शासकीय संगीत नाट्य अकादमी के मेघदूत सांस्कृतिक भवन का ‘अल-काजी रंगपीठ’ ऐसा नामांतर

मेघदूत काव्य की अपेक्षा देश में और भी महान व्यक्ति है, यह दिखाने का केंद्र सरकार का यह हिन्दुद्रोही प्रयास !

नई देहली : केंद्रशासन के संस्कृति मंत्रालय के कार्यकक्षा में आनेवाला राष्ट्रीय संगीत, नृत्य तथा नाट्य अकादमी के स्वामित्व का नई देहली में भवन है। महाकवी कालिदास की विश्वविख्यात ‘मेघदूत’ इस नाटिका पर आधारित यह नामकरण किया गया था। इस सांस्कृतिक भवन में संगीत, नृत्य तथा नाट्य क्षेत्र के अभिजात कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस भवन का मेघदूत नाम परिवर्तित कर एक नाट्य प्रशिक्षण केंद्र के संस्थापक संचालक इब्राहिम अलकाजी का नाम देने का समारोह लोकसभा की सभापति श्रीमती सुमित्रा महाजन के हाथों ३ मई के दिन संपन्न हुआ !

इस कार्यक्रम की निमंत्रण पत्रिका राष्ट्रीय संगीत, नृत्य तथा नाट्य अकादमी के अध्यक्ष शेखर सेन के नाम पर वितरित की गई थी। उसमें इब्राहिम अलकाजी को नाट्यक्षेत्र के विख्यात अभ्यासक की पदवी प्रदान की गई। (प्रत्यक्ष में अलकाजी एक नाट्यशिक्षण संस्था के चालक थे। वे अवास्तव शुल्क अपनाकर नाट्य एवं चित्रपट क्षेत्र के कलाकारों को प्रशिक्षण देते थे। इस भवन का नाम परिवर्तित कर उनका कार्य महाकवी कालिदास की अपेक्षा अधिक महान है, यह प्रदर्शित करने का यह प्रयास है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

नामांतरण के विरोध में हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा मूकनिदर्शन

निदर्शन करते हुए धर्माभिमानी कार्यकर्ता

इस नामांतरण के विरोध मे हिन्दू जनजागृति समिति ने नाट्यगृह के बाहर मूकनिदर्शन किया। उस में सनातन संस्था, रणरागिणी शाखा, साथ ही बजरंग दल के हिन्दुत्वनिष्ठ सम्मिलित हुए थे।

पुलिसकर्मियों की दंडेलशाही !

१. लगभग ३० मिनट तक निदर्शन करने के पश्चात पुलिस ने कार्यकर्ताओं को वहां से भगाया। प्रत्यक्ष में कार्यकर्ताओं ने पुलिस थाने में अनुमती मांगने का पत्र प्रस्तुत किया था। पुलिस ने भी उसका स्वीकार किया था। वह प्रत पुलिस को दिखाने के पश्चात उन्होंने उसे केवल देखा तथा अपने पास ही रखा। कार्यकर्ताओं ने उसकी मांग करने के पश्चात वह अनुमति पत्र पुनः लौटा दिया।

२. कार्यकर्ताओं ने पुलिस को बताया कि, ‘वे मूकनिदर्शन कर रहे हैं !’ अपितु पुलिस ने उन्हें बल के आधार पर भगाया !

३. पुलिस ने कार्यकर्ताओं को निदर्शन करने की अनुमती प्राप्त न होने के कारण अपने अधिकार में लेते हुए पुलिस वाहन में बैठने की आज्ञा की। उनमें ५ महिला कार्यकर्ताएं थी। पुलिस के पास केवल एक महिला पुलिस थी। अतः कार्यकर्ताएं अपने ही वाहन से वहां से जंतर मंतर पर निदर्शन करने गए।

४. ३० मिनिटों तक किए गए आंदोलन मे अनेक लोगों ने विषय के संदर्भ में अधिक जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया। साथ ही कुछ प्रसारमाध्यमों ने प्रतिक्रियाएं ली। प्रतिक्रिया प्राप्त करने में टाईम्स ऑफ इंडिया भी सम्मिलित थी।

५. टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार ने हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ताओं को बताया कि, ‘मेघदूत सांस्कृतिक भवन का नाम परिवर्तित नहीं कर रहे हैं, केवल उनके सम्मान का कार्यक्रम आयोजित किया गया है !’ उस समय कार्यकर्ताओं ने उस पत्रकार को यह बताया कि, ‘निमंत्रण फलक पर स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि, मेघदूत सांस्कृतिक गृह का नाम परिवर्तित कर ‘अलकाजी’ ऐसे किया जाएगा !’

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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