हिंदुनिष्ठोद्वारा पांडववाडा हिंदुओंके अधिकारमें लेनेका प्रयास करनेका निश्चय व्यक्त करनेके पश्चात धर्मांधोंके संदर्भमें घटीं घटनाएं

फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी, कलियुग वर्ष ५११५


२६ जनवरी २०१४ को जलगांवमें हुए हिंदु धर्मजागृति सभामें १८ सहस्त्र हिंदुत्वनिष्ठोंने धर्मांधोंके अधिकारमें रहनेवाले पांडववाडाका नियंत्रण अपनी ओर लेनेका निश्चय व्यक्त किया था । तत्पश्चात जनपद (जिला) पुलिस तथा धर्मांधोंके संदर्भमें अनेक घटनाएं घटीं । यहां उस संदर्भका विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं…..
 – श्री. सुनील घनवट, समन्वयक, हिंदू जनजागृति समिति, महाराष्ट्र ।

 


१. २६ जनवरीको जलगांवमें संपन्न हुई हिंदु धर्मजागृति सभामें यह विषय प्रस्तुत करनेके पश्चात उसी रात्रि पुलिसद्वारा पांडववाडाको पुलिस सुरक्षाका प्रबंध किया गया । सुबह तथा रात्रि हर समय दो पुलिसकर्मी वहां रक्षा कर रहे हैं, यह देखकर धर्मांधोंमें भी भयका वातावरण उत्पन्न हो गया है ।
२. पहले वहां नमाज पढनेके लिए २० से २५ लोग उपस्थित रहते थे; किंतु सभाके पश्चात उस संख्यामें वृद्धि होकर अब वह संख्या २०० से अधिक हो गई है ।
३. हिंदू जनजागृति समितितक पांडववाडाका विषय किसने पहुंचाया, पुलिसद्वारा इसकी भी जांच आरंभ है । पुलिसने कुछ हिंदुनिष्ठोंकी जांच आरंभ की है । प्रशासन भी सावधान होकर इस बातकी ओर ध्यान रख रहा है कि अब पांडववाडाके संदर्भमें हिंदुनिष्ठ कौनसा कृत्य करेंगे ।
४. समाजमें भी इस विषयपर चर्चा हो रही है । सभीके मनमें हिंदू जनजागृति समितिके प्रति विश्वास उत्पन्न हुआ है ।

हिंदुओं, अपना धर्मकर्तव्य निभाएं !

‘पांडववाडा मुक्ती तथा शिरसोली पशुवधगृह निर्मूलन’हेतु

आयोजित मोर्चेमें सहस्त्रोंसे सहभागी होके ‘हिंदुसंघटनका अविष्कार’ दिखाएं !

स्थल : श्यामप्रसाद मुखर्जी उद्यान, जलगांव, महाराष्ट्र
दिनांक : १ मार्च २०१४, प्रात: ९.३० बजे
संपर्क : ९३२०९३९९०१

पुलिसने पांडववाडाके अवैध निर्माणकार्यकी पूछताछ की !

सभाके पश्चात जब पांडववाडाकी वक्फ बोर्डकी तिथि थी, उस समय दबाव डालने हेतु एरंडोलसे पूरे २ वाहनमें भरकर धर्मांध संभाजीनगर गए । तत्पश्चात आतंकवादविरोधी दल तथा अन्वेषण विभागके पुलिसकर्मी पांडववाडा गए । उन्होंने वहांके अवैध निर्माणकार्यकी पूछताछ की । (यह वास्तु पुरातत्व विभागके अधिकारमें होनेके कारण किसी भी प्रकारका परिवर्तन करनेके लिए यहां वैध मार्गसे अनुमति नहीं है ।)

पांडववाडाका आंदोलन निश्चित होनेके पश्चात पुलिसद्वारा अपनाया गया दबावतंत्र तथा धर्मांधोंकी सतर्कता !

