महाराष्ट्र – संत संम्मेलन में संत-महंतोंद्वारा हिन्दू बंधुओंको धर्मकार्य में सम्मिलित होने का आवाहन !

महाराष्ट्र में काशी गाव, मीरा रोड में ‘संत संम्मेलन’ संपन्न !

‘हिन्दू राष्ट्र’ में ही हिन्दुओं को उचित न्याय मिलेगा ! – श्री. अभय वर्तक, प्रवक्ता, सनातन संस्था

२० से अधिक संत-महंतोंद्वारा एक ही व्यासपीठ से प्रबोधन
प्रबोधन एवं ग्रंथप्रदर्शन के माध्यम से सनातन संस्था का सहभाग

संतसंम्मेलन में विषय प्रस्तुत करते हुए सनातन के प्रवक्ता श्री. अभय वर्तक (बार्इं ओर)

मीरा रोड-ठाणे (महाराष्ट्र) : काशी गाव, मीरा रोड (जिला ठाणे) में आयोजित संत संम्मेलन में बोलते हुए सनातन संस्था के प्रवक्ता श्री. अभय वर्तक ने प्रतिपादित किया कि, आज अपने ही देश में हिन्दुओंको अपना पक्ष सही रूप से प्रस्तुत करना संभव नहीं होता !

यह राष्ट्र धर्मनिरपेक्ष है, ऐसा कह हिन्दुओंको शांत किया जाता है !

जब ‘हिन्दू राष्ट्र’ की मांग की जाती है, तब अनेक लोगोंद्वारा आपत्ति उठाई जाती है; परंतु हम हिन्दु बंधुओंको भी ‘हिन्दू राष्ट्र’ की मांग उतनी ही तीव्रता से करनी चाहिए। यह ‘हिन्दू राष्ट्र’ संतोंके आशीर्वाद से ही आएगा। आज देश में अन्य पंथियोंको एक तो हिन्दुओंको अलग न्याय दिया जा रहा है। ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित होने पर ही हिन्दुओं को उचित न्याय मिलेगा !

श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह के अंतिम दिवस पर पू. स्वामी चिदंबरानंदजी महाराज के नेतृत्व में ‘देश एवं धर्म’ – हम क्यों शांत है ?’ इस विषय पर आधारित यह संम्मेलन १ जनवरी २०१६ को संत-महंतोंकी उद्बोधक वाणी के माध्यम से उत्साहपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ।

महाराष्ट्र के साथ भारत के विविध क्षेत्र से आए इस संत संम्मेलन में पू. स्वामी चिदंबरानंदजी महाराज, साध्वी सरस्वतीजी, आचार्य आर्य जितेंद्रजी महाराज, स्वामी प.पू. विश्‍वेश्‍वरानंदगिरी महाराज, स्वामी आदेशपुरीजी महाराज, स्वामी शिवचंद्रानंदजी महाराज तथा स्वामी गंभीरानंदजी महाराज के साथ २० से अधिक संत-महंतोंने व्यासपीठ से राष्ट्र एवं धर्म के विषय में ज्वलंत विचार प्रस्तुत कर उपस्थित ४०० से अधिक हिन्दू बंधुओंको धर्मकार्य में सम्मिलित होने का आवाहन किया।

इस कारण सनातन संस्थाद्वारा लगाए गए ‘अध्यात्म तथा राष्ट्र-धर्म विषयक ग्रंथ’ एवं ‘सात्त्विक उत्पादों’की प्रदर्शनी तथा ‘धर्मशिक्षा के विषय में फ्लेक्स फलकों’की प्रदर्शनी को भी उपस्थित जिज्ञासुओंद्वारा अच्छा प्रतिसाद मिला !

संत-महंतोंद्वारा प्रस्तुत प्रेरणादायी विचार ….

प्रतिदिन मरने की अपेक्षा राष्ट्र के लिए प्राण की आहुति देकर मरें ! – स्वामी प.पू. विश्‍वेश्‍वरानंदगिरी महाराज

आज हमारे देश एवं धर्म के विषय में कोई भी आकर अपशब्द कहता है। असहिष्णुता के सूत्र पर विवाद किया जाता है। इस पर हमें कुछ प्रतिक्रिया व्यक्त करनी चाहिए !

