अमरनाथ यात्रियोंपर किया गया आक्रमण यह स्थानीय धर्मांध एवं जम्मू-कश्मीरकी पुलिसका ही षडयंंत्र !

श्रावण शुक्ल पक्ष प्रतिपदा, कलियुग वर्ष ५११६

अमरनाथ यात्रियोंद्वारा बताया गया हृदयविदारक सत्य

  • धर्मांधोंने यज्ञकुंडमें लघुशंका की !
  • पाकिस्तान जिंदाबादकी घोषणाएं की गई !
  • चप्पल-जूते मारकर शिवलिंगका अपमान किया !
  • हिन्दुओ, ध्यान रखें मोदी शासन आपकी रक्षा नहीं कर सकेगा, अतः ‘हिन्दू राष्ट्र’ लाने हेतु सक्रिय हो !

अमृतसर (पंजाब) – अमरनाथ यात्रियोंपर कुछ दिन पूर्र्व धर्मांधोंद्वारा किए गए आक्रमणके कारण वर्तमानमें भारतभरमें आंदोलन हो रहे हैं ।। इस अनुषंगसे यात्रासे लौटे पंजाबके कुछ श्रद्धालुओंने कैबिनेट मंत्री श्री. अनिल जोशीसे भेंट कर उन्हें आक्रमणके समयका पूरा समाचार बताया एवं इस अवसरपर उन्होंने आरोप लगाया कि अमरनाथ यात्रियोंपर किया गया आक्रमण मूलतः स्थानीय धर्मांध एवं जम्मू-कश्मीरकी  पुलिसका ही षडयंत्र है । श्रद्धालुओंने कैबिनेट मंत्री श्री. अनिल जोशीको निम्नांकित  जानकारी दी ।

१. आक्रमणके दिन जम्मू-कश्मीरकी  पुलिसद्वारा सुबह शीघ्र ही भारतीय सैनिकोंको  सुरक्षाके लिए ऊंचे स्थानपर भेज दिया गया । तत्पश्चात स्थानीय धर्मांधोंकी सहायतासे उन्होंने लंगर एवं हिन्दुओंके शिविरपर आक्रमण किया । (चालबाज मुसलमानोंपर अंधा  विश्‍वास रखनेवाले भारतीय जवान ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

२. उन्होंने  घोडेकी  पीठपर लादकर बहुतसे पत्थर पहले ही लाकर रखे थे । उन्होंने चारों ओरसे भीषण पथराव प्रारम्भ  किया एवं पथराव होते समय लूटमार प्रारम्भ कर दी । इस अवसरपर धर्मांधोंको जम्मू-कश्मीरकी पुलिस भी साथ दे रही थी । जिन श्रद्धालुओंने यह सब पथराव एवं लूूटमार अपने भ्रमणध्वनि अथवा कैमरेसे (छायाचित्रक) चित्रित करनेका प्रयास किया था, उन सभीके भ्रमणध्वनि एवं कैमरे पुलिसने पथरोंसे कुचलकर तोड डाले ।

३. धर्मांधों एवं पुलिसोंने हिन्दू महिलाओंको अपशब्द कहे ।

४. हिन्दुओंके लिए भोजनकी व्यवस्था वाले प्रत्येक भंडारगृहमें एक मंदिर होता है । इस मंदिरकी मूर्तियोंपर पथराव किया गया ।

५. भगवान शिवजीके फलकपर पांव रखकर धर्मांधोंने नाच किया । शिवलिंगपर चप्पलें एवं जूते मारकर अपमान किया गया । महिलाओंके वस्त्र मंदिरके बाहर टांगे गए ।

६. हम लंगरका साहित्य लेने हेतु बाहर मार्गपर आए थे,  उस समय हमने देखा कि जम्मू-कश्मीरके पुलिसकर्मी हिन्दुओंके शिविरोंमें आग लगा रहे हैं । उन्होंने धर्मांधोंको रोकनेके स्थानपर हमपर लाठीसे आक्रमण किया, जिसमें अनेक नागरिक  गंभीर रूपसे घायल हो गए ।

