‘सनबर्न’ को पुरे भारत से ही निकाल बाहर करें ! – सामाजिक एवं हिन्दुत्वनिष्ठ संघटनोंद्वारा मांग

पिंपरी-चिंचवड में आयोजित ‘सनबर्न फेस्टिवल’ प्रकरण

यही है वो जगह जहां बुरी आदतों एवं मादक पदार्थों के सेवन को प्रोत्साहित करनेवाला ‘सनबर्न फेस्टिवल’ इस वर्ष भी आयोजित किया जानेवाला है !

पुणे : बुरी आदतों को प्रोत्साहित करनेवाला और मादक पदार्थों के सेवन का पूर्वइतिहासवाला ‘सनबर्न फेस्टिवल’ इस वर्ष पिंपरी-चिंचवड क्षेत्र के मोशी गांव में आयोजित किया जानेवाला है ! वर्ष २०१६ में स्थानीय ग्रामवासी एवं पुणेवासियों के विरोध को ठुकरा कर इस फेस्टिवल का आयोजन किया गया था। इस वर्ष भी उसकी पुनरावृत्ति हो रही है ! गोवा से निकाल बाहर किए गए इस फेस्टिवल को केवल पुणे से ही नहीं, अपितु भारत से ही निकाल बाहर कर देना चाहिए !

पत्रकार परिषद में बाईं ओर से श्री. चंद्रकांत वारघडे, पू. सुनील चिंचोलकर, ह.भ.प. श्याम महाराज राठोड, श्री. पराग गोखले (संबोधित करते हुए) एवं श्री. प्रवीण नाईक

समस्त सामाजिक एवं हिन्दुत्वनिष्ठ संघटनों ने पुणे के गांजवे चौक स्थित पत्रकार भावन में आयोजित पत्रकार परिषद में बहुमत से यह मांग की। इस अवसर पर समर्थभक्त पू. सुनील चिंचोलकरजी, वारकरी संप्रदाय के ह.भ.प. श्याम महाराज राठोड, सूचना सेवा समिति के प्रदेशाध्यक्ष श्री. चंद्रकांत वारघडे, सनातन संस्था के श्री. प्रवीण नाईक एवं हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. पराग गोखले उपस्थित थे।

प्रारंभ में हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. पराग गोखले ने ‘सनबर्न फेस्टिवल’ की पार्श्वभूमि की जानकारी देते हुए कहा, ‘‘गोवा में आयोजित ‘सनबर्न फेस्टिवल’ में नेहा बहुगुणा नामक युवती की मादक पदार्थों के अतिसेवन के कारण मृत्यु हुई थी। उसके पश्‍चात कर-चोरी के कारण गोवा शासन ने इस फेस्टिवल को गोवा से निकाल बाहर कर दिया। गतवर्ष परमपवित्र छत्रपति संभाजी महाराज के समाधिस्थल परिसर में इस फेस्टिवल का आयोजन किया गया था। अब इस वर्ष पुण्यभूमि देहू-आळंदी परिसर के मोशी गांव में इस फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है ! इस तरह से इस फेस्टिवल के माध्यम से हिन्दुओं के आस्था केंद्रों पर आघात कर उनको मूल्यहीन करने का षडयंत्र है ! इस कार्यक्रम के विरोध में चिंबळी ग्रामवासियों ने पहले ही ग्रामसभा में प्रस्ताव पारित किया है। आसपास के अन्य गांवों के ग्रामवासी भी शीघ्र ही ऐसे प्रस्ताव पारित करेंगे !’’

मोशी गांव में सनबर्न फेस्टिवल का आयोजन करना संत ज्ञानेश्‍वर-तुकाराम का अनादर ! – पूू. सुनील चिंचोलकर

सैकडों वर्षों से देहू-आळंदी मार्ग पर लाखों वारकरी साधक ‘ग्यानबा तुकाराम’ (ज्ञानदेव-तुकाराम) की गूंज में मांगल्य की वर्षा करते हैं। इस मार्ग पर स्थित मोशी गांव में ‘सनबर्न फेस्टिवल’ का आयोजन करने का अर्थ संत ज्ञानदेव एवं संत तुकाराम महाराज का अनादर करना ही है ! सनबर्न का अर्थ महिलाओं के शील की खरीद एवं विक्रय का विकृत माध्यम है। इस फेस्टिवल का यदि मोशी गांव में आयोजन किया गया, तो वह भाजपा-शिवसेना के संयुक्त शासन के लिए एक ‘मृत्युघंटा’ सिद्ध होगी !

