‘अखिल भारतीय हिंदु अधिवेशन’के संदर्भमें समितिके जालस्थानपर पाठकोंद्वारा उपलब्ध अभिप्राय

आषाढ कृ ६, कलियुग वर्ष ५११४

ज्येष्ठ कृ. सप्तमीसे ज्येष्ठ कृ. दशमी, कलियुग वर्ष ५११४ (१०.६.२०१२ से १४.६.२०१२) इस कालावधिमें रामनाथी, गोवामें हिंदु जनजागृति समितिद्वारा ‘हिंदु राष्ट्रकी स्थापना हेतु अखिल भारतीय हिंदु अधिवेशन’का आयोजन किया गया है । इस अधिवेशनके संदर्भमें हिंदु जनजागृति समितिके hindujagruti.org नामक जालस्थानपर पाठकोंद्वारा व्यक्त किए गए अभिप्राय आगे दे रहे हैं ।

१. हिंदुओंकी यातनाएं एवं देशकी दुःस्थिति, इन बातोंके लिए राजनीति ही उत्तरदायी है !

 ‘भारत हिंदुओंका देश  है । हिंदुओेंकी यातनाएं एवं देशकी दुःस्थिति, इन बातोंके लिए राजनीति  ही उत्तरदायी है । हिंदुओ, आगे बढें ! वास्तवमें आप ही इसके दावेदार  हैं । समूचे  पृथ्वीतलपर केवल हिंदु धर्म ही एक महान धर्म है एवं इस धर्मकी रक्षा करना ही हमारा कर्तव्य है । प्रत्येक हिंदुकी पात्रता विभिन्न है, तो भी प्रत्येक हिंदु एक है । हिंदुओंपर हो रहे अन्याय दूर कर उनकी रक्षा हेतु ‘अखिल भारतके हिंदु पंचायत सेवा सेना’को (हिंदु ऑल इंडिया पंचायत सेवा सेनाको) न्यूनतम ४० करोड स्त्रियों एवं पुरुषोंकी आवश्यकता  है । अपना गतवैभव, अर्थात अपनी छिनी हुई भूमि पुनः प्राप्त करने हेतु एवं अपने शत्रुओंको भारतसे खदेडने  हेतु यह आवश्यक है । हर हर महादेव !’ – श्री. समरजीतप्रसाद गणेश, जर्मनी

२. ‘पहले मैं हिंदु उसके पश्चात भाजपा , कांग्रेस अथवा अन्य दलोंका सहयोगी हूं’, इस प्रकारका कथन करनेवाले हिंदुको सिद्ध करना चाहिए !

  ‘ब्राह्मण हो अथवा दलित, सभी हिंदुओंको इकट्ठे होकर एक ‘विश्व हिंदु मंच(ग्लोबल हिंदु  फोरम)’ स्थापित करनेकी आवश्यकता है । शीघ्रातिशीघ्र  भारत एवं नेपाल इन दो देशोंको एकत्रित कर ‘हिंदु राष्ट्र’के नामसे घोषित करना चाहिए । हिंदु संगठन हेतु बाधा होनेवाला जातिवाद रोकना चाहिए । साथ ही भाजपा, कांग्रेस, बसपा, भारतीय साम्यवादी दल-माओवादी (सी.पी.आय.एम.) इत्यादिके प्रतिनिधि न होकर ‘पहले मैं हिंदु  उसके पश्चात भाजपा, कांग्रेस अथवा अन्य दलोंका सहयोगी हूं’, इस प्रकारका कथन करनेवाले हिंदुको सिद्ध करना चाहिए ।’ – श्री. गणेश, भारत

३. सर्व हिंदु जाति, संप्रदाय इत्यादि दूर रखकर इकट्ठे हों !

‘सर्व हिंदुओंमें अपने धर्मके विषयमें भान होना चाहिए एवं उन्हें अपनी जाति , संप्रदाय, क्षेत्र (प्रदेश), भाषा इत्यादि दूर रखकर केवल धर्म हेतु इकट्ठा होना चाहिए ।’ – श्री. गुरुदत्त कामत, भारत

४. हिंदु ऐक्यका उद्देश्य सफल होने हेतु सभी हिंदुओंका एक-दूसरेसे सहमत होना आवश्यक !

‘मेरी यह इच्छा है कि ऐसे अभियानोंमें पहले समस्त हिंदु प्रतिज्ञा(संकल्प) करें कि हम आपसमें नहीं झगडेंगे, साथ ही हिंदु ऐक्यका हेतु सफल करनेके लिए एक-दूसरेसे सहमत होंगे । इसमें अपना कोई भी व्यक्तिगत हितसंबंध नहीं लाएंगे । ‘हिंदु ऐक्यमें आनेवाली अडचनें दूर हों’, ऐसी ईश्वरको प्रार्थना है । अडचनें दूर होने एवं हिंदुओंके संगठित होनेपर हमारे प्रयासोंको सफलता प्राप्त होना  दूर नहीं ।’ – श्री. रामनाथ, जर्मनी

५. समस्त हिंदुओंमें हिंदु ऐक्यका विचार दृढ होनेके उपरांत ही वास्तविक रूपसे हमारा देश सुरक्षित रहेगा !

