हुतात्माआें के परिवार ने बयां किया दर्द : मां बोली, ‘मुझसे कहा कुछ नहीं होगा, फिर भी बेटे को मार दिया’

जम्मू-कश्मीर के शोपियां में शुक्रवार को अगवा करने के बाद आतंकियों ने तीन पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी। जिसके बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस में कई पुलिसवालों के इस्तीफे की चर्चा है। हालांकि, गृह मंत्रालय ने पुलिस अधिकारियों के इस्तीफे को अपवाह करार दिया है। पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद उनके परिवार डर के साए में हैं उन्होंने अपना दर्द बयांं किया है।

सुबह का सूरज निकलने से पहले फिरदौस अहमद और उनकी पत्नी रुख्साना अख्तर, फजर की नमाज के लिए उठे। दोनों ने नमाज अदा की। इसके करीब एक घंटे बाद शोर शराबा शुरू हो गया। रुख्साना ने कहा, ‘लगभग ६ बजे बंदूकधारी घर के अंदर आए और मेरे पति का नाम बुलाते हुए उनके बारे में पूछने लगे।’ वह उसके छोटे भाई को लेकर जा रहे थे, तभी फिरदौस ने हस्तक्षेप किया और अपने बारे में खुलासा कर दिया।

रुख्साना ने बताया कि तीन से चार बंदूकधारी घर के अंदर थे और उतनी ही संख्या में घर के आसपास थे। फिरदौस जम्मू-कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल हैं। आतंकियों ने उनका अपहरण कर लिया। परिवार ने इसका विरोध किया, लेकिन वह नहीं माने।

फिरदौस की मां और पत्नी ने कहा ‘आतंकियों के पैर पडे’ और ‘छोडने की भीख मांगी’ लेकिन बंदूकधारियों ने एक ना सुनी और कहा कि फिरदौस को कोई नुकसान नहीं होगा। श्रीनगर से ६० और शोपियां से ११  किलोमीटर दूर स्थित एक और गांव बटगुंड में ३८ वर्षीय कुलदीप सिंह के परिजनों ने भी यही दास्तां बताई। जिस समय आतंकी कुलदीप के घर पहुंचे तो वह अपने घर में सो रहे थे।

कुलदीप सिंह के शव के पास बैठा उनका तेरह वर्षीय बेटा

उनके घर में बुढी मां, पुष्पा देवी, तेरह साल का एक लडका और दस साल की बेटी थी। पुष्पा ने कहा, ‘वह सुबह का नाश्ता तैयार कर रही थी, तभी आतंकी घर में आ गए। उनमें से कुछ ने सेना की वर्दी पहन रखी थी। मैंने उनसे विनती की मेरे बेटे को लेकर ना जाएं, वह दोपहर तक इस्तीफा दे देगा। पुष्पा ने कहा वह ८ से १० लोग थे। उनमें से तीन ने चेहरे पर नकाब पहन रखा था। वह कश्मीरी बोल रहे थे और मुझे इस बात के लिए निश्चिंत किया कि कुलदीप को कुछ नहीं होगा।’

यहीं से पांच सौ मीटर की दूरी पर स्थित निसार अहमद के घर भी कुछ ऐसा ही हुआ। दोनों गांव इकट्ठा हुए और चारों लोगों की तलाश शुरू कर दी। तीन घंटे के बाद गोली की आवाज सुनाई दी। एक ग्रामीण विकार अहमद ने कहा, ‘हम उस जगह की ओर भागे जहां से आवाजें आईं। एक जगह तीनों मृत पाए गए। पुलिसकर्मी के भाई को हत्या से कुछ मिनट पहले छोड दिया गया था।’

बता दें हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने शुक्रवार को दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में तीन पुलिसकर्मियों को उनके घरों से अगवा करने के बाद गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। पुलिस ने इस जघन्य कृत्य को जम्मू-कश्मीर में तीन दशक से चले आ रहे आतकंवाद का एक नया चेहरा बताया है।

शुरुआती जांच के आधार पर पुलिस ने कहा है कि यह कायरना हरकत प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों -हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा ने विशेष पुलिस अधिकारियों (एसपीओ) के खिलाफ की।

स्त्रोत : न्यूज १८

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