इस शासन की यदि इस कार्यक्रम के लिए अनुमति है, तो इन दोनों राजनीतिक दलों को यह घोषित करना चाहिए की, अब हिन्दुत्व से हमारा कोई लेना देना नहीं है !

संतों की भूमि में सनबर्न नहीं होने देंगे ! – ह.भ.प. श्याम महाराज राठोड

देहू-आळंदी परिसर तो संतों की पवित्र भूमि है ! ऐसे पवित्र तीर्थस्थान में यदि भोगवाद एवं अश्‍लीलता को प्रोत्साहित करनेवाला और युवकों को बिगाड देनेवाला कार्यक्रम हम होने ही नहीं देंगे। वारकरी संप्रदाय इस फेस्टिवल का विरोध ही करेगा !

कर-चोरी करनेवाले कार्यक्रम के लिए अनुमति देना अयोग्य ! – श्री. चंद्रकांत वारघडे

सनबर्न के आयोजकों के विरोध में अवैध रूप से कार्यक्रम करने के आरोप में अनेक अपराध प्रविष्ट हैं ! पिछले वर्ष केसनंद गांव में इस फेस्टिवल के आयोजन की अनुमति हेतु १२ अनुमतियों की आवश्यकता होते हुए भी आयोजकोंद्वारा केवल ७ अनुमतियां ली गईं। जिलाधिकारी की ओर से भी इस कार्यक्रम की अनुमति प्रदान की गई। आयोजकों को मनोरंजन कर शाखा की ओर से ५० लाख रुपए और वन विभाग की ओर से अवैध खनन के कारण ४० लाख रुपए का दंड किया गया। ऐसा होते हुए भी यह फेस्टिवल पुनः मोशी गांव में लिया जा रहा है। इसके विरोध में हम लोकायुक्त के पास परिवाद प्रविष्ट करनेवाले हैं !

महाराष्ट्र शासन को प्रधानमंत्री मोदीजी के आवाहन के अनुसार ही कार्य करना चाहिए ! – श्री. प्रवीण नाईक

प्रधानमंत्री मोदीजी ‘मन की बात’ और अन्य माध्यमोंद्वारा भारत के युवकों को प्रोत्साहन देते हैं तथा उनको देश के विकास में सहायता करने का एवं राष्ट्रनिर्माण का आवाहन करते हैं; परंतु महाराष्ट्र शासन ‘सनबर्न’द्वारा बुरी आदतों को प्रोत्साहित करनेवाले कार्यक्रम की अनुमति दे कर युवकों को ‘कौन’ से विकास पथ पर ले जा रहा है ? हमारी यह अपेक्षा है कि महाराष्ट्र शासन, प्रधानमंत्री मोदीजी के आवाहन के अनुसार ही कार्य करें !

संत ज्ञानेश्‍वर महाराज ने अपनी १५वीं वर्ष की आयु में ‘ज्ञानेश्‍वरी’ ग्रंथ लिखा। आज उसके ७०० वर्ष पश्‍चात उनकी ही पुण्यभूमि आळंदी में ‘ज्ञानेश्‍वरी’ के माध्यम से युवा पीढी को सुसंस्कार मिल रहे हैं; परंतु इस ‘सनबर्न’ के कारण केवल १५-१८ वर्ष के बच्चे यदि मद्यपान करते हुए दिखाई देनेवाले हो अथवा मादक पदार्थों के सेवन पर बलि चढ रहें हों, तो यह संत ज्ञानेश्‍वर महाराज का घोर अनादर है !

हम इस पुण्यभूमि एवं संतों की भूमि रहनेवाले भारत को ‘सनबर्न’ के कारण पाश्‍चात्त्य संस्कृति के चंगुल में फंसने नहीं देंगे !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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