लूटी गई सांस्कृतिक विरासत को सहेज रहा है मोदी सरकार

सोने की चिडिया कहलाने वाले भारत को लगभग ८०० वर्षों तक लुटा गया है। लूट का जो सिलसिला मोहम्मद गोरी ने शुरू किया था, वो अंग्रेजों के दौर तक या कुछ परिस्थितियों में उसके बाद तक भी जारी रहा। परंतु पिछले ३ वर्ष में देश की लूटी गई विरासत को एक-एक करके सहेजने का प्रयास हुआ है। जो अति-प्राचीन और अमूल्य मूर्तियां चुराकर विदेशों में भेजी गई थीं, उन सबको फिर से वापस लाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार अपने कार्यकाल में अबतक अनेकों प्राचीन मूर्तियों और बाकी वस्तुओं को वापस लाने में सफलता पाई है।

विदेशों से प्राचीन धरोहरों को वापस लाने में जुटी है मोदी सरकार

२०१४ में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार के प्रयासों से जो वस्तुएं या मूर्तियां विदेशों से वापस लाई गई हैं, उसमें चोल शासकों के समय की श्रीदेवी की धातु की मूर्ति और मौर्य काल की टेराकोटा की महिला की मूर्ति शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में जिन २४ चर्चित प्राचीन धरोहरों की बात की जा रही है उनमें से १६ अमेरिका से, ५ ऑस्ट्रेलिया से और एक-एक कनाडा, जर्मनी और सिंगापुर से लाई गई हैं। इन प्रतिमाओं में बाहुबली की धातु की प्रतिमा और नटराज की एक-एक प्रतिमाएं भी शामिल हैं।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के हवाले से बताया गया है कि, संत मन्निक्कावचाका की कांस्य प्रतिमा, गणेश और पार्वती की धातु की प्रतिमाएं भी अमेरिका से वापस आई हैं। अमेरिका ने दुर्गा की पत्थर की प्रतिमा, नृत्य की भाव-भंगिमा में नटराज की पत्थर की एक प्रतिमा भी वापस भेज दी हैं। जबकि ऑस्ट्रेलिया ने बैठे हुए भगवान बुद्ध की एक मूर्ति, नटराज और अर्द्धनारीश्वर की प्रतिमाएं भेजी हैं। सिंगापुर से उमा परमेश्वरी, कनाडा से एक पैरट लेडी और जर्मनी से जम्मू-कश्मीर से चुराई गई ‘महिष मर्दनी’ की प्रतिमाएं वापस लाई हैं। जबकि ऑस्ट्रेलिया की नेशनल गैलरी ने जिन प्राचीन कलाकृतियों को वापस किया, उनमें बैठे हुए बुद्ध, ९०० वर्ष पुरानी देवी प्रत्यांगिरा और मथुरा की ध्यानस्थ बुद्ध की मुद्रा वाली मूर्तियां शामिल हैं।

आगे भी सरकार के प्रयास जारी हैं

एएसआई के हवाले से कहा गया है कि, ढेरों पुरातनकालीन वस्तुएं अब भी बाकी हैं जिन्हें स्विट्जरलैंड समेत दूसरे देशों से वापस लाया जाना है। जानकारी के अनुसार, सरकार भारत से चोरी करके ले जाई गयीं प्राचीन वस्तुओं को कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से वापस लाने पर जोर दे रही है। अभी अमेरिका से विष्णु की एक प्रतिमा और तंजौर की पेंटिंग्स वापस लाई जानी हैं। इसी तरह स्विट्जरलैंड से वाराह और जैन तृथंका की पत्थर की मूर्तियां भी वापस लाई जानी हैं। महत्वपूर्ण बात ये है कि, लंदन में भारतीय उच्चायोग को ब्रह्मा और ब्रह्माणी की मूर्तियां सौंप भी दी गयी हैं।

पूर्व की कांग्रेस सरकार १९७६ से २०१४ के बीच विदेशों में बेची गई हजारों देवी-देवताओं की मूर्तियों और कलाकृतियों में से केवल १३ को ही वापस लाने में सफल हो सकी, जबकि प्रधानमंत्री मोदी तीन वर्ष में ही लगभग सैकड़ों मूर्तियों और कलाकृतियों को वापस देश ले आये। इन सांस्कृतिक धरोहरों का वापस आना आज भी जारी है। प्रधानमंत्री जब भी अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों की यात्रा पर गये हैं, उन्होंने देश की सांस्कृतिक विरासत को वापस लाने का विशेष प्रयास किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने २०१६ में अमेरिका से २०० देवी-देवाताओं की मूर्तियों और कलाकृतियों को वापस लाने का विशेष प्रयास किया, जिसमें वो सफल रहे। ७ जून, २०१६ को वॉशिंगटन में एक समारोह में अमेरिका की एटार्नी जनरल लोरेटा लिंच ने, २००० वर्ष से भी पुरानी इन मूर्तियों और कलाकृतियों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपा। इसके पहले शायद ही किसी प्रधानमंत्री ने सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए इस मनोयोग से काम किया है।

संदर्भ : परफॉर्म इंडिया

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