पाकिस्तान में कायम हैं तालिबान, हक्कानी नेटवर्क के पनाहगाह : पेंटागन

वाशिंगटन : पेंटागन ने कहा है कि, तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे अफगानिस्तान केन्द्रित आतंकवादी समूहों ने पाकिस्तानी सरजमीन से सरगर्मियां चलाने की स्वतंत्रता बरकरार रखी है जबकि अमेरिका ने साफ शब्द में पाकिस्तान से आतंकवादी संगठनों के पनाहगाह खत्म करने को कहा था।

पेंटागन ने अमेरिकी संसद को दी गई अपनी अर्धवार्षिक रिपोर्ट में कहा, ”पाकिस्तानी सरजमीन के अंदर सरगर्मी चलाने की तालिबान और हक्कानी नेटवर्क समेत अफगानिस्तान केन्द्रित आतंकवादी समूहों के वरिष्ठ नेतृत्व की स्वतंत्रता बरकरार है।

रिपोर्ट में कहा गया है, अमेरिका पाकिस्तान को यह स्पष्ट करना जारी रखे है कि सुरक्षा स्थिती को सुधारने और आतंकवादी एवं चरमपंथी समूहों को पनाहगाह से वंचित करने के लिए उसे कौन से कदम उठाने चाहिए।

नवंबर २०१६ तक की अपनी रिपोर्ट में पेंटागन ने कहा है कि, तालिबान और हक्कानी नेटवर्क समेत अफगानिस्तान केन्द्रित आतंकवादी समूहों के वरिष्ठ नेतृत्व की पाकिस्तानी सरजमीन के अंदर पनाहगाह बरकरार है है और समीक्षा काल के दौरान हक्कानी नेटवर्क के खतरों को दूर करने का कोई अनवरत पाकिस्तानी प्रयास नहीं दिखता।

१०० पन्नों की इस रिपोर्ट में पेंटागन ने कहा है कि, अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा से लगा क्षेत्र विभिन्न समूहों की पनाहगाह बना हुआ है।

अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सरहद के इलाकों मेंं सक्रिय संगठनों में तालिबान, अल-कायदा, एक्यूआईएस, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), आईएसआईएल-के और इस्लामिक मुवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ”ये पनागाह और ये समूह दोनों देशों के लिए सुरक्षा चुनौती बने हैं और क्षेत्रीय स्थिरता एवं सुरक्षा के लिए खतरा पेश करते हैं।” रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि, सामूहिक रूप से आतंकवादी और उग्रवादी समूह अफगान, अमेरिकी और सहयोगी देशों के बलों के लिए एक शक्तिशाली चुनौती पेश करना जारी रखे हैं।

पेंटागन ने कहा कि, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में गतिविधियां चलाने वाले आतंकवादी और चरमपंथी संगठनों की संख्या बहुत ज्यादा है और उनमें से कई प्रतिबंधित किये गये संगठन दोनों देशों में सक्रिय हैं जिससे खतरे का एक जटिल वातावरण बनता है। रिपोर्ट में इंगित किया गया है कि, तालिबान नीत छापेमार गतिविधियों में शामिल हक्कानी नेटवर्क अमेरिकी, अफगान और सहयोगी देशों के बलों के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। ये अल-कायदा का अहम मददगार है।

पेंटागन ने कहा है कि, तालिबान के उप प्रमुख के रूप में हक्कानी नेटवर्क नेता सिराजुद्दीन हक्कानी की भूमिका ने तालिबान के अंदर हक्कानी के प्रभाव को मजबूत किया है। इसने कहा है कि, सिराजुद्दीन हक्कानी की हैसियत ने संभवत: हक्कानी नेटवर्क को अफगानिस्तान के अंदर अपनी गतिविधियों का क्षेत्र बढ़ाने और तालिबान को अतिरिक्त संचालनात्मक एवं योजना क्षमता मुहैया कराने में मदद की है।

स्तोत्र : पंजाब केसरी

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