हिन्दू अधिवेशन में प.पू. साध्वी सरस्वतीजी द्वारा दिए गए वक्तव्य के कारण क्रॉस के तोडफोड की घटनाएं ! – चर्च संस्था द्वारा नियुक्त (अ)सत्यशोधन समिति

गोवा में क्रॉस की तोडफोड किए जाने का प्रकरण !

चर्च संस्था द्वारा नियुक्त (अ)सत्यशोधन समिति के पूर्वाग्रहयुक्त ब्यौरे में सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समितिपर दोषारोप !

पणजी : चर्च संस्था द्वारा गोवा राज्य में हुए तोडफोड के प्रकरणों के संदर्भ में नियुक्त किए गए एक (अ)सत्यशोधन समिति ने उनके द्वारा बनाए गए ब्यौरे को २१ अगस्त को आयोजित एक पत्रकार परिषद में सार्वजनिक किया है । इस ब्यौरे में पुलिसकर्मियों ने उत्कृष्ट कार्य कर पकडे गए संदिग्ध फ्रान्सिस परेरा को ‘क्लिन चिट’ देते हुए पुलिस का अन्वेषण अयोग्य होने का दावा किया गया है । राज्य में की गई ‘क्रॉस’ की तोडफोड जून मास में संपन्न अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में प.पू. साध्वी सरस्वतीजी द्वारा गोमांस भक्षण के विरोध में दिए गए वक्तव्य के कारण होने का अत्यंत झूठा आरोप लगाया गया है । (फ्रान्सिस फरेरा को बंधक बनाए जाने से हिन्दुत्वनिष्ठों को अपराधी ठहराने का चर्च का षडयंत्र विफल रहा । अतः फरेरा के विरोध में पर्याप्त प्रमाण मिलकर भी चर्च संस्था अपने अहंकार के कारण सत्य मानने के लिए सिद्ध नहीं है । उसके लिए वह असत्य का आधार लेने हेतु भी सिद्ध हुई । प.पू. साध्वी सरस्वतीजी द्वारा दिए गए गोमांस भक्षण के वक्तव्य के कारण यदि ईसाईयों की धार्मिक भावनाएं आहत होतीं, तो वो भडक जाते और क्षुब्ध होकर उन्होंने हिन्दुआें के आस्था के केंद्रों की तोडफोड की होती । प.पू. साध्वीजी के गोमांस भक्षण के सूत्र के आधारपर हिन्दू क्यों क्रॉस की तोडफोड करेंगे ? ऐसे ब्यौरेपर कौन विश्‍वास करेगा ?; परंतु इस ब्यौरे के माध्यम से चर्च संस्था ने अपनी धर्मांधता दिखा दी है, इसे हिन्दुआें को जान लेना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

१. इस ब्यौरे में हिन्दुत्वनिष्ठ सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के विरोध में आरोप लगाए गए हैं । चर्च संस्था के सदस्यों ने पणजी में ली गई पत्रकार परिषद में इस ब्यौरे को सार्वजनिक किया । विशेष बात यह कि, २३ अगस्त को पणजी चुनावक्षेत्र में होनेवाले उपचुनाव के २ दिन पूर्व चर्च संस्था की भूमिका का मतदाताआें को प्रभावित करने हेतु पत्रकार परिषद का आयोजन कर इस ब्यौरे को सार्वजनिक किया गया है ।

२. इस ब्यौरे में मुख्यमंत्री पर्रीकर पर प.पू. साध्वी सरस्वतीजी के विरोध में किसी भी प्रकार की कार्यवाही न करने का आरोप लगाया गया है ।

३. चर्च संस्था द्वारा नियुक्त सत्यशोधन समिति में चर्च संस्था से संबंधित ‘समाज एवं निधर्मवाद (सेक्युलॅरिजम) अध्ययन केंद्र’ एवं ‘सामाजिक न्याय एवं शांति मंडल’ इन दोनों संगठनों के ५ सदस्य नियुक्त किए गए थे ।

