देशद्रोहियों को इस देश में रहने का कोई भी अधिकार नहीं है ! – स्वामी पूर्णचेतनानंद गिरिजी (पूर्वाश्रमी की साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर)

भोपाल में धर्मरक्षा संगठन द्वारा चतुर्थ मध्य भारत हिन्दु अधिवेशन

दाएं से श्री. विनोद यादव, श्री. आनंद जाखोटिया, दीपप्रज्वलन करते हुए डॉ. तरुण मुरारीबापु महाराज तथा सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे

भोपाल : भोपाल के संत हिरदाराम नगर में ९ तथा १० मार्च को धर्मरक्षा संगठन द्वारा चवथा मध्य भारत हिन्दु अधिवेशन आयोजित
किया गया था । इस कार्यक्रम के समारोप सत्र में भारत भक्ति अखाडा की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी पूर्णचेतनानंद गिरिजी (पूर्वाश्रमी की
साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर) ने संबोधित किया । उन्होंने यह प्रतिपादित किया कि, ‘सर्वधर्मसमभाव नामक कुछ भी नहीं है । जो कोई भी इस
देश का निवासी है, वह हमारा है । जो इस देश का नहीं है, उसे यहां रहने का कोई अधिकार नहीं है । हमें धर्म के अनुसार चलना होगा,
वास्तव बताना पडेगा, देश के प्रति निष्ठा रखनी पडेगी ।’ इस अधिवेशन के लिए हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक
सद्गुरु (डॉ.)चारुदत्त पिंगळे उपस्थित थे । साथ ही अधिवेशन के लिए मध्यप्रदेश के भोपाल, सिवनी, जबलपुर, इंदौर, विदिशा, सागर,
बुरहानपुर इत्यादि जिले के ७० कार्यकर्ताएं तथा हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के प्रतिनिधी उपस्थित थे । अधिवेशन के अनावरण सत्र के प्रारंभ में
धर्मरक्षक संगठन के अध्यक्ष श्री. योगेश पटवाजी ने अधिवेशन का उद्देश्य स्पष्ट किया ।

दो दिन के इस अधिवेशन में अखिल भारत हिन्दु महासभा के प्रदेशाध्यक्ष श्री. दिनेश सुगंधी (बुरहानपुर), प्रदेश महामंत्री श्री. जितेंद्र ठाकुर (इंदौर), हिन्दु सेवा परिषद के प्रदेशाध्यक्ष श्री. अतुल जेसवानी (जबलपूर), श्री. अभय पंडित, श्री. योगेश परमार, बजरंग दल के प्रांत
सुरक्षा प्रमुख श्री. विशाल पुरोहित, श्री. जीतू कटारिया, श्री. करण सिंह, श्री. मारुती नंदन, श्री. विकास कसोले, हिन्दू जनजागृति समिति
के मध्यप्रदेश तथा राजस्थान समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया, श्री. श्रीराम काणे, सनातन संस्था के श्री. गिरीश आगरकर, अधिवक्ता श्री.
भरत तोमर इत्यादि वक्ताओं ने मार्गदर्शन किया ।

अब वृत्ति में परिवर्तन लाने का समय आया है ! – कथावाचक डॉ. तरुण मुरारीबापु

अधिवेशन के अनावरण सत्र को संबोधित करते समय कथावाचक राष्ट्रसंत डॉ. तरुण मुरारीबापु ने बताया कि, ‘भारत पहले अखंड भारत
के रूप में था । हमारी दुर्बलता के कारण उसके टुकडे-टुकडे हुए । अब हमारी वृत्ति में परिवर्तन लाने का समय आया है ।

विश्वशांति के लिए भारत में हिन्दु राज्यप्रणाली स्थापित होनी चाहिए ! – सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे

सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे देश को स्वतंत्रता प्राप्त होकर अब ७१ वर्ष पूर्ण हुए हैं, किंतु आजतक हिन्दुओं को राज्यघटना में अधिकृत अधिकार क्यों नहीं दिए गए ? हिन्दु बहुसंख्यक होते हुए भी गोहत्या, धर्मांतरण रोकने के अधिनियम क्यों नहीं पारित किए गए ? हम स्वतंत्र हुए; किंतु हमारी राज्यप्रणाली स्थापित नहीं की गई । आज विश्वशांति के लिए भारत में हिन्दु राज्यप्रणाली स्थापन करनी चाहिए । भारत को हिन्दु राष्ट्र बनाने के लिए युवकों को अग्रेसर होना चाहिए ।

हिन्दूत्वनिष्ठ संगठनों ने संगठित होकर हिन्दु राष्ट्र स्थापित करने के प्रयास करने चाहिए ! – विनोद यादव, संस्थापक, धर्मरक्षा संगठन

आज धर्मांध ‘ताडका’ बनकर. ईसाई मिशनरी ‘पूतना’ बनकर तथा कम्युनिस्ट ‘शूर्पणखा’ बनकर हिन्दुत्व पर आक्रमण कर रहे हैं । देश
की घटना में धर्मरक्षा का किसी भी प्रकार का प्रबंध नहीं है । अतः राजनेताओं के माध्यम से हिन्दुओं के हित का विचार नहीं किया जाता
। सद्यस्थिती में सर्व हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को संगठित होकर हिन्दु राष्ट्र स्थापना के प्रयास करने चाहिए ।

राष्ट्रहित के लिए दबावगुंट बनाना आवश्यक ! – प्रा. रामेश्वर मिश्र

चापलूसी करना राजनीतिक नेताओं का धर्म हुआ है । यह अनुचित बात है कि, भारत में भेदभाव से चापलूसी की जा रही है । आज
राष्ट्रहित के लिए हमें ऐसा दबावगुंट निर्माण करना चाहिए कि, हम राष्ट्र एवं धर्म के हित का कार्य किसी भी दल का शासन हो, उनसे ही
करवाएंगे ।

भारतीय योद्धा समाज है ! – प्रा. कुसुमलता केडिया

भारत नरसिंहों का देश है । आज भी भारत में जिस समय सेना में प्रवेश दिया जाता है, उस समय वहां भीडभाड रहती है । इससे यह
स्पष्ट होता है कि, भारतीय योद्धा समाज है । महाभारत अथवा रामायण प्रेमकथा नहीं हैं, तो वह युद्धकथा है । आज हमें हिन्दु राष्ट्र
की निर्मिती करने के लिए इस पराक्रमी इतिहास का स्मरण करना चाहिए ।

युवकों को हिन्दु राष्ट्र के लिए अग्रेसर होना चाहिए ! – श्री. भानुप्रताप, अध्यक्ष, जय मां भवानी संगठन

‘लव जिहाद’ के चंगुल में फंसनेवाली बहनों को कैसे मुक्त करें, यह रामायण के सुंदरकांड से सीखने को मिलता है । आज व्यक्तित्व स्वार्थ
के लिए हिन्दुत्व का उपयोग किया जाता है; इसलिए युवकों को हिन्दु राष्ट्र की निर्मिति करने हेतु अग्रेसर होना चाहिए ।

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