धर्मसभामें पांडववाडाका विषय होनेके पश्चात धर्मांधोंने उर्दु भाषामें एक पत्रक प्रकाशित किया तथा देहलीमें उनका वितरण किया । अतः अपराध अन्वेषण विभागका एक दल पूछताछ हेतु वहांसे सीधा जलगांवमें प्रविष्ट हुआ । उन्होंने पांडववाडाके संदर्भमें वैध मार्गसे लडाई करनेवाले एक हिंदुनिष्ठसे दो दिन पूछताछ की । पहले दिन ६ घंटे पूछताछ की, तो जलगांवमें गांधी उद्यानमें अपराध अन्वेषण विभागने डेढ घंटा उससे पूछताछ की । तत्पश्चात केंद्रीय अन्वेषण विभाग, आतंकवादविरोधी दल एवं पुलिस उपाधीक्षकद्वारा भी पूछताछ की गई ।
धर्मांधोंने इस आशयके पत्रकोंका वितरण किया कि ‘इस्लाम खतरेमें है !’ इसलिए यह सूत्र राममंदिरके समान न हो, इस बातका भय सभीको था । तत्पश्चात पुलिसने पूछा कि यदि यह पांडववाडा हम हिंदुओंके नियंत्रणमें देंगे, तो उसकी रक्षा कौन करेगा ? (हिंदुओंका बुद्धिभेद करनेवाली पुलिस ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) यह प्रकरण न्यायप्रविष्ट होते हुए भी ठीक चुनावके समय ही इन लोगोंने (समितिके कार्यकर्ताओंने) इस सूत्रको क्यों प्रस्तुत किया ?

धर्मांधोंद्वारा किया गया शक्तिप्रदर्शन !

(शुक्रवारके) नमाजके लिए अन्य शहरोंसे पूरे २ वाहन भरकर धर्मांध आए थे ।

पुलिसकर्मियोंकी दमननीति

१. एक कार्यकर्ताको पुलिसने बताया कि हम आपकी सभाके लिए एवं उसके पश्चात आयोजित की गई मैदान बैठकके लिए, साथ ही ब्यौरा बैठकमें भी हम उपस्थित थे । आप सभीके भ्रमणभाष ध्वनिमुद्रित (टेप) हो रहे हैं । १७ तारीखको आप कहां इकट्ठे होंगे ? आपका आगेका नियोजन क्या है ? (१७ फरवरीको बैठकके आयोजनकी जानकारी केवल समितिके कुछ कार्यकर्ताओंको ही थी ।) सभासे पूर्व एक वाहन आपके घरके सामने आया, उससे हिंदू जनजागृति समितिके राज्य समन्वयक श्री. सुनील घनवटसे आपकी भेंट हुई, इस बातका हमें पता चला है । आपकी क्या चर्चा हुई ? उनके साथ अन्य तीन लोग थे ? वे कौन थे ? हमें आपके संदर्भमें सर्व सूचना प्राप्त हुई है । जो कुछ चर्चा हुई है, वह बताईए । (प्रत्येक समय हिंदुओंको ही दबोचनेवाले पुलिसकर्मी ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२. तदुपरांत उन्होंने बताया कि अंतमें हम हिंदुनिष्ठ हैं । हमें भी आपकी सहायता करनी है; किंतु वर्तमानका शासन वैसा नहीं है । हमें शासनके कथनानुसार ही आचरण करना पडता है । हम आपकी बात सुनेंगे । (धूर्त पुलिसकर्मी ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
३. एरंडोलके प्रत्येक चौकपर पुलिसने नुक्कड सभाका आयोजन किया । युवकोंको इकट्ठा होनेके लिए प्रतिबंध लगाया । हम आपपर याचिका प्रविष्ट करेंगे, इस प्रकारकी धमकियां देकर उन्हें भयभीत करना प्रारंभ किया । २-४ युवकोंके भी इकट्ठे होनेपर प्रतिबंध लगाया गया ।

