पूरसवक्कम : तमिलनाडू शिवसेना की ओर से में हिन्दुत्वनिष्ठों की विशेष सभा !

परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी के अमृतमहोत्सव के उपलक्ष्य में तमिलनाडू के हिन्दुत्वनिष्ठ संघटित !

सभा के निमंत्रण हेतु जगह जगह पर लगाये गए फलक।इन फलकों पर अंकित किया गया परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का छायाचित्र (कड़ी में)दिखाई दे रहा है !

पूरसवक्कम : तमिलनाडू शिवसेना की ओर से हिन्दुत्वनिष्ठों की एक विशेष सभा का आयोजन कर ‘हिन्दू राष्ट्र’ की संकल्पना रखनेवाले परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी का अभिवादन किया गया। परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी का हाल ही में संपन्न अमृतमहोत्सव के उपलक्ष्य में इस विशेष सभा का आयोजन किया गया था। शहर के थाना स्ट्रीट क्षेत्र में २१ मई को संपन्न इस सभा में तमिलनाडू राज्य के १६ हिन्दुत्वनिष्ठ संघटनों के लगभग ७५ हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ता उपस्थित थे।

इस अवसरपर व्यासपीठ पर परात्पर गुरु श्री श्री जयंत आठवलेजी का छायाचित्र रखा गया था। शिवसेना के श्री. राधाकृष्णजी, श्री. कुमार सिद्धर स्वामी, हिन्दू महासभा के श्री. कुमारजी, ईसाई धर्म का त्याग कर हिन्दू धर्म का स्वीकार करनेवाले कन्याकुमारी के श्री. जॉन्सन, हिन्दू जनजागृति समिति के श्रीमती सुगंधी जयकुमार, श्री. काशिनाथ शेट्टी, श्री. श्रवण एवं श्री. जयकुमार उपस्थित थे।

१. परात्पर गुरु श्री श्री जयंत आठवलेजी को अभिवादन कर शिवसेना के श्री. राधाकृष्णजी ने उपस्थितों को संबोधित किया। श्री. राधाकृष्णजी ने कहा, ‘हिन्दू राष्ट्र के संदर्भ में जहां से उद्घोष हो रहा है, तो वह गोवा राज्य से हो रहा है। इसके लिए गुरुदेवजी (परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी) बिना विश्राम कार्य कर रहे हैं। कश्मीर में पाकिस्तान के सैनिक भारतीय सैनिकों की हत्याएं कर रहे हैं। यह घटनाएं बंद होने हेतु और हिन्दुस्थान की अस्मिता को पुनर्स्थापित होने हेतु पाकिस्तान के साथ युद्ध के बिना अन्य कोई विकल्प नहीं है। इसके लिए हमें समाज के मनोबल को बढाना होगा !

२ श्री. कुमार सिद्धर स्वामीजी ने कहा, ‘ईश्‍वर के आशीर्वाद के कारण ही हम संघटित हुए हैं। मतों की राजनीति और हिन्दुओं में एकता के अभाव के कारण हमारी स्थिति इतनी दयनीय बन गई है !’

३. हिन्दू महासभा के श्री. कुमारजी ने कहा, ‘ गांधी एवं नेहरु के कारण हमारे लोग हिन्दुओं का गौरवशाली इतिहास भूल गए हैं। हमें हमारी हर कृति केवल ‘हिन्दू हित’ का ध्यान रखते हुए ही करनी चाहिए !’

४. ईसाई धर्म का त्याग कर हिन्दू धर्म का स्वीकार किए हुए कन्याकुमारी के श्री. जॉन्सन ने कहा, ‘हमारा धर्म कैसा है, इस संदर्भ में हमें लोगों को शिक्षित करना चाहिए, जिससे की उनको वास्तविक ज्ञान मिलेगा !’

५. श्रीमती सुगंधी जयकुमार ने कहा, ‘अब हमें परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी जैसे ज्ञानगुरु, मोक्षगुरु, राष्ट्रगुरु एवं धर्मगुरु का मार्गदर्शन प्राप्त होना, हमारा परमभाग्य है। ऐसे गुरुदेवजी का आशीर्वाद प्राप्त होने हेतु हमें हमारे अंश के कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए। उसके लिए नामजप करना चाहिए, साथ ही राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा के साथ ही स्वयं में व्याप्त स्वभावदोषों को दूर करने हेतु प्रयास करने चाहिएं !’

क्षणचित्र

१. व्यासपीठपर परात्पर गुरु श्री श्री जयंत आठवलेजी का चित्र अंकित किया गया फलक लगाया गया था !

२. इस अवसर पर हिन्दुत्व का कार्य करनेवाले ६६ हिन्दुत्वनिष्ठों को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया। इन पुरस्कारों की विशेषता यह थी कि, उसमें छत्रपति शिवाजी महाराज, साथ ही शिवसेना प्रमुख के छायाचित्र के साथ परात्पर गुरु श्री श्री जयंत आठवलेजी के छायाचित्र का भी अंतर्भाव किया गया था !

३. इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ताओं को भी सम्मानित किया गया। श्री. राधाकृष्णजी ने तमिलनाडू के हिन्दुओं को संघटित करने हेतु हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा की !

४. कार्यक्रम के प्रारंभ में सात्त्विक भजन लगाए गए थे।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Leave a Comment

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​