क्या पाकिस्तान के नए कानून से बंद होगा हिंदू महिलाओं का जबरन धर्मपरिवर्तन ?

इस्लामाबाद : पाकिस्तान ने बीते १९ मार्च को हिंदू मैरेज़ ऐक्ट २०१७ पर मुहर लगा दी। यहां रहनेवाले हिंदू परिवार इस कानून से अपनी कई आशा लगाए बैठे हैं। उन्हें आशा है कि, इससे पाकिस्तान में रहनेवाले अल्पसंख्यक हिंदुओं को फायदा पहुंचेगा। इस कानून के तहत, अब हिंदू समुदाय के पास अपने विवाह का प्रमाणपत्र बनवाने का अधिकार होगा। पाकिस्तान में हर साल बड़ी संख्या में हिंदू लड़कियों और महिलाओं का अपहरण होता है और उनका जबरन धर्म परिवर्तन किया जाता है। ऐसा नहीं कि केवल कुआंरी लड़कियों के साथ ही इस तरह की ज्यादतियां होती हैं, बल्कि बड़ी संख्या में शादीशुदा महिलाओं को भी इस तरह के अपराधों का शिकार होना पड़ता है। अल्पसंख्यक अधिकारों और सुरक्षा के मामले में पाकिस्तान की छवि बहुत खराब हैं।

यहां रहनेवाले हिंदुओं को आशा है कि, उनके साथ होनेवाला इस तरह का जुल्म अब कम होगा। एक हिंदू लड़की गोबिया ने बताया, ‘हिंदू लड़कियां और महिलाएं हमेशा एक डर के साये में जीती हैं। हमें डर रहता है कि, कोई हमरा अपहरण कर लेगा और जबरन हमारा धर्म परिवर्तन करवाकर हमारा पुनः विवाह करवा देगा, वह भी किसी हिंदू से नहीं, बल्कि किसी बाहरी धर्मवाले के साथ !’ हिंदुओं को आशा है कि, नया कानून उन्हें संरक्षण देगा। चूंकि अब उनके विवाह का कानूनी पंजीकरण होगा और सरकार के पास इसका रेकॉर्ड मौजूद होगा, ऐसे में पीड़ित महिलाओं और उनके परिवार को यह साबित करने में दिक्कत नहीं होगी कि वह पहले से शादीशुदा है।

पाकिस्तान काउंसिल ऑफ मेघवार के अध्यक्ष अर्जुन दास बताते हैं, ‘गैर-हिंदू समुदाय के स्थानीय लोग हमारी शादीशुदा बेटियों और बहनों का अपहरण करवाते हैं और फिर उन्हें जबरन मुसलमान बना देते हैं। उसके बाद जबरन उनका पुनः विवाह किया जाता है।’ ३ साल पहले १६ साल की अंजलि कुमारी का दिनदहाड़े उसके घर से अपहरण कर लिया गया। एक दिन के अंदर ही उसे जबरन मुसलमान बना दिया गया। कुमारी के पिता कुंदन लाल मेघवार कहते हैं, ‘जब हमने अपनी बेटी के अपहरण के विरुध्द आवाज उठाई, तो स्थानीय राजनैतिक संगठनों के साथ मिलकर वे अपहरणकर्ता हमें मारने की धमकी दे रहे थे। हमें कराची में छुपना पड़ा था !’ मेघवार आगे बताते हैं, ‘उसका जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया और उसके इच्छा के बिना उसका विवाह किया गया !’ २०१४ में एक न्यायालय ने इस केस की सुनवाई करते हुए अंजलि को शहर के एक सरकारी नारी केंद्र में रखने का आदेश दिया। न्यायालय ने कहा कि, उसके माता-पिता वहां जाकर उससे मिल सकते हैं। मेघवार आगे बताते हैं, ‘न्यायालय ने फैसला तो दिया, परंतु हमें हमारी बेटी से मिलने नहीं दिया गया। उसे बताया गया कि, हम लोग उसे अपहरणकर्ताओं से बचाकर वहां से निकालना ही नहीं चाहते हैं !

स्त्रोत : नवभारत टाइम्स

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