‘अखंड हिंदु राष्ट्रकी निर्मिति’ ही वर्तमान  समयकी आवश्यकता है । ईसाई धर्मप्रसारक एवं इस्लामी मूलतत्त्ववादियोंसे हमें हमारे राष्ट्र एवं धर्मकी सुरक्षा करनी चाहिए । उसके लिए हिंदु धर्मका पुनर्जीवित होना अति आवश्यक है । समस्त हिंदुओंद्वारा अपनी जाति  एवं पंथके विषयमें किसी भी प्रकारकी स्पर्धा न कर ‘हम हिंदु हैं’, ऐसा घोषित किया जाना चाहिए ।
देशभरके सभी साधु, संत, साध्वी एवं महात्माओंको इस अभियानमें सहभागी होने हेतु आमंत्रित करना चाहिए । उन्हें ‘हिंदू धर्मकी महानता’ एवं ‘ईसाई तथा मुसलमानोंकी ओरसे हिंदु धर्मको हो रहा धोखा’, इन विषयोंपर प्रवचन देनेका आवाहन करना चाहिए । गोहत्या, तथा  देशके सभी धर्मस्थलोंमें मांसाहार करनेपर प्रतिबंध लाना चाहिए । जब सभी हिंदुओंमें हिंदु ऐक्यका विचार दृढ होगा, तभी  वास्तवमें अपना देश सुरक्षित रहेगा एवं खरे अर्थोंमें वही  खरा  धर्मकार्य होगा ।’ – श्री. भागवत, भारत

६. दिशाभ्रमित कर धर्मांतरित किए गए हिंदुओंको पुनः धर्ममें लाना चाहिए !

‘भारत एक ‘हिंदु राष्ट्र’के  नामसे घोषित होकर  ‘भारत’, उसका यही एक  नाम होना चाहिए । भारतके ध्वजका केवल भगवा  रंग ही होना चाहिए । साथ ही उसपर ‘ॐ’ लिखा जाना चाहिए । ‘वास्तविक अर्थोंमें हिंदुत्व ही सकल विश्वका मार्गदर्शन करता है’, इसका हमें भान होना चाहिए । हिंदुत्व नहीं रहेगा, तो विश्व भी नहीं रहेगा । दिशाभ्रमित कर धर्मांतरित किए गए हिंदुओंको सनातन हिंदु धर्ममें पुनः लाना चाहिए ।’ – श्री. दीपक हरित, भारत

७. प्रत्येक हिंदुके साथ समानताका आचरण कर संकटके समय उसकी रक्षा करनी चाहिए !

‘यदि हिंदुत्वकी रक्षा करनी है, तो प्रत्येकको हिंदु धर्ममें समाविष्ट करना आवश्यक है । प्रत्येक हिंदुके साथ समानताका आचरण कर संकटके समय उनकी रक्षा करें । जातिव्यवस्था समूल नष्ट कर, देहाती  अथवा शहरका नागरिक हो, प्रत्येक हिंदुका आदर करें ।’ – कॅरोलिना, कनाडा

८. अन्य पंथियोंको कुछ सीमातक ही उनके पंथानुसार आचरण करनेकी अनुमति देनी चाहिए !

‘मेरा भारत देश यह हिंदुओंका देश  है । उसका ‘हिंदुस्थान’  नामकरण कर अधिकृत रूपसे उसे ‘हिंदु राष्ट्र’ के नामसे घोषित करें । धर्मांतरण करने हेतु भारतमें आनेवाले अन्य देशके ईसाइयोंको धर्मांतरण करनेके लिए अनुमति  न दें । । मुसलमान देशमें अन्य पंथियोंको उनके पंथ अथवा धर्मके अनुसार आचरण करनेकी अनुमति नहीं  है,  उसी प्रकार अन्य पंथियोंको कुछ सीमातक ही उनके पंथानुसार आचरण करनेकी अनुमति देनी चाहिए ।’ – श्री. अजीत, अमेरिका

९. ‘भारतको अधिकृत रूपसे ‘हिंदु राष्ट्र’के नामसे घोषित करना चाहिए’, बांगलादेशके समस्त हिंदुओंकी ऐसी ही मांग  है !

‘भारत एक हिंदु राष्ट्र है एवं  अधिकृत रूपसे उसे ‘हिंदु राष्ट्र’ के नामसे घोषित करना चाहिए’, ऐसी समस्त बांगलादेशके हिंदुओंकी मांग है ’, ऐसा ‘बांगलादेश जातिओ हिंदु महाजोत (बांगलादेश नेशनल हिंदु ग्रैंड अलायन्सेस)’ नामक संगठनने कहा है । इस ‘अखिल भारतीय हिंदु अधिवेशन’में सहभागी होनेकी हमारी इच्छा  है । यह अधिवेशन सफल हो, यह हमारी सदिच्छा ! ’ – श्री. गोविंद प्रामाणिक, बांगलादेश

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात

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