महाराष्ट्र : मोशी (जिला पुणे) में प्रस्तावित संस्कृतिद्रोही ‘सनबर्न फेस्टिवल’ निरस्त !

• ग्रामवासी एवं हिन्दुत्वनिष्ठों के निरंतर संघटित रूप से एवं तीव्रता के साथ चलाए गए आंदोलन का परिणाम !

• महाराष्ट्र पर्यटन मंत्रालय की ओर से भी स्वीकृति

हिन्दुओं, इस सफलता के प्रति ईश्‍वर के चरणों में कृतज्ञता व्यक्त करें और संस्कृतिद्रोही सनबर्न को भारत से शाश्‍वत रूप से सीमापार होने तक संघटित रूप से प्रयासरत रहें !

यही है वो जगह जहां बुरी आदतों एवं मादक पदार्थों के सेवन को प्रोत्साहित करनेवाला ‘सनबर्न फेस्टिवल’ इस वर्ष भी आयोजित किया जानेवाला था !

पुणे : चिंचवड के निकट के तीर्थस्थान देहू-आळंदी के प्रवेशद्वार पर स्थित मोशी गांव में प्रस्तावित सनबर्न फेस्टिवल को ऐसाां के ग्रामवासी एवं हिन्दुत्वनिष्ठोंद्वारा किए गए तीव्र विरोध के कारण निरस्त करना पडा है ! महाराष्ट्र राज्य पर्यटन मंत्रालय ने इस बात को स्वीकार किया है !

२८ से ३१ दिसंबर की अवधि में ऐसा फेस्टिवल होनेवाला था। इस फेस्टिवल के लिए अभी नया स्थान सुनिश्‍चित नहीं किया गया है। समाचारपत्र ‘पुणे मिरर’ में इस संदर्भ में विस्तारपूर्वक समाचार प्रकाशित हुआ है। (मादक पदार्थों की भरमारवाला तथा भारतीय संस्कृति पर आघात करनेवाले इस विकृत फेस्टिवल का विरोध कर उसे निरस्त करनेपर शासन को बाध्य बनानेवाले ग्रामवासी एवं हिन्दुत्वनिष्ठों का अभिनंदन ! सर्वत्र के हिन्दुओं को इससे बोध लेना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) राज्य के पर्यटन राज्यमंत्री श्री. मदन एरावार ने इस फेस्टिवल के मोशी से निरस्त किए जाने के संदर्भ में जानकारी दी।

१. जिन लोगों का सनबर्न के लिए विरोध है, उनसे हम सूचनाएं लेना जारी ही रखेंगे। महाराष्ट्र राज्य के पर्यटनमंत्री एवं अधिकारियों ने हालही की एक बैठक में ऐसा निर्णय लिया।

२. पिछले वर्ष भी शासन की ओर से फेस्टिवल के लिए बिना-आर्थिक समर्थन दिया गया था। गोवा के वेगातोर में इस फेस्टिवल का विरोध किए जाने के पश्‍चात पर्यटन को बढावा देने हेतु वाघोली के निकट केसनंद गांव में ऐसा फेस्टिवल लिया गया था। (गोवा में सनबर्न को किसलिए विरोध किया गया, उसे समझ में न लेकर केवल पर्यटन को बढावा मिलने हेतु जहां ‘शराब बंदी’ है ऐसे केसनंद गांव में शराब की भरमारवाले इस फेस्टिवल को संमति देना, प्रशासन की बडी चूक ही थी ! उस समय शासन ने आयोजकों की नियमों को तोडने की और कर चोरी की मानसिकता ध्यान में क्यों नहीं ली ? क्या प्रशासन को पर्यटन को बढावा देने के नाम पर राज्य के युवक-युवतियों को मद्यपी बनाकर तथा उनका जीवन ध्वस्त करना है ? जनहित को ध्यान में लेनेवाले शासनकर्ता प्राप्त होने हेतु हिन्दू राष्ट्र ही चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

३. हम स्थानीय ग्रामवासी, राजनीतिक दल, संघटन एवं अन्य नागरिकोंद्वारा की जानेवाली सभी सूचनाएं एवं आपत्तियों का विचार कर इस फेस्टिवल में आवश्यक परिवर्तन करेंगे। मोशी गांव देहू एवं आळंदी इन तीर्थस्थानों के निकट होने से इस फेस्टिवल के स्थान में परिवर्तन किया जाएगा। हमें महाराष्ट्र की संस्कृति का जतन करना है। हमें लोगों की भावनाओं के विरोध में नहीं जाना है ! (लोगों ने यदि इसका विरोध नहीं किया होता, तो मंत्री को महाराष्ट्र की संस्कृति ध्यान में नहीं आयी होती, ऐसा ही कहना पडेगा ! योग्य क्या और अयोग्य क्या, ये भी ध्यान में न आनेवाले ऐसे राज्यकर्ता जनहित क्या खाक साध्य करेंगे ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

२ अक्तूबर को चिंबळी, मोई, केळगाव जैसे मोशी के निकट के गांवों की ग्रामसभाओं में इस फेस्टिवल के विरोध में प्रस्ताव पारित किए गए हैं। सनबर्न ग्लोबल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी करण सिंह ने इस संदर्भ में फेस्टिवल के स्थान में परिवर्तन करने के संदर्भ में कोई जानकारी न होने की बात कही।

पिछले वर्ष के फेस्टिवल से लेकर हिन्दू जनजागृति समिति ने प्रधानता लेकर स्थानीय ग्रामवासी एवं हिन्दुत्वनिष्ठ और सूचना अधिकार कार्यकर्ताओं के सहयोग से सनबर्न का विरोध किया था। फलस्वरूप अवैध खुदाई एवं पेडों की कटाई किए जाने के प्रकरण में, साथ ही अन्य कुछ प्रकरणों के कारण शासन की ओर से आयोजकों को डेढ करोड़ रुपए का दंड लगाया गया था। इस वर्ष भी फेस्टिवल के स्थान में परिवर्तन किया जाना तो विजय का ही एक चरण है !

दैनिक सनातन प्रभात के संवाददाताद्वारा पर्यटन राज्यमंत्री श्री. मदन एरावार से भ्रमणभाष से संपर्क किए जाने पर उन्होंने बताया कि इस वर्ष का सनबर्न फेस्टिवल एवं उसके स्थान के संदर्भ में पर्यटन मंत्री श्री. जयप्रकाश रावल विभाग की नीति के संदर्भ में स्पष्ट करेंगे !

‘सनबर्न’ भारत से सीमापार होने तक आंदोलन चलता ही रहेगा ! – श्री. पराग गोखले, समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति, पुणे

सनबर्न के विरोध में समस्त ग्रामवासी, हिन्दुत्वनिष्ठ संघटन और वारकरी संप्रदाय ने संघटित रूप से आंदोलन चलाया। आंदोलन के समय संस्कृतिप्रेमी अपना पद, राजनीतिक दल एवं संप्रदाय जैसे भेदों को भूल कर ‘एक हिन्दू’ के रूप में संघटित हो गए ! सनबर्न फेस्टिवल का मोशी की भूमि से बाहर होना, यह तो हिन्दूसंघटनों का विजय ही है, फिर भी यह आंदोलन ऐसे ही नहीं रुकेगा, अपितु इस विकृत सनबर्न फेस्टिवल को भारत के सीमापार होने तक यह चलता ही रहेगा !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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