शिर्डी के श्री साईबाबा संस्थान में सिंहस्थ कुंभमेले के लिए खरिदी गई वस्तुओं के हिसाब में ६६ लाख ५५ हजार रुपयों का महाघोटाला – अॅड. वीरेंद्र इचलकरंजीकर, हिन्दू विधिज्ञ परिषद

  • हिन्दू विधिज्ञ परिषद की ओर से मुंबई में आयोजित पत्रकार परिषद के माध्यम से शिर्डी के श्री साईबाबा संस्थान न्यास की चौंका देनेवाली वास्तविकता उजागर !

  • मंदिर में भक्तोंद्वारा अर्पित धन की रक्षा के लिए हिन्दू विधिज्ञ परिषदद्वारा संवैधानिक मार्ग से संघर्ष की चेतावनी

  • मंदिर सरकारीकरण के दुष्परिणाम ! कहां धर्मप्रसार के लिए मंदिरों को दान देनेवाले पहले के राजा, तो कहां मंदिर में श्रद्धालुओंद्वारा समर्पित धन को लूटनेवाले आज के भ्रष्ट राजनेता !
  • पुलिसकर्मियों के लिए सुरक्षा सामग्री की अधिक मूल्य से खरीद की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों के विरोध में कठोर कार्रवाई की मांग : सिंहस्थ कुंभमेले के ३ वर्ष बीत जाने के पश्‍चात भी यह सामग्री अभी तक संस्थान की ओर वापस नहीं आईं !

मुंबई : शिर्डी के श्री साईबाबा संस्थान न्यास ने वर्ष २०१५ में नासिक के सिंहस्थ कुंभमेले में होनेवाली भीड के नियोजन के लिए पुलिसकर्मियों की मांग पर सुरक्षा सामग्री की खरिदी की गर्इ थी। इस सामग्री का अधिकाधिक मूल्य से क्रय कर उसमें ६६ लाख ५५ सहस्र ९९७ रुपए का भ्रष्टाचार किया गया है, साथ ही शिर्डी संस्थान की धनराशि से नगर जिले के निळवंडे धरण एवं नहर की परियोजना के लिए ५०० करोड़ रुपए की धनराशि दी गई है।

‘कांग्रेस शासन के कार्यकाल में ७० सहस्र करोड़ रुपए के सिंचाई घोटाले के दोषियों को कारागृह भेजकर उनसे घोटाले के पैसों की वसूली करेंगे, ऐसी घोषणा करनेवाले भाजपा सरकार ने, न अभीतक पैसों की वसूली की और ना ही दोषियों के विरोध में कोई कार्रवाई की, अपितु उन्होंने इसी संदर्भ में कांग्रेस के कदम पर कदम रखा है ! महाराष्ट्र सरकार की तिजोरी में पैसे नहीं हैं; इसलिए भक्तों द्वारा अर्पित धन पर हाथ डालना, हमें स्वीकार नहीं है ! अतः मंदिर में अर्पित धन की रक्षा के लिए हम संवैधानिक पद्धति से संघर्ष करेंगे। हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने ऐसी चेतावनी दी ! मुंबई मराठी पत्रकार संघ में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से २४ मई को आयोजित की गई पत्रकार परिषद में वे ऐसा बोल रहे थे।

बाईं ओर से श्रीमती सुनीता पाटिल, अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर एवं श्री. सतीश कोचरेकर

इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता श्री. सतीश कोचरेकर एवं सनातन संस्था की श्रीमती सुनीता पाटिल उपस्थित थीं।

पत्रकार परिषद में अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने आगे कहा, ‘‘भाजपाद्वारा वर्ष २०१६-१७ में चुनाव आयोग के पास प्रविष्ट की गई बैलन्स शीट में भाजपा के पास जमा राशि १५ सहस्र २८ करोड़ रुपए है। भाजपा को यदि सामाजिक कार्य करना हो, तो वह अपने स्वयं के दल के पैसों से व्यय करे ! अपने दल के पैसों को सुरक्षित रख मंदिर में अर्पित संपत्ति को हाथ लगाने का उन्हें क्या अधिकार है ? इस प्रकार से भाजपा भी कांग्रेस के कदम पर कदम रखकर चल रहा है !’’

सूचना अधिकार कानून के अंतर्गत प्राप्त हुई चौंकानेवाली जानकारी

१. नगर पुलिस अधीक्षक कार्यालय द्वारा दिए गए अनुमानित मूल्य की अपेक्षा पुलिसकर्मियों की सुरक्षा सामग्री का अधिक मूल्य से क्रय किया गया, उदा. ६० सहस्र रुपए की मनीला रोप (१० सहस्र मीटर लंबाईवाला) १८ लाख ५० सहस्र रुपए को, ४०० रुपए प्रति नग रिचार्जेबल टॉर्च को प्रति नग ३ सहस्र रुपए को, २ सहस्र रुपए के साईन बोर्ड का क्रय ९ सहस्र २०० रुपए को, तो ५ सहस्र रुपएवाली तिरपाला का २२ सहस्र ५७५ रुपए में क्रय किया गया है एवं इस प्रकार से ६६ लक्ष ५५ सहस्र रुपए व्यर्थ ही उडाए गए हैं ! (संस्थान चलानेवालों को यदि अपने स्वयं के लिए उपर्युक्त वस्तुओं का क्रय करना पडता था, तो क्या वे बाजारमूल्य से तिगुने से लेकर ५ गुना अधिक मूल्य से उनका क्रय करेंगे ? मंदिरों में श्रद्धालुओंद्वारा अर्पित धन की लूट के पीछे संगठित गिरोह कार्यरत है, यह स्पष्ट है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

२. वर्ष २०१५ में सिंहस्थ पर्व के समय शिर्डी पुलिस प्रशासन की ओर सौंपी गई वस्तुओं को संस्थानद्वारा अभी तक वापस नहीं लिया गया है ! तिरपाला, रस्सी आदि वस्तुओं के उपयोग के संदर्भ में न शिर्डी संस्थानद्वारा कोई ब्यौरा मांगा गया और न पुलिस प्रशासनद्वारा वह दिया गया ! सूचना अधिकार के अंतर्गत इन वस्तुओं के संदर्भ में प्रश्‍न उठाए जानेपर साई संस्थान की ओर से इन वस्तुओं का उपयोग वर्ष २०१८ में आयोजित किए जानेवाले साई महासमाधि शताब्दी समारोह के लिए किया जा सकता है ऐसी बात कही है ! वर्ष २०१५ में क्रयित वस्तुओं का उपयोग वर्ष २०१८ में करना, यह कोई साधारण दिखनेवाला व्यवहार नहीं, अपितु खुला भ्रष्टाचार ही है। इन बातों को केवल कागज पर ही दिखाए जाने की संभावना को अस्वीकार नहीं किया जा सकता ! (श्री साईबाबा न्यास की ढीली एवं भ्रष्ट कार्यपद्धति पर शासन का कोई नियंत्रण नहीं है, यही इससे स्पष्ट होता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

३. इस प्रकरण में १६ दिसंबर २०१६ को महाराष्ट्र सरकार की ओर से पत्र भेज कर स्पष्टीकरण मांगा गया; परंतु डेढ वर्ष बीत जानेपर भी इस पत्र का उत्तर नहीं दिया गया है ! (सरकारी पत्र को कुढादान दिखाने की इस वृत्ति से न्यास के पदाधिकारियों की मनमानी एवं उद्दंडता एवं सरकार की ढीली कार्यपद्धति भी अधिक स्पष्ट होती है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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