‘गढ-दुर्ग रक्षा महामोर्चा’ के लिए रास्ते पर उतरे हजारों गढ-दुर्ग प्रेमियों की मांगों को मिली सफलता !

गढ-दुर्गाें की रक्षा एवं संवर्धन के लिए स्वतंत्र महामंडल स्थापन करेंगे ! – मा. श्री. मंगलप्रभात लोढा, पर्यटनमंत्री

महाराष्ट्र गढ-दुर्ग रक्षा समिति’ का शिष्टमंडल महाराष्ट्र राज्य के पर्यटन, महिला एवं बालविकास मंत्री श्री. मंगलप्रभात लोढा को ज्ञापन देते हुए

महाराष्ट्र के सर्व गढ-दुर्गाें का संवर्धन, उनकी रक्षा करने एवं उन पर अतिक्रमण दूर करने के लिए स्वतंत्र ‘गढ-दुर्ग महामंडल’की स्थापना आनेवाले तीन महिनों में की जाएगी । एक निश्चित कालमर्यादा निर्धारित कर सभी गढ-दुर्गाें पर अतिक्रमण हटाया जाएगा, इसके साथ ही उर्वरित सभी मांगों के संदर्भ में अर्थसंकल्पीय अधिवेशन होने के उपरांत सभी दुर्गप्रेमी संगठनों की मुख्यमंत्री के साथ बैठक आयोजित की जाएगी, ऐसा ठोस आश्वासन राज्य के पर्यटन, महिला एवं बालविकास मंत्री श्री. मंगलप्रभात लोढा ने ‘गढ-दुर्ग रक्षा महामोर्चा’के समापन पर दिया । यह जानकारी ‘महाराष्ट्र गढ-दुर्ग रक्षा समिति’के समन्वयक श्री. सुनील घनवट ने दी । ‘महाराष्ट्र गढ-दुर्ग रक्षा समिति’की ओर से मुंबई में ‘गढ-दुर्ग रक्षा महामोर्चा’ का आयोजन किया गया था । इस अवसर पर मा. मंत्री लोढा ने स्वयं आजाद मैदान में आकर समिति के शिष्टमंडल से भेंट की ।

गढ-दुर्ग रक्षा महामोर्चामें सहभागी गढ-दुर्गप्रेमी

‘महाराष्ट्र गढ-दुर्ग रक्षा समिति’ आयोजित ‘गढ-दुर्ग रक्षा महामोर्चा’में राज्यभर से गढ-दुर्गप्रेमी संगठनों के 1500 से भी अधिक शिवप्रेमी सम्मिलित हुए थे । सभी के मुख में छत्रपति शिवाजी महाराज का जयघोष, सिर पर भगवे रंग की टोपियां, हाथ में भगवे झंडे, मांगों के फलक, तुतारी, सैनिकों (मावळों) के वेश में महामोर्चे में सम्मिलित हुए गढ-दुर्गप्रेमी बडे उत्साह से इस महामोर्चे में सम्मिलित हुए थे और गढ-दुर्गाें की रक्षा के लिए अत्यंत आर्तता से सरकार एवं जनता को आवाहन किया । मुंबई के मेट्रो सिनेमा से आजाद मैदान तक निकाले गए इस मोर्चे में नरवीर तानाजी मालुसरे के वंशज सुभेदार श्री. कुणाल मालुसरे, बाजीप्रभू देशपांडे के वंशज श्री. संदेश देशपांडे, धर्मवीर संभाजी महाराज की दुधाई वीर धाराऊ माता गाडे पाटील एवं सरनोबत अंतोजीराजे गाडे पाटील के वंशज श्री. अमित गाडे, वीर कोयाजी बांदल के वंशज श्री. अक्षय बांदल, मोरोपंत पिंगळे के वंशज श्री. विश्वजीत देशपांडे, श्री. कृष्णाजी गायकवाड के वंशज अप्पासाहेब गायकवाड, वीर शिवा काशिद के वंशज श्री. आनंदराव काशिद, श्री पंताजीकाका बोकील के वंशज गौरव बोकील, इन छत्रपति शिवजी महाराजजी के सैनिकों (मावळों) के वंशजों का विशेष सहभाग था ।

गढ-दुर्ग रक्षा महामोर्चा के समापन समारोह में उपस्थित गढ-दुर्गप्रेमीओको संबोधित करते हुए श्री. प्रसाद वडके