४. इस समिति द्वारा किए गए सर्वेक्षण में दक्षिण गोवा में विगत १५ वर्षों में हुई तोडफोड की १५० घटनाएं तथा ४० दफनभूमियों में क्रॉस की तोफडोड की घटनाआें का संज्ञान नहीं लिया गया है; परंतु इस अवधि में हिन्दुआें के धार्मिक स्थलों का सामान्य उल्लेख भी इस समिति के ब्यौरे में नहीं किया गया है ।

५. हिन्दुत्वनिष्ठ सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के विरोध में लगाए गए झूठे आरोप

इस ब्यौरे के पहले ही २ परिच्छेदों में ‘हिन्दू धर्म की रक्षा हेतु कार्यरत सनातन संस्था समाज में धार्मिक तनाव उत्पन्न कर रही है’, यह झूठा आरोप लगााया गया है ।(सनातन संस्था एवं सनातन प्रभात के विरोध में लगाए गए झूठे आरोपों के चलते ‘समाज एवं निधर्मीवाद (सेक्युलॅरिजम्) अध्ययन केंद्र’ एवं ‘सामाजिक न्याय एवं शांति मंडल’ इन दोनों संगठनों के विरोध में विधि के अनुसार कार्यवाही करने हतेु अधिवक्ताआें का समादेश ले रहे हैं । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) इसमें यह कहा गया है कि, सनातन संस्था के अनुसार ‘दुर्जनों के नाश’ का अर्थ देश में स्थित अल्पसंख्यकों का नाश करना है । सनातन संस्था द्वारा प्रकाशित साहित्य में हिंसा को प्रोत्साहन दिया गया है । सनातन संस्था ‘सनातन प्रभात’ के नाम से एक दैनिक प्रकाशित करती है । इस दैनिक के एक अंक में बाईबल अनैतिकता सिखाता है, ऐसा कहा गया है , साथ ही दैनिक में धर्मगुरु(ब्रदर) ननोंपर बलात्कार करते हैं, जैसे सूत्रों को प्रोत्साहन दिया गया है । (दैनिक सनातन प्रभात एकमात्र दैनिक है, जो ईसाई धर्मगुरुआें की अनैतिकता के विषय से संबंधित आंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय समाचार वस्तुनिष्ठता एवं निर्भयता के साथ छापता है । वस्तुनिष्ठ समाचार छापनेपर आपत्ति दर्शाना तो चर्चप्रणित सत्यशोधन समिति का दबावतंत्र है । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) इस दैनिक में ‘फादर’ अन्य धर्मियों का धर्मपरिवर्तन करनेवाले होते हैं, ऐसा दर्शाया जाता है तथा उनके सिरपर सिंग लगाए हुए दिखाए जाते हैं । (ये सभी बातें प्रतिकात्मक होती हैं, यह भी चर्च संस्था की समझ में नहीं आता क्या ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

६ अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में प.पू. साध्वी सरस्वतीजी द्वारा गोमांस भक्षण के विरोध में दिए गए वक्तव्य के कारण तोडफोड की घटनाएं होने का झूठा आरोप

‘गोमांस खानेवाले अल्पसंख्यकों को ‘इसके बुरे परिणाम होंगे’, ऐसी धमकी दी जा रही है । जून २०१७ में क्रॉस की तोडफोड का बडा सत्र चालू होने के पहले हिन्दू जनजागृति समिति ने एक बडे अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन का आयोजन किया था । इस अधिवेशन में विद्वेष फैलानेवाले भाषण दिए गए । (सत्यशोधन समिति किस आधारपर ऐसा कह रही है ?, उन्होंने ऐसे कितने भाषण सुने हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) ‘गोमांस खानेवालों को मारो’, ऐसा भाषण साध्वी सरस्वतीजी ने दिया, साथ ही उन्होंने ‘हिन्दू शस्त्र धारण करें’, ऐसा भी कहा; परंतु उनके विरोध में भारतीय दंडसंहिता की विविध धाराआें के अंतर्गत कार्यवाही करना संभव होनेपर भी कार्यवाही नहीं की गई । (क्या पुलिस विभाग एवं शासन से भी इस समिति को अधिक ज्ञान है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

