(कहते हैं) कश्मीरसे कश्मीरी हिन्दूओंको हकालनेका मुसलमानोंको पश्चाताप !

आषाढ शुक्ल पक्ष अष्टमी, कलियुग वर्ष ५११६

कश्मीर घाटीमें जिहाद कर साढेचार लाख हिन्दूओंको विस्थापित करनेपर २५ वर्षोंके पश्चात मुसलमानोंके नक्राश्रू

कश्मीरी हिन्दूओ, ये तो मगरमछ के आंसू है, सतर्क होकर अगला कदम उठाएं !!!

 . क्या विघटनवादी मुसलमानोंके आश्वासनपर हिन्दू एवं केंद्रशासन बलि चढेंगे ?

 . मोदी शासनद्वारा ३७० धारा निरस्त होनेके भयसे मुसलमानोंका तथाकथित मतपरिवर्तन !

 . कश्मीरी हिन्दूओंके पुनर्वसनके विषयमें धर्मांध मुसलमानोंमें पुतना मौसीके समान प्रेम उमडा !


नई देहली : कश्मीरी हिन्दूओंका कश्मीर घाटीमें स्वागत है । वे कश्मीरी संस्कृतिका एक हिस्सा है । उन्हें कश्मीरसे हकालनेके सूत्रपर मुसलमानोंको पश्चाताप हो रहा है, ऐसे वक्तव्य विविध समाचारपत्रोंमें प्रकाशित किए जा रहे हैं । कश्मीरी हिन्दूओंको कश्मीरमें लाकर उनका पुनर्वसन करनेके लिए विघटनवादी मुसलमानोंका समर्थन है, इस प्रकारके लेख भी विविध समाचारपत्रोंमें प्रकाशित कर कश्मीरी हिन्दूओं एवं केंद्रको भ्रमित करनेके प्रयास धर्मांधोंने चालू किए हैं । विशेष यह कि इन लेखोंके लेखक मुसलमान ही हैं । मोदी सरकारद्वारा धारा ३७० निरस्त करनेका प्रयास आरंभ करनेपर धर्मांध एवं विघटनवादी मुसलमानोंको हिन्दूओंके विषयमें उमड रहा प्यार पुतना मौसीके प्यारके समान है ।

कश्मीरी हिन्दू कश्मीरमें संगठित रूपसे नहीं, अपितु अलग-अलग रहें ! -धर्मांधोंके मत

१. यदि धारा ३७० निरस्त हुई, तो केवल कश्मीरी हिन्दू ही नहीं, अपितु अन्य राज्यके हिन्दू भी कश्मीर घाटीमें संपत्ति क्रय कर स्थायिक होनेकी संभावनासे मुसलमान भयभीत हो रहे हैं । (इसीमें धर्मांध मुसलमानोंका दुष्ट हेतू स्पष्ट होता है । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) 
२. कश्मीरी हिन्दूओंके लिए अलग बस्ती कर उनकी सुरक्षाके लिए सभी प्रकारके प्रयास करनेका केंद्रशासनका नियोजन है; तथा कश्मीरी हिन्दूओंको अकेले-दुकेले न लाकर एक ही समयमें अनेक परिवारोंका पुनर्वसन करनेका सरकारने निश्चित किया है । परंतु इस बातके लिए कश्मीरके धर्मांध मुसलमानोंका विरोध है । मुसलमानोंका विचार है कि यदि कश्मीरी हिन्दू अलग-अलग स्थानोंपर रहने लगे, तो वापस उन्हें हकालनेमें सुविधा होगी ।  (षडयंत्री धर्मांध ! हिन्दूओ, इससे यही सिद्ध होता है कि कश्मीर हथियाने हेतु धर्मांध मुसलमान पुनः एक बार आपको बलि चढा रहे हैं । इसपर बलि न चढकर केंद्र सरकारको धारा ३७० को आग्रहपूर्वक निरस्त करनेपर विवश करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) 
३. इन सभी बातोंको ध्यानमें लेकर कश्मीरी हिन्दू सतर्क होकर अगले कदम उठाएंगे, ऐसा लगता है ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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