस के प्रवक्ता अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने किया । दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन ने दूसरे दिन के पहले सत्र में ‘अयोध्या-काशी-मथुरा के उपरांत अब होगा भोजशाला मुक्ति संग्राम’ विषय पर वे ऐसा बोल रहे थे ।

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन जब अपना विषय रख रहे थे, तब ‘प्रोजेक्टर’ पर भोजशाला के स्थान पर किए गए इस्लामी अतिक्रमण की विस्तार से जानकारी देते समय भोजशाला में स्थित हिन्दू संस्कृति के प्रतीक कलाकृतियों और ऐतिहासिक अवशेषों के छायाचित्र दिखाए गए । दीवारों की पत्थरों पर अंकित संस्कृत श्लोक, धर्मचक्र, मंदिरों की कलाकारी से युक्त कमानें और स्तंभ, साथ ही मुख्य मंदिर के मंडप के छायाचित्र दिखाए गए ।


काशी और मथुरा के मंदिरों को अपने नियंत्रण में लेने के उपरांत हिन्दुओं को अपने अगले कार्य पर विचार करना चाहिए ! – अधिवक्ता मदन मोहन यादव, वाराणसी, उत्तर प्रदेश

ज्यू समुदाय विश्व में इधर-उधर बिखरा हुआ था; परंतु तब भी उन्होंने ‘इस्राईल’ इस स्वतंत्र राष्ट्र का निर्माण किया, तो हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने में कुछ भी असंभवसा नहीं है । भाजपा नेता नुपूर शर्मा के वक्तव्य के उपरांत ५७ इस्लामी राष्ट्र अपनी छाती पीट रहे हैं; परंतु दूसरी ओर कथित ज्ञानवापी मस्जिदों की दीवारों ‘यह ज्ञानवापी मंदिर है’, ऐसा चिल्ला-चिल्लाकर बता रही हैं । ज्ञानवापी की लडाई में हमें प्रसारमाध्यमों की सहायता मिली । प्रसारमाध्यमों में भी जिहादी और वामपंथी विचारधारावाले लोग हैं । हिन्दुत्व के कार्य के लिए हमारी सहायता करनेवाले माध्यमों को हमें जोडकर रखना चाहिए । काशी का विश्वनाथ मंदिर ७ बार ध्वस्त किया गया । काशी हिन्दुओं की धार्मिक विधियों का केंद्र है । इतिहास में यहां के हिन्दुओं के १० धार्मिकस्थल नष्ट किए गए । यहां बिंदुमाधव का प्रसिद्ध मंदिर है । विख्यात संतकवी रामानंदाचार्यजी ने यही पर तपस्या की । इस स्थान पर मस्जिद बनाए जाने का देखकर कष्ट होता है । अब काशी और मथुरा के मंदिरों को अपने ेनियंत्रण में लेने के उपरांत हिन्दुओं को अपने अगले कार्य पर विचार करना चाहिए ।

अधिवेशन के इस सत्र की कुछ झलकियां…

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