उस समय यदि छत्रपति शिवाजी महाराज, भगतसिंह ने शांत रहने का विचार किया होता, तो क्या आज हमारा अस्तित्व होता ? प्रत्येक की मृत्यु निश्चित होती है; परंतु प्रतिदिन मरने की अपेक्षा राष्ट्र के लिए प्राणोंकी आहुति देकर मरना चाहिए !

पू. स्वामी चिदंबरानंदजी महाराज

धर्मनिरपेक्षता के नाम पर ‘हिन्दू संस्कृति’ पर आघात ! – पू. स्वामी चिदंबरानंदजी महाराज

धर्म ‘सनातन धर्म’ ही है ! अन्य केवल पंथ हैं; क्योंकि वे मनुष्यनिर्मित हैं ! हम ‘धर्मनिरपेक्ष’ है, ये कदापि संभव नहीं ! ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द को बहिष्कृत ही करना चाहिए !

‘धर्मनिरपेक्षता’ के नाम पर अपनी हिन्दू संस्कृति पर आक्रमण किया जा रहा है। अन्य पंथीय उनके आस्थास्त्रोतोंपर आक्रमण हुए, तो त्वरित संघटित होते हैं; परंतु हिन्दू शांत रहते हैं !

निर्दोष हिन्दुओंको कारागृह से मुक्त करने हेतु संत-महंतोंको समिति स्थापित करनी चाहिए ! – आचार्य आर्य जितेंद्रजी महाराज, पनवेल

आज अन्य पंथीय हिन्दुओंको मानवता सिखाने का प्रयास कर रहे हैं !

उन्होंने ‘मानवता’ आतंकवादी, तालिबानी, गोहत्या करनेवालोंको सिखानी चाहिए। आज ऐसा कोलाहल किया जाता है कि, ‘भगवा आतंकवाद’ अस्तित्व में है। ‘भगवा आतंकवाद’ अस्तित्व में नहीं है, अपितु वह एक विचारधारा है !

आतंकवाद का रंग एक ही है, जो सब को ज्ञात है !

वर्तमान समय में अनेक आरोपों में लिप्त ‘धनंजय देसाई’, ‘समीर गायकवाड’, ‘साध्वी प्रज्ञासिंग’ समान निर्दोष हिन्दुओंको कारागृह से मुक्त करने हेतु संत-महंतोंको एक समिति स्थापित करनी चाहिए।

हिन्दुओंने देश में आत्मसन्मान गंवाया है ! – साध्वी सरस्वतीजी

आज हिन्दुओंने देश में आत्मसन्मान गंवाया है !

अमरनाथ यात्रा में हिन्दुओंपर राजस्व लगाया जाता है; परंतु मुसलमानोंको हज यात्रा हेतु सुविधाएं दी जाती हैं !

आज हिन्दू संगठित नहीं हैं, यह दुर्बल बाजू है। हम गीता का सच्चा सार भूल गए हैं। अपने बच्चोंको ‘संस्कृति एवं धर्म’ सिखाना चाहिए। आज वोडक का पाठ सिखनेवाला हनी सिंह लडकोंके ध्यान में है; परंतु ये ही बच्चे भगतसिंह को भूल गए हैं !

क्षणिकाएं

१. संत-महंतोंद्वारा विषय प्रस्तुत किए जाते समय अन्य विषयोंके साथ ‘हिन्दू राष्ट्र’ की मांग का भी उल्लेख कर उस विषय में घोषणाएं दी गर्इं !

२. संत-महंतोंने कहा कि, एकत्रित कार्य करने के उद्देश्य से अनेक संत-महंतोंको संघटित करने का पू. स्वामी चिदंबरानंदजी महाराज का प्रयास प्रशंसायोग्य है !

हिन्दुओंकी ‘डरपोक’ मानसिकता !

मीरा रोड के कुछ हिन्दू संगठनोंके प्रतिनिधि, व्यापारी तथा राजनितिक नेताओंद्वारा पूरे विश्वको ग्रसित आइ.एस.आइ.एस. इस इस्लामी आतंकवादी संगठन के निषेध के रूप में उसका ध्वज जलाने का निर्णय लिया गया; परंतु इस संदर्भ में आगे हुई बैठकों में अनेक लोगोंद्वारा पृथक पृथक कारण देते हुए डर के कारण अलिप्त होकर आइ.एस.आइ.एस. इस इस्लामी आतंकवादी संगठन का ध्वज जलाने का कार्यक्रम निरस्त किया गया !
– पू. स्वामी चिदंबरानंदजी महाराज

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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