५. ‘जितना लूटना संभव है, लूटें !’, यह कहकर पुलिसवाले धर्मांधोंको प्रोत्साहित कर रहे थे । जितनी सामग्री घोडेपर लादकर ले जाना संभव था, उतने साहित्यकी लूट की गई एवं लंगरकी  शेष सामग्रीपर पानी फेंक दिया गया, जिसके कारण अनाज खराब हो गया । (मुसलमानोंकी आर्थिक स्थिति सुधारने हेतु उन्हें सैना एवं पुलिस  दलमें आरक्षण देनेकी  मांग करनेवाले क्या जम्मू-कश्मीरके खाकी वर्दीके धर्मांधोंके अत्याचारके विषयमें कुछ बोलेंगे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

६. उन्होंने वहांके यज्ञकुंडमें एवं हिन्दू श्रद्धालुओंका भोजन बनानेके लिए उपयोगमें लानेवाले हंडोंमेें लघुशंका की तथा उसमें चप्पल एवं जूते भी फेंके गए ।

७. उन्होंने ‘कश्मीर हमारा है, तुम इधर क्यों आए हो ?’ ऐसा कहते हुए ‘पाकिस्तान जिंदाबाद !’ की घोषणाएं की ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात


अद्ययावत


अमरनाथ यात्रियोंकी रक्षा करनेमें असमर्थ जम्मू-कश्मीर शासन विसर्जित करें ! – शिवसेना (हिन्दुस्थान)

श्रावण अमावस्या, कलियुग वर्ष ५११६
(२६ जुलार्इ २०१४)

नवाशहर (पंजाब) – शिवसेना (हिन्दुस्थान) संगठनद्वारा अमरनाथ यात्रियोंपर होनेवाले आक्रमणके निषेधार्थ चंडीगढ चौकपर आयोजित आंदोलनमें यह मांग की गई कि अमरनाथ यात्रियोंकी रक्षा करनेमें असमर्थ जम्मू-कश्मीर शासन विसर्जित कर वहां राष्ट्रपति शासन लागू करें । शिवसैनिकोंने ओमर अब्दुल्ला शासनके विरोधमें तीव्र घोषणा देकर जम्मू-कश्मीर शासनके प्रतीकात्मक पुतलेका दहन किया । शिवसेनाके स्थानीय प्रमुख श्री. संजीव घनौलीके नेतृत्वमें यह आंदोलन किया गया । उस समय घनौलीने यह आरोप लगाया कि यात्रियोंपर होनेवाले आक्रमणके षडयंत्रमें जम्मू-कश्मीर राज्यशासनका ही सहभाग है । शिवसेनाके जनपद सचिव श्री. विकी धीमान बलाचौरने यह चेतावनी दी कि जम्मू-कश्मीरके बसवाहनोंको पंजाबमें आनेसे प्रतिकार करेंगे तथा पंजाबसे जम्मू-कश्मीरको जानेवाली बस रोक देंगे । साथ ही बलाचौरने हिन्दू यात्रियोंकी सुरक्षाकेके लिए स्थानीय पुलिसकर्मियोंको हटाकर सेनाका आवाहन करनेकी मांग की ।

शिवसेना (हिन्दुस्थान)के साथ अन्य धार्मिक संगठनोंद्वारा रास्ता बंद आंदोलन

अमरनाथ यात्रियोंपर होनेवाले आक्रमणके निषेधार्थ शिवसेना (हिन्दुस्थान)के साथ अन्य धार्मिक संगठनोंद्वारा आज चंडीगढ-जालंधर महामार्गपर स्थित कंगना पुलपर रास्ता बंद आंदोलन किया गया । उस समय आंदोलनकर्ताओंकी ओरसे जनपद प्रशासनको निवेदन भी प्रस्तुत किया गया ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Leave a Comment

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​