शांतिसे मोर्चा निकालनेवाली हिंदु महिलाएं एवं बच्चोंपर तानाशाही; पुलिसद्वारा लाठियां बरसाई

चैत्र कृ. ९ , कलियुग वर्ष ५११३

राजौरीका (जम्मू) उपद्रव प्रकरण !



        राजौरी (जम्मू) – गुरुवारकी सुबह यहांपर वैधानिक मार्गसे मोर्चा निकाला गया था । इसमें ५०० से अधिक हिंदु महिला, बच्चे एवं पुरुष सहभागी हुए थे । इस अवसरपर नैशनल कॉन्फरन्स एवं कांग्रेस गठबंधन शासनकी तानाशाही पुलिसद्वारा इनपर निर्दयतासे लाठियां बरसाई गई । (श्री भैरव देवताकी शोभायात्राके समय ५०० पुलिस तैनात हुई थी । तब भी मुसलमानोंने शोभायात्रा एवं पुलिसपर पथराव किया; परंतु पुलिसने उनपर लाठीतक नहीं उङ्गाई और न ही उन्हें बंदी बनाया ! हिंदुओंद्वारा वैधानिक मार्ग एवं शांतिसे निकाले गए मोर्चेपर पुलिस लाठी चलाकर अपनी शूरता दिखाती है ! ऐसी पुलिस यदि जिहादी आतंकवादियोंके हाथों मारी जाए, तो हिंदु उसका दुःख क्यों मनाएं ? – संपादक) इसके साथ ही मोर्चेको तितर-बितर करनेके लिए पुलिसने अश्रुगैस छोडी । पुलिसके इस अनाचारमें ७ हिंदु घायल हुए । उन्हें रुग्णालयमें प्रविष्ट किया गया है । इस घटनासे आक्रोशित हिंदुओंद्वारा किए गए पथरावमें ६ पुलिस घायल हुए ।
इस घटनासे कल सुबहके समयमें उठाई गई संचारबंदी पुनः  लागू की गई है ।

१. जिहादी मानसिकताके मुसलमानोंद्वारा होलीके दिन यहां श्री भैरव देवताकी शोभायात्रापर पथराव कर, उपद्रव मचाया गया तथा यहांके मुसलमान बहुसंख्यक क्षेत्रमें स्थित शिवमंदिरकी तोडफोड की गई ।

२. इस प्रकरणमें पुलिसद्वारा अबतक एक भी मुसलमानको बंदी नहीं बनाया गया । (यदि हिंदुओंने किसी चर्च अथवा मस्जिदपर ऐसा पथराव किया होता अथवा उसकी तोडफोड की होती एवं इस प्रकरणमें पुलिसद्वारा एक भी हिंदु बंदी नहीं बनाया गया होता, तो पुलिसकी क्या दुर्गति होती, यह बतानेकी आवश्यकता नहीं है ! – संपादक)

३. हिंदुओंने इस प्रकरणके संदर्भमें १५ जिहादी मुसलमानोंके नाम पुलिसको दिए हैं; परंतु अब तक उन्हें बंदी नहीं बनाया गया है । (क्या ये जिहादी मुसलमान नैशनल कॉन्फरन्स शासनके जमाई हैं ? कहीं ऐसा तो नहीं कि उन्हें हिंदुओंके श्रद्धास्थानोंपर आघात करनेकी अनुमति दी गई है ? एक ओर हिंदुओंको आतंकवादी ठहरानेका प्रयास जारी है एवं दूसरी ओर जिहादी मुसलमानोंकी काली करतूतोंकी उपेक्षा की जा रही है । अब हिंदु यह सब और कितने दिन सहन करेंगे ? – संपादक)

४. १५ लोगोंको बंदी बनानेकी मांगके लिए कल हिंदुओंने यहां वैधानिक मार्गसे निदर्शन किए; परंतु पुलिसने जमावबंदी आदेशका उल्लंघन करनेका कारण बताकर १७ हिंदुओंको बंदी बना लिया । (जिहादी मुसलमानोंको छोडकर निरपराध हिंदुओंको ही बंदी बनानेवाला हिंदुद्वेषी शासन ! – संपादक)

५. आज इन हिंदुओंकी मुक्तताके लिए सनातन धर्म सभाद्वारा मोर्चेका आयोजन किया गया था ।

६. मोर्चेमें सबसे आगे महिलाएं एवं बच्चे थे ।

७. पुलिसद्वारा इस मोर्चेको जमावबंदी आदेशके कारण अनुमति नकारी गई एवं मोर्चा निरस्त करनेको कहा गया । (क्या ऐसा समझें कि जमावबंदीके कारण ही मोर्चेको अनुमति नकारनेवाली पुलिस जिहादी मुसलमानोंको हिंदुओंकी शोभायात्रापर पथराव करनेकी अनुमति देती है ? – संपादक)

८. हिंदुओंद्वारा १७ हिंदुओंकी मुक्तता करने एवं १५ मुसलमानोंको बंदी बनानेकी मांग की गई है ।

९. पुलिसने हिंदुओंद्वारा की गई मांगकी उपेक्षा कर, मोर्चेपर लाठी चलाना आरंभ कर दिया । इसके साथ ही अश्रुगैस भी छोडी ।

१०. इसमें आगे जानेवाली महिलाओं एवं बच्चोंको बचानेके प्रयासमें ७ हिंदु घायल हुए ।

११. लाठी चलानेसे हिंदुओंमें आक्रोश फैल गया और उन्होंने  पुलिसपर पथराव आरंभ कर दिया । इससे ६ पुलिसकर्मी घायल हुए ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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