‘ईसाई बन जाओ’ – बीवी ही कर रही पति को प्रताड़ित, मना करने पर फाड दी हिंदू धर्म की पुस्तकें

मध्य प्रदेश के इंदौर में बलपूर्वक धर्म परिवर्तन कराने का मामला सामने आया है। पुलिस ने शुक्रवार को पति को कथित रूप से पीटने और धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने के आरोप में महिला और उसके परिवार के 9 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया।

पुलिस ने बताया कि शिकायतकर्ता प्रकाश नागले (36 वर्षीय) ने आरोप लगाया है कि उसे ईसाई धर्म में परिवर्तन करने के लिए 50,000 रुपए का लालच दिया गया था। जब उसने धर्मांतरण करने से मना कर दिया तो उसकी पत्नी और ससुराल वालों ने उसके साथ मारपीट की। उन्होंने सभी धार्मिक पुस्तकों को भी फाड़ दिया। नागले ने बताया कि अनुपम ब्रदर नाम का एक शख्स 25 फरवरी 2021 से ही उस पर धर्म परिवर्तन करने का दबाव बना रहा है।

मामला प्रकाश में आने के बाद द्वारकापुरी थाना प्रभारी सतीश द्विवेदी ने कहा, “हमने धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2020 की धारा 3 और 5 के तहत 10 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। उन सभी पर दंगा करने, बलपूर्वक धर्मांतरण कराने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का आरोप लगाया गया है।”

पति-पत्नी के बीच आए दिन होता था विवाद

थाने के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि पति-पत्नी के बीच आए दिन विवाद होता रहता था। इससे पहले पत्नी दो से तीन बार पति के खिलाफ मारपीट की रिपोर्ट दर्ज करवा चुकी है। पत्नी का कहना है कि नागले उसे और उसके बच्चे के साथ मारपीट करता है। हालाँकि, हमने ताजा मामला प्रकाश में आने के बाद शुक्रवार को नागले की पत्नी, 4 साले, साली उसके बेटों और सास-सुसर के खिलाफ मामला दर्ज कर किया है। इसकी जाँच जारी है।

मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2020

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2020 की धारा 3 में यह प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी दूसरे व्यक्ति को प्रलोभन, धमकी, विवाह या किसी अन्य जरिए से धर्म परिवर्तन नहीं करा सकता है। यह दंडनीय अपराध है।

इसके लिए कम से कम एक वर्ष और अधिकतम 5 वर्ष तक की सजा का प्रावधान किया गया है। महिला, नाबालिग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के धर्म परिवर्तन किए जाने पर कम से कम 2 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष की सजा है। सामूहिक धर्म परिवर्तन करने पर कम से कम 5 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष की सजा। पैतृक धर्म में वापसी को इस अधिनियम में धर्म संपरिवर्तन नहीं माना गया है। पैतृक धर्म वह माना गया है, जो व्यक्ति के जन्म के समय उसके पिता का धर्म था।

इसके अलावा, अधिनियम की धारा 5 में कहा गया है कि यदि कोई भी व्यक्ति धारा 3 के तहत प्रावधानों का उल्लंघन करता है तो उस व्यक्ति को एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी, जो एक वर्ष से कम नहीं होगी लेकिन जो पांच साल तक बढ़ सकती है।

15 हिंदू परिवारों के 50 सदस्यों ने किया धर्म परिवर्तन

दरअसल, यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी धर्म परिवर्तन कराने की कोशिशों में जुटे कई ईसाई धर्म प्रचारकों को गिरफ्तार किया जा चुका है। धर्मांतरण के लिए विदेशी धन का इस्तेमाल देश की सुरक्षा और स्थिरता के लिए बड़ी चुनौतियों को जन्म दे रहा है।

इससे पहले उत्तर प्रदेश पुलिस ने अगस्त 23, 2020 को एक शख्स को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली का 30 वर्षीय मनदीप कुमार एटा में रहता था, जहाँ वह लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने की कोशिश कर रहा था। रिपोर्ट में कहा गया था कि मनदीप कुमार ने अगस्त 22, 2020 को शिवसिंहपुर गाँव में हिंदू दंपती के घर पर उन्हें जबरन बाइबिल पढ़ाने की कोशिश की थी।

वहीं, बिहार के नवादा जिले में 8 फरवरी, 2020 को 15 हिंदू परिवारों के 50 सदस्यों ने धर्म परिवर्तन कर ईसाई धर्म अपना लिया था। ईसाई मिशनरी अब नेपाल के कई ठिकानों से भारतीय सीमा क्षेत्र के ग्रामीण इलाके में मजबूती से दस्तक दे रहे हैं। इनका एकमात्र मकसद यही है कि ज्यादा से ज्यादा ईसाई धर्म को मानने वाले लोग बनें।

इसके अलावा पिछले साल अक्टूबर में केरल सरकार ने ‘सेक्युलर’ फरमान जारी किया था, “हिन्दू छोड़ ईसाई बन जाओ, नौकरियों का विशेष स्कोप है यानी हिन्दू धर्म छोड़कर ईसाई बनने वालों के लिए विशेष तौर पर सुरक्षित किए गए इन पदों का वेतन ₹45,800 से ₹89000 रखा गया था।

संदर्भ : OpIndia

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​

JOIN