सनातन संस्था अल्पसंख्यकविरोधी संस्था है । (सत्यशोधन समिति ऐसा किस आधारपर कह रही है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) राज्य में की गई क्रॉस की तोडफोड जून २०१७ में संपन्न अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में प.पू. साध्वी सरस्वतती द्वारा दिए गए गोमांस भक्षकों के विरोध में विद्वेषपूर्ण वक्तव्य के कारण हुई है । इस द्वेषमूलक भाषण के पश्‍चात ही क्रॉस की तोडफोड की जाना संयोग नहीं हो सकता । (प.पू. साध्वी सरस्वतीजी का गोमांस के विषय में मत का क्रॉस की तोडफोड के साथ क्या संबंध ? वर्ष २००४ से लेकर वर्ष २०१० तक जब ईसाईयों से संबंधित धार्मिक आस्था के केंद्रों की तोडफोड हो रही थी, तो क्या तब भी प.पू. साध्वीजी ने कुछ बोला था ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

७. संदिग्ध फ्रान्सिस फरेरा को ‘क्लिन चीट’

इस ब्यौरे में धार्मिक स्थलों की तोडफोड से संबंधित पकडे गए संदिग्ध फ्रान्सिस फरेरा को ‘क्लिन चीट’ प्रदान की गई है । नियोजनबद्ध पद्धति से केवल क्रॉस की ही तोडफोड की गई है । (इस समिति को इसी अवधि में हिन्दुआें के नंदी एवं तुलसी की की गई तोडफोड करने का समाचार ज्ञात नहीं अथवा ज्ञात होकर भी समिति उसकी जानबूझकर अनदेखी कर रही है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) इस प्रकरण में पुलिस अन्वेषण सुस्ती के साथ किया गया है तथा वह राजनीतिक दबाव में किया गया है । नागरिक एवं ‘सिविल सोसाईटी’ के दबाव में आकर पुलिस प्रशासन के ‘बलि के बकरे’ के रूप में फ्रान्सिस फरेरा को हिरासत में लिया । पुलिस प्रशासन के मत के अनुसार संदिग्ध फरेरा की मानसिक स्थिति अच्छी नहीं थी; इसलिए उसने तोडफोड की; परंतु संदिग्ध फ्रान्सिस को बंधक बनाए जानेपर भी तोडफोड की घटना होती ही रहीं । मडकई में क्रॉस की तोडफोड की गई । मडकई के तोडफोड के प्रकरण में झारखंड के एक भ्रमिष्ट व्यक्ति को ‘बलि का बकरा’ बनाया गया । दो भ्रमिष्ट व्यक्ति गोवा में स्थित क्रॉस की तोडफोड कर सकते हैं, यह मानने के योग्य नहीं है । चिंबल में की गई क्रॉस की तोडफोड के आधारपर पुलिस प्रशासन की ओर से यह रास न आनेवाली बात बताई गई । पुलिस प्रशासन का यह कहना था कि एक पशु ने यह क्रॉस गिरा दिया था । पुलिस प्रशासन ने प्रमाण एकत्रित करने के स्थानपर उनको नष्ट करने का प्रयास किया । (क्या इस समिति को पुलिस प्रशासन से भी अधिक ज्ञान है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

क्या ये प्रस्ताव हैं अथवा जांच दलपर बनाया जा रहा दबाव ?

८. (अ)सत्यशोधन समिति द्वारा रखे गए प्रस्ताव

अ. तोडफोड के प्रकरणों की जांच हेतु मुंबई उच्च न्यायालय अथवा सर्वोच्च न्यायालय के निरीक्षण में विशेष जांच दल नियुक्त किया जाए । यह जांच दल राजनीतिक एवं सामाजिक सौहार्द को दूषित करने के दृष्टिकोण से भी जांच करे ।

आ. धार्मिक विद्वेष फैलानेवाले भाषण करनेवालों के विरोध में भारतीय आपराधिक संहिता धारा १५३ अ एवं २९५ अ के अनुसार कार्यवाही की जाए ।

इ. सुबुद्ध समाज धार्मिक विद्वेष फैलानेवाली शक्तियों के विरोध में आंदोलन चलाए तथा ऐसे कृत्य करनेवालों के विरोध में कार्यवाही करने हेतु शासन को बाध्य बनाए ।

संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात

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