जबलपुर (मध्य प्रदेश) : हिन्दू सेवा परिषद की विशाल गदा यात्रा एवं धर्मसभा !

हिन्दू सेवा परिषद का ५वां वर्धापनदिवस

हिन्दू जनजागृति समिति के हिंदी ‘अ‍ॅन्ड्राईड अ‍ॅप्लीकेशन’ का मान्यवरों के हाथों विमोचन !

यदि ईश्‍वर चाहिए, तो गांडीव एवं गदा धारण करें ! – श्री. तपन घोष

अमेरिका जैसे विकसित देश में शस्त्र धारण करने की अनुमति है, तो भारत में उसपर प्रतिबंध क्यों ? पाप एवं अधर्म को नष्ट ही कर देना चाहिए । रामायण में महर्षि वाल्मिकीजी ने तथा तुलसीदासजी ने लंकादहन को ‘सुंदरकांड’ कहा है । धर्मसंस्थापना करने हेतु अर्जुन की भांति गांडीव एवं हनुमानजी की भांति गदाधारी भक्तों की आवश्यकता है । समय के अनुसार अधर्म के विरोध में गांडीव एवं गदा धारण करें, उससे आप को प्रभु श्रीराम की प्राप्ति होकर रहेगी ! बंगाल के हिन्दू संहति संघटन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. तपन घोष ने ऐसा प्रतिपादित किया । वे, यहां के सिविक सेंटर में हिन्दू सेवा परिषद के ५वें वर्धापनदिवस के उपलक्ष्य में आयोजित सभा में बोल रहे थे । सभा के पूर्व शहर में एक भव्य गदायात्रा निकाली गई थी । इस अवसरपर ५ सहस्र से भी अधिक हिन्दू उपस्थित थे ।

दीपप्रज्वलन करते हुए मान्यवर

श्री. घोष ने आगे कहा, ‘भारत हिन्दुओं की धर्मभूमि, पुण्यभूमि एवं मोक्षभूमि है । यह कोई वाटिका नहीं कि जिसमें कोई भी आकर फल खाए । मुसलमानों को यदि भारत में रहना है, तो उन्हें ‘वन्दे मातरम’ कहना ही पडेगा । जो इस भूमि को अपनी माता मानता है, केवळ उसी को यहां रहने का अधिकार है । भगवान श्रीकृष्ण को मारने हेतु उनकी माता के रूप में ‘पूतना’ आयी थी । आज के मिशनरी सेवा के नामपर धर्मांतरण करनेवाले राक्षस ही हैं । युवकों को ऐसे राक्षसों के संदर्भ में सतर्क रहकर लडाई लडनी चाहिए । आज के ये ‘टाइम्स ऑफ इंडिया‘, ‘इंडिया टुडे’ जैसे अंग्रेजी नियतकालिक इस देश की आवाज नहीं हैं । इनके माध्यम से सदैव धर्मनिरपेक्षता का ढिंढोरा पीटा जाता है । अब इन निधर्मीवादियों के ढोल-नगाडों की अपेक्षा हमारा स्वर अधिक बुलंद होना चाहिए । उसके लिए ‘हिन्दू राष्ट्र’ आए बिना हम शांति से नहीं बैठेंगे !

अब हिन्दुओं के सामने छद्मयुद्ध की चुनौती ! – पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे

इस अवसरपर सभा को संबोधित करते हुए हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने कहा, ‘बार-बार होनेवाली रेल दुर्घटनाएं, जबलपुर के ऑर्डिनन्स फॅक्टरी में हुई दुर्घटना इससे यह स्पष्ट होता है कि, इस माध्यम से जिहादियोंद्वारा छद्म युद्ध लडा जा रहा है । कानपुर रेल दुर्घटना के पीछे इसिस का हाथ होने का तथा उसकी जडें मध्य प्रदेश में होने का अब स्पष्ट हुआ है । हम प्रत्यक्ष रूप से सामने है उस शत्रु से तो लड सकते हैं; किंतु अब हमपर छिपकर वार करने का प्रयास करनेवालों को रोकने की चुनौती है ! पुलिस प्रशासन को, ऐसे जिहादियों की जानकारी देकर उन्हें ‘जन्नत’ में भेजने हेतु सहयोग दें ! हम यदि संघटित हो गए, तो हर राजनीतिक दल को हमारी बात सुननी पडेगी, और यह उत्तर प्रदेश के चुनावों से स्पष्ट भी हो गया है !

सभा में उपस्थित जनसमुदाय

हिन्दू सेवा परिषद ने प्रस्तुत किया, ‘संघटन’ का आदर्श !

पू. डॉ. पिंगळेजी ने कहा, ‘५ वर्षों में हिन्दू सेवा परिषद ने इतनी बडी मात्रा में युवकों का संघटन कर सब के सामने एक आदर्श रखा है । अब इस सभा में उपस्थित हरएक कार्यकर्ता का यह दायित्व है कि, ‘वह न्यूनतम १० अन्य कार्यकर्ताओं तक यह जागृति पहुंचा कर, संघटन को और अधिक १० गुना आगे ले जाना है !’

