हिन्दू जनजागृति समिति का उत्तर भारत का ‘हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ देहली में हुआ संपन्न !

देश में बहुसंख्यक हिन्दुओं को सुविधाएं और सुरक्षा न मिलना, उनके साथ हो रहा संवैधानिक अन्याय ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी

देहली : भारत की ‘सेक्युलर’ (धर्मनिरपेक्ष) व्यवस्था में हिन्दू उनके धर्म की शिक्षा नहीं ले सकते । सरकारें हिन्दुओं के मंदिरों को अपने नियंत्रण में करना जानती हैं; परंतु सुविधाएं अन्य धर्मियों को दी जाती हैं । अल्पसंख्यकों को सुविधाएं देनी हों, तो पहले भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित किया जाना चाहिए । बहुसंख्यक हिन्दुओं को सुविधाएं और सुरक्षा न मिलना संवैधानिक अन्याय है । भारत में लोकतंत्र होते हुए भी देश के बहुसंख्यकों को उनके अधिकार नहीं मिलते, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से पिछले २ महिनों में उत्तर भारत के अनेक जनपदों में सफलतापूर्वक हिन्दू राष्ट्र अधिवेशनों का आयोजन किया गया । इस शृंखला के अंतर्गत अंतिम अधिवेशन हाल ही में देहली में चैतन्यमय वातावरण में आयोजन किया गया, जिसे सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने संबोधित किया ।

इस अवसर पर सुश्री आरती अगरवाल ने हिन्दू जिनोसाईड (हिन्दुओं का वंशविच्छेद) विषय पर, मानवाधिकार कार्यकर्ता रवीरंजन सिंह ने हलाल प्रमाणपत्र के विषय पर, हिन्दू धर्म के अध्येता डॉ. रिंकू वढेरा ने कुटुंबव्यवस्था के विषय पर, तो ज्योति कौल ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म के हो रहे विरोध के विषय पर जानकारी दी । अधिवक्ता युधवीरसिंह चौहान ने धर्म पर हो रहे आघातों के विषय में किए जा रहे न्यायालयीन संघर्ष के संदर्भ में जानकारी दी । अधिवक्ता अमिता सचदेवा ने हिन्दू विधिज्ञ परिषद के कार्य के विषय में उपस्थित धर्मप्रेमियों को अवगत किया ।

सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने आगे कहा,

१. वर्ष १९७६ में अलोकतांत्रिक पद्धति से आपातकाल लागू कर भारत को ‘सेक्युलर’ (धर्मनिरपेक्ष) राष्ट्र घोषित किया ।

२. वामपंथी (कम्युनिस्ट) स्वयं को नास्तिक कहलाते हैं; परंतु अन्य धर्मीय वामपंथी उनके धर्म का पालन करते हैं । तो कम्युनिस्ट बनकर धर्म छोडना और नास्तिक बोलना क्या केवल हिन्दुओं के लिए ही है ?

३. संविधान बोलता है कि सभी को समान अधिकार हैं, तो बहुसंख्यकों को मिलने आवश्यक अधिकार उन्हें प्रदान न कर अल्पसंख्यकों को क्यों नहीं दिए गए ? भारत की संसद बहुसंख्यक हिन्दुओं को उनका हिन्दू राष्ट्र क्यों नहीं देती ?

४. अभी तक सेक्युलैरिजम (धर्मनिरपेक्षता) की परिभाषा ही नहीं की गई है । आज हम हमारे मंदिर और धर्म बचा नहीं सकते, तो हमारे विरुद्ध कौनसा षड्यंत्र किया जा रहा है, इस पर विचार करने की आवश्यकता है । संविधान द्वारा प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार दिया है, तो हमें धर्मनिरपेक्ष बनने की क्या आवश्यकता है ? क्या यह सब केवल हिन्दुओं को भ्रमित करने के लिए है ?

