१. दत्त जयंति के उपलक्ष्य में किया गया प्रसार
केरल के लोगों में भगवान श्री दत्त के संदर्भ में जादा कुछ जानकारी नहीं है। यहां भगवान श्री दत्त के इतने मंदिर भी नहीं है। यहां के लोगों को पूर्वजों का कष्ट है। इस वर्ष दत्तजयंति के उपलक्ष्य में केरल के जिज्ञासुओं को सोशल मीडिया (व्हॉट्स अॅप, फेसबूक), भ्रषणभाष एवं फलकप्रसिद्धि के माध्यम से दत्तजयंती तथा श्री दत्त के नामजप का महत्त्व बताया गया। साधकों ने जिज्ञासुओं को एकत्रित कर श्री दत्त का सामूहिक नामजप करने के लिए तथा दत्तजयंति के दिन घरबैठे भी अधिकाधिक नामजप करने के लिए कहा। कुछ जिज्ञासुओं ने साधकोंद्वारा बताए जाने के अनुसार जप किया और उससे उनको अच्छी अनुभूतियां भी आयीं !
१. अ. जिज्ञासु तथा धर्मप्रेमियोंद्वारा किया गया धर्माचरण तथा उससे उनको प्राप्त अनुभूतियां
१ अ १. पीठदर्द होते हुए भी दत्त मंदिर की १०८ परिक्रमाएं करना : अधिवक्ता श्रीमती त्रिवेणी को पीठदर्द है। साधकों ने उनको दत्तजयंती के दिन श्री दत्त का नामजप करने के लिए कहा। उसके लिए साधकों ने उनको व्हॉट्स अॅप के माध्यम से दत्तजयंती की जानकारी देनेवाले मलयालम् भाषा के वीडियो भेजे थे। उन्होंने नजदीक के दत्त मंदिर जाकर श्री दत्त से यह प्रार्थना की कि, हे श्री दत्त, मुझ में कोई क्षमता नहीं। आप ही मुझसे परिक्रमा करवाए। उसके पश्चात उनको पीठदर्द होते हुए भी उन्होंने उस दिन श्री दत्त की १०८ परिक्रमाएं पूरी की !
१. अ २. श्रीमती देवी ने दत्तजयंती के दिन बैठकर २० मालाएं श्री दत्त का नामजप किया। अब वे प्रतिदिन नामजप करती हैं।
१. अ ३. श्रीमती प्रेमाद्वारा भागवत का अध्ययन करनेवाले श्रद्धालुओं से श्री दत्त का नामजप करवा लेना : श्रीमती प्रेमा भागवत का अध्ययन करती है। वहांपर १० से १२ लोग आते हैं। श्रीमती प्रेमा ने उनको दत्तजयंती के दिन श्री दत्त एवं श्री दत्त के नामजप का महत्त्व बताया गया और उनसे वहांपर ५ मिनट नामजप करवा लिया !
१. अ ४. अनुभूति – श्रीमती मिनीद्वारा स्वयं तथा उनके रुग्ण पिताद्वारा श्री दत्त का नामजप किये जाने से पिता के स्वास्थ्य में सुधार आना : श्रीमती मिनी राजेश नियमित रूप से फलक लेखन की सेवा करती हैं। उनके पिता दत्तजयंती के पहले अस्वस्थ थे। उनको चिकित्सालय में अतिदक्षता विभाग में रखा गया था। श्रीमती मिनी ने स्वयं तथा उनके पिता ने भी जप एवं प्रार्थना की। तत्पश्चात उनके पिता के स्वास्थ्य में सुधार दिखाई दिया और वे घर आ गए ! दत्तजयंती के दिन श्रीमती मिनी ने मन से जप किया। उस दिन उनके पिता के स्वास्थ्य में सुधार होकर वे उठकर बैठ गये !
२. प्रवचनों का आयोजन
९.१२.२०१७ को एर्नाकुलम जिले के कडवंत्रा के मट्टलिल भगवती मंदिर में प्रवचन लिया गया। इस मंदिर में हर माह में एक विशिष्ट दिन अनेक लोग इकट्ठा होते हैं। तब उपस्थितों को देवता को नमस्कार करने की योग्य पद्धति तथा उसके लाभ, महिलाओं ने कुंकुम लगाने का महत्त्व, १ जनवरी को नववर्ष न मनाने का कारण, इस संदर्भ में अवगत कराया गया। २५ लोगों ने इस कार्यक्रम का लाभ उठाया।
– कु. प्रणिता सुखटणकर, केरल (दिसंबर २०१७)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात