तमिलनाडू : हिन्दू भगवान के सिर पर लात मार ईसाई धर्म कबूल करवाने वाला पादरी गिरफ्तार

हिंदुओं के देवी देवताओं को लात मारकर साधारण ग्रामों को ‘Christ Villages’ बनाने वाले ईसाई पादरी प्रवीण चक्रवर्ती को आँध्र प्रदेश की CID टीम ने 13 जनवरी 2021 को गिरफ्तार कर लिया। उसके व उसके संगठन साइलम ब्लाइंड सेंटर (Sylom Blind Centre’) के खिलाफ LRPF (Legal Rights Protection Forum) ने साल 2019 में गृह मंत्रालय में शिकायत दर्ज करवाई थी।

पादरी के ख़िलाफ़ विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और पूजा स्थल में अपराध करने के लिए आईपीसी की विभिन्न धाराओं- 153 ए, 153 बी (1) (सी), 505 (2), 295 ए, 124 ए और 115 के तहत आरोप लगाए गए हैं। उसके ऊपर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 f के तहत भी मामला दर्ज हुआ है।

LRPF द्वारा शेयर की गई चक्रवर्ती की एक वीडियो में देख सकते हैं कि वो बता रहा है कि कैसे वह गाँव में रह रहे लोगों से ईसाई धर्म कबूल करवाता है। उसने कहा कि पहले एक पादरी को गाँव में बुला कर बाइबल पढ़ाई जाती है। फिर, जब गाँव में हर कोई ईशु को अपना पालनहार मान लेता है और पत्थर के भगवानों और पेड़ों को लात मार देता है, तब वह गाँव Christ village में तब्दील हो जाता है। वह वीडियो में यह भी कहता है कि कई वाकयों में जो उसने खुद भगवान के सिर पर लात मारी और ऐसा करके वह बहुत खुश भी हुई।

एक अन्य वीडियो में वह अमेरिकी डोनर के साथ बात करता है और कहता है, “हमारे संघ में 3642 पादरी हैं और अब तक 699 क्राइस्ट विलेज बना चुके हैं। एक महीने में वह इसे 700 कर देंगे।”

अब इन्ही प्रमाणों के आधार पर व गुंटूर निवासी सिंगम लक्ष्मी नारायण द्वारा दायर शिकायत के आधार पर आंध्र प्रदेश पुलिस ने पादरी प्रवीण को गिरफ्तार किया है। सीआईडी ​​चीफ पीवी सुनील कुमार ने कहा है कि अपराधी के खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

LRPF ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) में भी पादरी के विरुद्ध शिकायत की है। इसमें बताया गया है कि Sylom Blind Center बाल श्रम से बच्चों को मुक्त कराने के नाम पर FCRA फंड इकट्ठा करता है। इस शिकायत में यह भी कहा गया कि सेंटर कभी भी किसी मामले में संबंधित अधिकारियों को सूचित नहीं करता था और बाल श्रम करवाने वाले आरोपितों को बिना सजा दिलवाए जाने देता थे। इसमें लिखा है कि इस एनजीओ के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि इसने भारत को ऐसा दर्शाया है जैसे यहाँ पर अधिकांश मात्रा में गुलाम जनसंख्या रहती हो। इसके अलावा इस एनजीओ ने लॉकडाउन नियमों का भी पालन नहीं किया जिसके कारण 318 बच्चे कोविड पॉजिटिव पाए गए।

संदर्भ : OpIndia

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