जलगांव में संपन्न हुए ‘प्रांतीय हिन्दू अधिवेशन’ में सनातन को पूरी तरह से साथ देने का हिंदुत्वनिष्ठों का निर्धार !

हिन्दु धर्म का कार्य करते समय हिन्दूत्वनिष्ठ अधिवक्ताओं का सहकार्य आवश्यक ! – अधिवक्ता श्री. गोविंद तिवारी, हिन्दु महासभा, राज्य संगठक

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हिन्दुओं का संगठन करना यही वर्तमान की आवश्यकता है। यह संगठन का कार्य हमें वैधानिक मार्ग से ही करना चाहिए।

हिन्दुओं के त्योहारों के समय हमें पुलिसद्वारा किया गया विरोध सहना पडता है। दुर्गामाता दौड के समय मुझे तथा मेरे कार्यकर्ताओं को १४९ धारा लागू कर पूछताछ हेतु बुलाया गया था। उस समय हिन्दूत्वनिष्ठ अधिवक्ताओंद्वारा किये गये सहकार्य से ही हम बच गये ! वर्ष १९७० में जलगांव के तांबापुरा क्षेत्र में हुए हिंसाचार में भी धर्मांधों पर अनेक प्रकार के अपराध प्रविष्ट हुए थे। उसकी तुलना में हिन्दुओं पर अल्प मात्रा में अपराध प्रविष्ट हुए थे। अतः हिन्दू धर्म का कार्य करते समय हिन्दुत्वनिष्ठ अधिवक्ताओं का सहकार्य लेना चाहिये !

कश्मिर विषय पर राष्ट्रव्यापी आंदोलन आयोजित करने की आवश्यकता ! – श्री. सुनील घनवट, महाराष्ट्र राज्य संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति

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आज कश्मिर की स्थिती प्रतिदिन अत्यंत कठीन होती जा रही है। कश्मिर के हिन्दुओं को वर्ष १९९० में कश्मिर से पलायन करना पडा था; इसलिए वहां शेष रहे बहुसंख्य विभाजनवादियों की मानसिकता यही है कि, कश्मिर पाकिस्तान में सम्मिलित होना चाहिए। वहां के छोटे बच्चें भी हमारे सैनिकों पर आक्रमण कर रहे हैं।

कश्मिर में आतंकवादी बुरहान वाणी की हत्या के पश्चात हुए हिंसाचार में हमारे सहस्त्रों सैनिक घायल हुए। यदि हम ने कश्मिर के विषय पर गंभीरता से विचार नहीं किया, तो ये आतंकवादी बचा हुआ कश्मिर भी बलपूर्वक अधिकार में लेंगे !

अतः कश्मिर विषय पर राष्ट्रव्यापी आंदोलन आयोजित करने की आवश्यकता है !

७८ गणेशमंडलों को संगठित करने के कारण ही प्रबोधन करना सहज हुआ ! – डॉ. नरेंद्र पाटिल, हिन्दू जनजागृति समिति समन्वयक, नंदुरबार

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नंदुरबार शहर के प्रशासन की मुघलाई बंद करने के लिए शहर के ७८ गणेशमंडलों को संघटित कर, सभी का एक ‘गणेशोत्सव महामंडल’ स्थापित किया गया।

उसी के माध्यम से गणेश मंडलों को अनुमति देने हेतु ‘एक खिड़की योजना’ कार्यान्वित करने के लिये प्रशासन को बाध्य किया गया। शांतता समिति की बैठक में ‘अन्य धर्मियों’ को आमंत्रित कर हिन्दुओं के त्योहारों के संदर्भ में बोधामृत पिलाया जाता था। अन्य धर्मियोंद्वारा हमें ही सीख देनेवाली ये प्रथा साथ ही गणेशमंडलों का अनादर प्रतिबंधित करने हेतु गणेशमंडलों की स्वतंत्र बैठक आयोजित करने के लिये भी प्रशासन को बाध्य किया गया। गणेशमूर्ती विसर्जन के समय किया जानेवाला गणेशमूर्तियों का अनादर समय पर ही स्पष्ट कर प्राकृतिक जलाशय में विसर्जन करने के लिए बाध्य किया गया, यह सभी केवल ‘संगठितता’ के कारण ही करना सहज हुआ !

‘सार्वजनिक त्योहार महामंडल’ के माध्यम से अन्य त्योहारों के समय भी मंडलोंद्वारा इस प्रकार से संगठितरूप से कार्य करने का निश्चय भी किया गया !

वर्तमान की पिढी का पाश्चात्त्य संस्कृति की ओर अंधानुकरण से हो रहा मार्गक्रमण ! – ह.भ.प. सौरभ पाटिल महाराज, जलगांव

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आज पाश्चात्त्य संस्कृति के अंधानुकरण के कारण वर्तमान की पिढी सात्त्विक आहार की अपेक्षा पिज्जा, बर्गर के समान आहार की ओर, तो सात्त्विक वेशभूषा की अपेक्षा पाश्चिमात्त्यों के अनुसार वेशभूषा कर रही हैं।

स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि, पाश्चात्त्य संस्कृति पैरों की जूती के अनुसार, तो हिन्दु संस्कृति सिर की पगडी के अनुसार है !

सूचना अधिकार के अधिनियमों का सुयोग्य उपयोग करना आवश्यक ! – श्री. दीपककुमार गुप्ता, सामाजिक कार्यकर्ता

deepak_kumar_guptaधर्मकार्य करते समय वैध मार्ग से लडा देते हुए ‘सूचना अधिकार’ का उपयोग एक ‘शस्त्र’ के समान हो सकता है !

सूचना अधिकार का उपयोग करते समय एक साधारण कागज पर भी हम जानकारी प्राप्त कर सकते हैं !

सूचना अधिकार का उचित उपयोग कर मस्जिदों पर बजनेवाले अवैध भोंपुं, अवैध पशुवधगृहों पर भी प्रतिबंध लगा सकते हैं !

अधिनियमों की धाराओं का उचित उपयोग करना चाहिए ! – अधिवक्ता श्री. सुरेश कुलकर्णी, संस्थापक सदस्य, हिन्दु विधीज्ञ परिषद

गोरक्षा के संदर्भ में पुलिस हिन्दुओं को ही सदैव दबोचते रहते हैं ! अधिनियमों की धाराओं का उचित उपयोग करने से वैधानिक मार्ग से गोरक्षण प्रभावी कर सकते हैं। अधिकांश अल्पायु युवतियां लव्ह जिहाद की घटनाओं में फंसती हैं, उस समय हम एक निश्चित भूमिका अपनाकर परिवाद प्रविष्ट कर सकते हैं !

१ मार्च २०१५ को महाराष्ट्र में गोहत्या बंदी अधिनियम लागू हुआ, किंतु, यह अधिनियम पूरीतरह से सक्षम नहीं है तथा अन्य राज्यों में भी यह अधिनियम अधूरे स्वरूप में ही है ! – अधिवक्ता श्रीमती रूपाली भोकरीकर सहसचिव, जिला बार असोशिएशन, जलगांव

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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