इनके साथ ही ‘समस्त हिन्दू बंधु संगठन’के श्री. रविंद्र पडवळ, ‘वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक’के कार्याध्यक्ष श्री. रणजीत सावरकर, ‘महाराष्ट्र गढ-दुर्ग रक्षा समिति’के समन्वयक तथा ‘हिन्दू जनजागृति समिति’के महाराष्ट्र राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट, वसई के ‘श्री परशुराम तपोवन आश्रम’के संचालक भार्गव श्री. बी.पी. सचिनवाला, श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य पीठ ‘धर्मसभा-विद्वत्संघ’के राष्ट्रीय अध्यक्ष वेदमूर्ति धनंजयशास्त्री वैद्य, ‘सनातन संस्था’के धर्मप्रसारक संत सद्गुरु (कु.) अनुराधा वाडेकर इस मोर्चे में उपस्थित थीं । इनके सात मोर्चे में समस्त हिंदू बांधव संगठन, शिवराज्याभिषेक समिति, मराठा वॉरीयर्स, गढ-दुर्ग संवर्धक संगठन, दुर्गवीर प्रतिष्ठान, श्री शंभूदुर्ग प्रतिष्ठान, श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्थान, श्री शिवकार्य प्रतिष्ठान, श्री छत्रपति शिवाजी महाराज मंडई, रायगढ संवर्धन प्रतिष्ठान, हिन्दू जनजागृति समिति, रणरागिणी (महिला शाखा), युवा मराठा महासंघ, शिववंदनेश्वर प्रतिष्ठान, स्वतंत्र सवर्ण सेना, हिन्दू धर्मजागरण, सनातन संस्था, अखिल भारतीय मराठा सेवा महासंघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, विश्व हिन्दू परिषद एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आदि 100 से भी अधिक गढ-दुर्गप्रेमी संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे ।

गढ-दुर्ग रक्षा महामोर्चा के समापन समारोह में घोषणा देते हुए उपस्थित गढ-दुर्गप्रेमी

इस अवसर पर समस्त हिन्दू बांधव संगठन के श्री. पडवळ ने गढ-दुर्गाें की रक्षा के लिए महामंडल स्थापन करना क्यों आवश्यक है, इस विषय में मार्गदर्शन किया । छत्रपति शिवाजी महाराज के सैनिक (मावळों) के वंशजों ने भी इस अवसर पर अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए । मोर्चें के पीछे ‘महाराष्ट्र गढ-दुर्ग रक्षण समिति’की भूमिका स्पष्ट करते हुए श्री. सुनील घनवट बोले, विशालगढ पर 100 से भी अधिक अनधिकृत आर्सीसी इमारतें होने की बात सूचना के अधिकार अंतर्गत उजागर हुई हैं । इसीप्रकार रायगढ, लोहगढ, कुलाबा, वंदनगढ, दुर्गाडी किले सहित राज्य के अत्यंत महत्त्वपूर्ण 35 गढ-दुर्गाें पर अवैधरूप से घर, कब्र, दरगाह, मस्जिद एवं अन्य विविध प्रकार के अतिक्रमण हुए हैं । छत्रपति शिवाजी महाराजजी के गढ-दुर्गाें पर ये अतिक्रमण शिवाजी महाराज के प्रेमियों की श्रद्धाओं पर आघात करने के साथ-साथ उनमें अत्यधिक रोष निर्माण करनेवाले हैं । इसके लिए पुरातत्व विभाग के जो अधिकारी उत्तरदायी होंगे, उन पर अपराध प्रविष्ट कर कानूनी कार्रवाई की जाए ।

अनेक गढ-दुर्गाें के स्थान पर होनेवाला मद्यपान, विद्रूपीकरण, अस्वच्छता आदि गैरप्रकार पर रोक लगे, देखभाल न होने से अनेक गढ-दुर्गाें की भारी मात्रा में हुई क्षति, ध्वस्त बुर्ज, तोपों की दयनीय अवस्था इत्यादि की रोकथाम की ओर पुरातत्व विभाग ध्यान दे । पुरातत्त्व विभाग के पास अपर्याप्त मनुष्यबल को देखते हुए सरकार पर्याप्त कर्मचारीवर्ग नियुक्त करे, इसके साथ ही गढों की नियमित स्वच्छता एवं पवित्रता की रक्षा करने हेतु सरकार गढ-दुर्ग संगठनों की सहायता ले । पुरातत्त्व खाता सभी गढ-दुर्गाें की योग्य जानकारी एवं उससे संबंधित कानूनी जानकारी देनेवाला जालस्थल शुरू करे । उसमें नागरिकों को शिकायत करने की सुविधा भी हो । ‘गढ-दुर्गाें के स्वतंत्र महामंडल’में गढ-दुर्ग संवर्धन के लिए कार्य करनेवाले प्रतिनिधि, छत्रपति शिवाजी महाराजजी के सैनिकों (मावळों) के वंशज, गढ परिसर के दुर्गप्रेमी, शिवप्रेमी संगठनों को सम्मिलित करें आदि मांगें भी की गईं । मोर्चे के समापन के समय श्री. घनवट बोले, ‘‘छत्रपति शिवाजी की प्रेरणा से आरंभ हुई यह लढाई गढ-दुर्गाें की रक्षा एवं संवर्धन होने तक शुरू ही रहेगी ।’’

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