‘वक्फ बोर्ड’ को दिए गए अधिकार देश के बहुसंख्यक हिन्दुओं पर किए जा रहे अत्याचार ही हैं ! – अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, अधिवक्ता सर्वाेच्च न्यायालय तथा प्रवक्ता, हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस

धर्मनिरपेक्षता के नाम पर भारत में वक्फ बोर्ड को समानांतर अधिकार दिए ग हैं । वक्फ कानून के अनुसार मुसलमान किसी भी भूमि को वक्फ की संपत्ति घोषित कर सकते हैं । इस पर किसी को आपत्ति हो, तो वक्फ कानून के अंतर्गत मुसलमान अधिकारी के अधिकारी के सामने उसकी सुनवाई होती है । भारत के अन्य न्यायालयों में इस पर सुनवाई भी नहीं हो सकती, यह तो देश के बहुसंख्यक हिन्दुओं पर किया जा रहा अत्याचार ही है ।

हलाल उत्पाद देश के लिए हानिकारक ! – रवीरंजन सिंह, मानवाधिकार कार्यकर्ता

श्री. रवी रंजन सिंह

आज विश्व में हलाल अर्थव्यवस्था ८ ट्रिलियन की (८ लाख करोड रुपए की) हो चुकी है, जो भारत के लिए चिंता का विषय है; इसलिए सभी को हलाल उत्पादों का विरोध करने की आवश्यकता है । इसके आगे हमें किसी भी उत्पाद की एक्स्पाइरी डेड देखते समय हलाल की मुद्रा भी देखनी चाहिए । जिस प्रकार मदिरा की बोतल पर ‘यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है’, ऐसा लिखा होता है; उसकी भांति हलाल उत्पाद भी देश के लिए हानिकारक हैं ।

भारतीय परिवारव्यवस्था को ध्वस्त करने का ‘फेनिजम’ का षड्यंत्र ! – डॉ. रिंकू वढेरा

महिला अधिकार के नाम पर भारत की परिवारव्यवस्था को ध्वस्त कर उनका धर्मांतरण करना ‘फेनिजम’ का उद्देश्य है । ‘नेटफ्लिक्स’ और ‘एमेजॉन प्राइम’ इन ओटीटी वाहिनियों पर ‘टीनएज सेक्स’ के (बच्चों पर किए जानेवाले यौन अत्याचार के) विषय पर फिल्में बनती हैं । ऐसी फिल्में देखकर बच्चों पर उसके क्या परिणाम होंगे, इसे समझ लेना चाहिए । इन फिल्मों के माध्यम से हिन्दुओं के मन में ‘परिवार का कोई महत्त्व नहीं है’, यह विचार अंतर्भूत किया जार हा है; इसलिए हमें अपने बच्चों को धर्म के साथ जोडकर रखना आवश्यक है ।

हिन्दू विधिज्ञ परिषध की अधिवक्ता अमिता सचदेवा ने परिषद के कार्य के प्रति उपस्थित धर्मप्रेमियों को अवगत किया ।

‘कॉन्वेंट विद्यालय सबसे अच्छे हैं’, यह अनुचित मानसिकता बनाई गई है ! – कुमार चेल्लप्न, वरिष्ठ पत्रकार, दैनिक ‘दी पायोनियर’

‘केरल और तमिलनाडू इन राज्यों में बच्चों पर अत्याचार की अनेक घटनाएं होती हैं । उनमें ईसाई और मुसलमान आरोपी होते हैं, तो वहां के प्रसारमाध्यम इन आरोपियों को संरक्षण देते हैं । आज के समय में अनेक गांवों को धर्मांतरित किए जा रहे हैं । समाज में ‘कॉन्वेंट विद्यालय सबसे अच्छे हैं’, यह अनुचित मानसिकता बनाई गई है; इसलिए हम हिन्दुओं के लिए विद्यालय खोलकर अपने बच्चों को धर्म का अमूल्य ज्ञान दे सकते हैं और उन्हें अच्छे अभियंता और डॉक्टर बना सकते हैं । इसके द्वारा हम अपनी संस्कृति को संजोए सकते हैं ।’

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