आषाढ कृ. ७, कलियुग वर्ष ५११४
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रजनीश गोएंका, सनातन मंदिर संगठन, इंद्रप्रस्थ (दिल्ली) |
हिंदुओंको धर्मके लिए केवल धन नहीं, अपितु समय देना भी आवश्यक है । – रजनीश गोएंका, सनातन मंदिर संगठन, इंद्रप्रस्थ (दिल्ली)
मंदिरोंका व्यवस्थापन सिखानेके लिए अभ्यासक्रम चाहिए !
किसी औद्योगिक समूहका व्यवस्थापन कैसे चलाना है, आज इसकी शिक्षा ‘मास्टर्स ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट’ (एम्बीए) सिखानेवाले व्यवस्थापकीय केंद्र हैं; परंतु मंदिरोंका व्यवस्थापन चलानेके लिए भी इस प्रकारके ‘मंदिर व्यवस्थापन शास्त्र’ अभ्यासक्रम आरंभ करने चाहिए । शांघाई (चीन)में इस प्रकारके अभ्यासक्रम आरंभ होनेसे वहां ३८ भिक्षू शिक्षा ले रहे हैं ।