हिन्दू धर्म की ओर वक्रदृष्टि डालनेवालोंपर दहशत बैठे, ऐसा कड़ा प्रत्त्युत्तर दें ! – श्री. अतुल जेसवानी, अध्यक्ष, हिन्दू सेवा परिषद

पाकिस्तान जब भारत से अलग हुआ, तब हिन्दुओंपर निर्मम अत्याचार किए गए । आज की भारत की स्थिति को देखते हुए हिन्दुओं पर ऐसी स्थिति कभी न आए; इसलिए हमें इस इतिहास को नहीं भूलना चाहिए । इसके लिए राजनीति नहीं, अपितु हमें धर्मनीति अपनानी चाहिए । स्वरक्षा हेतु हरएक को शस्त्र उठाना चाहिए । हम यदि केवल एक ‘उंगली’ से उत्तर प्रदेश में सत्तापरिवर्तन कर सकते हैं, तो उसी हाथ से हम हमारे धर्म की रक्षा भी कर सकते हैं !

जो हिन्दू धर्म की ओर वक्रदृष्टि डालेगा उसपर दहशत बैठे, ऐसा उत्तर अब दिया जाएगा । अब हिन्दू युवकों ने अन्याय होने पर रोता हुआ न बैठकर उसका प्रतिकार करना चाहिए । उसके लिए जो भी सहयोग आवश्यक है, वो हम देंगे !

गौरक्षा की चर्चा करने में, सांप्रदायिकता कैसी ? – श्री. निखिल कनौजिया

श्री. निखिल कनौजिया

हिन्दू सेवा परिषद के महानगर अध्यक्ष श्री. निखिल कनौजिया ने कहा, ‘जब इस देश में प्राणियों के अधिकार की चर्चा होती है, तब वे सेक्यूलर होते हैं; किंतु जब हम गौरक्षा की चर्चा करते हैं, तो हम सांप्रदायिक कैसे होते हैं ? हम स्वरक्षा हेतु वैधानिक पद्धति से शस्त्र धारण कर सकते हैं !

पाश्‍चात्त्य संस्कृति में मनचलापन छोडकर और है ही क्या ? – प.पू. डॉ. स्वामी मुकुंददास महाराज

इस अवसरपर परिषद के मार्गदर्शक श्री गुप्तेश्‍वर पिठाधिश्‍वर प.पू. स्वामी मुकुंददास ने कहा, ‘आज वास्तविक संकट जिहादी आतंकी तथा देशविरोधी तत्त्वोंद्वारा चलाए जा रहे अंतर्गत युद्ध का है । यह संकट व्यापार, शिक्षा एवं विदेशी संस्कृति का प्रसार जैसे अनेक क्षेत्रों में अपना सर उठा रहा है । आज भारतियों को अपनी बुद्धी का उपयोग न कर केवल अंधानुसरण करने की आदत पड गई हैं । हमें पाश्‍चात्त्य संस्कृति के अनुसार आचरण कर क्या, मिलता है ? उसमें मनचलापन छोडकर दूसरा क्या है ? हिन्दुओं के हर त्यौहार में ज्ञान, भक्ति एवं समृद्धि का संगम है । त्यौहारों के दिन व्रत एवं पूजन कर ऊर्जा प्राप्त की जाती है, इसे हम कब ध्यान में लेंगे ? संस्कृत के ‘सप्तम’ शब्द से सप्टेंबर, ‘अष्टम’ शब्द से ऑक्टोबर एवं ‘दशम’ शब्द से डिसेंबर नाम पड गए; किंतु वास्तविक रूप में दिसंबर मास १२वां क्यों है, इसका उत्तर विदेशी विद्वानों ने देना चाहिए । हमने इस प्रकार से यदि विदेशी संस्कृति का अध्ययन किया, तो उसमें निहित व्यर्थता हमारे ध्यान में आएगी !

हिन्दू जनजागृति समिति के हिंदी ‘अ‍ॅन्ड्राईड अ‍ॅप्लीकेशन’ का मान्यवरों के हाथों विमोचन !

हिन्दू जनजागृति समिति के ‘अ‍ॅन्ड्राईड अ‍ॅप्लीकेशन’ का विमोचन करते हुए दाईं ओर से श्री. तपन घोष, प.पू. डॉ. स्वामी मुकुंददास महाराज, पू. डॉ. चारूदत्त पिंगळे, श्री. अतुल जेसवानी, श्री. जितेंद्र चिमनानी एवं श्री. निखिल कनौजिया

‘गुगल प्ले स्टोअर’पर हिन्दू जनजागृति समिति का ‘अ‍ॅन्ड्राईड अ‍ॅप्लीकेशन’ हिंदी, अंग्रेजी एवं मराठी भाषाओं में उपलब्ध है । इस अ‍ॅप्लीकेशन में हिन्दुओं का गौरवशाली इतिहास, धर्मशिक्षा, देश-विदेश में हिन्दुओं के संदर्भ में होनेवाली घटनाएं, धर्मरक्षा हेतु लडनेवालों के लिए आवश्यक कानूनी जानकारी के साथ अन्य बहुत कुछ जानकारी उपलब्ध है । अतः हर हिन्दू इस अ‍ॅप्लीकेशन को डाऊनलोड कर उसका लाभ उठाएं, ऐसा आवाहन समिति की ओर से किया गया ।

क्षणचित्र

१. इस समय निकाली गई गदायात्रा में अंतर्निहित डॉल्बी यंत्रणा को पुलिस ने अपने नियंत्रण में कर लिया ।

२. सभा स्थल पर हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से क्रांतिकारकों एवं ‘हिन्दू राष्ट्र’ के विषय में प्रदर्शनी लगाई गई थी, जिसका अनेक हिन्दुओं ने लाभ उठाया ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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