मुंबई – ‘धर्मप्रथाओंको तोडने’ एवं ‘हिंदूओंपर होनेवाले अन्याय’ के विरोध में १८ हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंद्वारा ‘राष्ट्रीय हिंदू आंदोलन !’

आझाद मैदान में ‘राष्ट्रीय हिंदू आंदोलन !’

आझाद मैदान में १८ हिंदुत्वनिष्ठ संगठन सम्मिलित !

शनिशिंगनापूर की धार्मिक प्रथा को तोडने के इच्छुक भूमाता ब्रिगेडपर कठोर कार्रवाई करें !
विस्थापित कश्मीरी हिंदूओंको केंद्रशासित प्रदेश ‘पनून कश्मीर’ दें !
मालदा (बंगाल) में हुए दंगे का न्यायिक अन्वेषण करें !

‘धर्मप्रथाओंको तोडने’ एवं ‘हिंदूओंपर होनेवाले अन्याय’ के विरोध में ‘राष्ट्रीय हिंदू आंदोलन !’

मुंबई : २६ जनवरी को शनिशिंगनापूर की धार्मिक प्रथा तोडने के लिए जानेवाले भूमाता ब्रिगेड के कार्यकर्ताओंपर उनके जाने से पूर्व ही कानूनी कार्रवाई कर हिंदूओंकी धार्मिक भावनाओंकी रक्षा की जाए, कश्मीर से विस्थापित हुए ४.५ लाख से भी अधिक हिंदूओंके पुनर्वास के लिए ‘पनून कश्मीर’ नामक केंद्रशासित प्रदेश को मान्यता दी जाए, साथ ही मालदा (बंगाल) में २.५ लाख धर्मांधोंद्वारा की गई सांप्रदायिक हिंसा का न्यायिक अन्वेषण कर दोषियोंपर कठोर कार्रवाई हों आदि विविध मांगोंको लेकर यहां के आझाद मैदान में १९ जनवरी के दिन दोपहर २ से ५ इस कालावधि में ‘राष्ट्रीय हिंदू आंदोलन’ किया गया।

इस अवसरपर १८ हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंके पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता इस आंदोलन में सहभागी हुए थे।

हिंदुत्वनिष्ठोंकी उपरोक्त मांगोंको लेकर शासन को सौंपे जानेवाले ज्ञापन पर सैंकडो नागरिकोंने अपने हस्ताक्षर किए। उपस्थित हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंके पदाधिकारियोंने हिंदूंओंपर किए जा रहे अन्याय के विरोध में हिंदूओंको क्रियाशील संगठन करने का आवाहन किया।

इस आंदोलन में २७५ से भी अधिक हिंदुत्वनिष्ठ उपस्थित थे।

१. श्रीक्षेत्र शनिशिंगनापूर में श्री शनिदेव के चबुतरेपर महिलाओंको प्रवेश करने के लिए प्रतिबंध होते हुए भी केवल प्रसिद्धी प्राप्त करने हेतू धार्मिक प्रथा को तोडने के लिए प्रयासरत कथित पुरोगामी भूमाता ब्रिगेड इस संगठन को पुलीस प्रशासन वहां प्रवेश करने से पहले रोक कर ‘हिंदु परंपरा’ एवं ‘धर्म’ इनकी रक्षा करे, ऐसी मांग बडी संख्या में संघटित महिला आंदोलकोंने की।

२. कश्मीरी हिंदूओंके हुए विस्थापन को १९ जनवरी को २५ वर्ष पूरे हुए।

अभी तक उनका पुनर्वसन नहीं हो सका है। कश्मीरी हिंदूओंपर जिहादी आतंकवादियोंद्वारा किए गए आक्रमणोंका न्यायिक आयोगद्वारा व्यापक अन्वेषण करा कर इन अत्याचारोंको ‘वंशसंहार’ के रूप में जाना जाए, साथ ही विस्थापित हिंदूओंका पुनर्वसन करते हुए ‘पनून कश्मीर प्रदेश’ के लिए धारा ३७० लागू ना की जाए, कश्मीर में स्थित हिंदूओंकी मंदिरें एवं भूमी इनका सर्वेक्षण कर उनको संरक्षित किया जाए।

वहां तीर्थयात्रा का आयोजन करने की अनुमती दी जाए, आदि मांगें इस आंदोलन के माध्यम से केंद्र शासन से की गईं।

३. पश्‍चिम बंगाल के मालदा जनपद के कालियाचक में ३ जनवरी के दिन २.५ लाख धर्मांधोंने रैली निकाल कर शासकीय एवं निजी संपत्ती की बडी मात्रा में क्षति की।

गोलीबारी करना, बसोंको जलाना, पुलीस थाना, साथ ही पुलीस एवं सीमा सुरक्षा बल के २४ वाहनोंको जलाना, बमविस्फोट करना आदि गंभीर हिंसा करनेवाले धर्मांधोंपर कार्रवाई करने की अपेक्षा उन्हें संरक्षण दे कर शासन पीडित हिंदूओंके साथ अन्याय कर रही है !

इसलिए बंगाल के कानून द्रोही शासन को विसर्जित कर वहां राष्ट्रपती शासन लागू किया जाए, यह मांग भी इस आंदोलन के माध्यम से की गई।

इस आंदोलन में १८ हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंसहित शिवसेना एवं भाजपा के कार्यकर्ताओंका सहभाग !

यूथ फॉर पनून कश्मीर, काश्मिरी हिंदु समुदाय, भारतीय नारी शक्ति, बजरंग दल, हिंदुराष्ट्र सेना, हिंदु महासभा, हिंदु गोवंश रक्षा समिती, हिंदु राष्ट्र जनजागरण समिती, स्वराज्य युवा प्रतिष्ठान, रायगड संवर्धन प्रतिष्ठान, श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्थान, श्री शिवकार्य प्रतिष्ठान, मातृभूमी प्रतिष्ठान, भारत विकास मंच, युवा सेना, हिंदु विधीज्ञ परिषद, सनातन संस्था और हिंदु जनजागृती समिती साथ ही शिवसेना और भाजपा के कार्यकर्ता आंदोलन में सहभागी हुए थे।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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