हिंदु धर्मियोंकी न्यायिक मांग

१. वक्फ बोर्डके संदर्भकी याचिका पूरे बलके साथ लडकर एवं उच्च तथा सर्वोच्च न्यायालयमें न्याय मांगकर पुरातत्व विभागको अपनी सर्व संपत्ति अपने अधिकारमें लेनी चाहिए ।
२. पांडववाडा परिसरके सभी अवैध निर्माणकार्य त्वरित निरस्त करना तथा कानूनी सुरक्षा न होनेवाले प्रत्येक व्यक्तिको वहांसे बाहर निकालना । इसलिए सामूहिक संपत्ति सुरक्षाके संदर्भमें विशेष कानूनका उपयोग करना तथा त्वरित निर्णय प्राप्त होने हेतु इस कानूनके अनुसार विशेष अधिकारियोंकी नियुक्ति करना ।
३. कानूनी प्रक्रियामें यदि समाजकंटक एवं अपराधी वृत्तिके लोगोंद्वारा बाधाएं उत्पन्न हुर्इं, तो बलका यथोचित उपयोग करना । समाजमें भडकीला वातावरण उत्पन्न कर इन समाजकंटकोंको शासनके अधिकारपर आंच उत्पन्न करनेके लिए प्रवृत्त करनेवाले तथाकथित नेताओंपर तडीपारकी कार्रवाई करना ।
४. न्यायमूर्ति, समाजसेवक, इतिहासप्रेमी एवं संस्कृति अभ्यासियोंकी उच्च स्तरीय समिति नियुक्त कर उपर्युक्त कार्रवाई करनी चाहिए । इस समितिको कानूनकी कक्षामें रहकर सर्वाधिकार प्राप्त होने चाहिए ।
५. पांडववाडाका सौंदर्यीकरण, पुर्ननिर्माणकार्य करना, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तरपर उसे प्रसिद्धि देना, देशप्रेमियोंसे वहां भेंट कर अपना आदर व्यक्त करनेके लिए उद्युक्त करनेके लिए इस समितिको अधिकांश निधि उपलब्ध करके देना चाहिए । शासनके अधिकारमें होनेवाले मंदिरोंकी निधि यदि इस सामूहिक कार्यके लिए उपयोग करना सहज है, तो उसका उपयोग करना ।
एक विशेष अधिनियम पारित कर जो आनेजानेकी अनुमतिका अधिकार मांग रहे हैं, उन्हें अंतिम रूपमें हानिपूर्ति देकर पांडववाडासे बाहर निकालना तथा न्यायका निर्णय आनेके पश्चात उसकी हानिपूर्ति नियमित स्वरूपकी होनी चाहिए, अथवा उसकी प्राप्ति (वसूल) करनी चाहिए, इसके लिए कानूनी तंत्रकी स्थापना करनी चाहिए । यह भारतके ऐतिहासिक संपत्तिका प्रश्न होनेके कारण सामूहिक हितके लिए भूमि संपादन करनेका अधिकार शासनको है । दूसरी बात यह है कि ऐसी भूमि धार्मिक उद्देश्योंके लिए संपादित नहीं की जाती, इसलिए किसी भी धर्मके व्यक्तिको आपपर भाव होनेकी याचिका करनेका अवसर ही प्राप्त नहीं होगा । विशेषरूपसे अधिनियममें इन सभी बातोंका पालन करना आवश्यक है ।
६. एरंडोल अर्थात महाभारतकालीन एकचक्रनगरी ! वनवासके समय पांडवोंने बकासुरकी हत्या यहीं की तथा उसके प्रति कृतज्ञताके रूपमें पांडवोंको तत्कालीन राजाने यह निवासस्थान दिया । इस वाडाकी दीवारोंकी लम्बाई इतनी थी, कि किसी भी बैलगाडीको उसके ऊपरसे जाना सहज था । वाडाके गवाक्षों/झरोखोंमें समई तथा कमलके आकारकी नक्षीकला है । आज नगरपालिकाके आदेशके पश्चात भी नागरिकोंको मुक्तरूपसे पांडववाडाका केवल दर्शन करना भी संभव नहीं होता । उत्खनन करना तो दूरकी बात, किंतु उपलब्ध निर्माणकार्यकी ही निरंतर हानि हो रही है । श्रीरामजन्मभूमि अथवा रामसेतुके प्रश्नपर राजनीति हुई । पांडववाडाका प्रश्न यह है कि वहां राजनीतिका प्रवेश ही नहीं । बहुविधताका ढिंढोरा पीटनेवाले इस देशकी जनताको वास्तविक आदरणीय स्थानसे दूर रखेंगे, ऐसा अहंकार यदि मुट्ठीभर लोगोंमें होगा एवं राजनेताओंका उन्हें सहयोग होगा, तो देशकी जनता उन्हें सीख देगी । राज्यघटनाकी किसी भी प्रकारकी मर्यादाका उल्लंघन न कर तथा मूल विषयसे दूर जानेकी अपेक्षा देशके सम्मानचिह्नका जतन किस प्रकार किया जाए, यह मैं स्पष्ट करता हूं । इस देशमें केवल कानूनकी चौखटमें नहीं बैठता, इसलिए कृत्य करनेपर पाबंदी नहीं डाली जाती । समय आनेपर नए कानून पारित किए जाते हैं, इस बातके असंख्य उदाहरण हैं । अतएव हम यह सूचित कर रहे हैं कि दोहरी उपाययोजना जिसमें कानूनके अनुसार उठानेका पैंतरा तथा कानूनमें किया जानेवाला परिवर्तन ये दोनों समाविष्ट हैं । इसमें आवश्यकता है, तो केवल इच्छाशक्तिकी ! राज्यनेता एवं राजनीतिज्ञोंकी इच्छाशक्ति यदि अल्प हुई, तो अंतिम न्याय जनताके दरबारमें ही होगा ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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