चोरी होनेवाले मंदिरोंके विश्वस्त मंडलको निरस्त कर सरकार मंदिरोंको अपने नियंत्रणमें लेगी !

ज्येष्ठ कृ २, कलियुग वर्ष ५११४

 

 

हिंदुओ, कांग्रेस सरकारद्वारा हिंदुओंके मंदिरोंका सरकारीकरण करनेका षडयंत्र जानें एवं हिंदु राष्ट्र स्थापित करने हेतु संगठित हों ।

 

 

हिंदुओ, मंदिरोंमें चोरी होनेपर यदि विश्वस्त मंडल निरस्त किया जाता है, तो राज्यमें चोरी होनेपर मंत्रीमंडल निरस्त करनेकी मांग संगठित रूपसे  करें !

 


मुंबई (महाराष्ट्र), ६ मई (वृत्तसंस्था)-‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ अंग्रेजी समाचारपत्रको दिए गए साक्षात्कारमें गृहमंत्री रा.रा. पाटीलद्वारा जानकारी दी गई है कि राज्यमें किसी भी मंदिरमें चोरी होनेपर राज्यसरकार तत्काल उस संदर्भमें धर्मादाय आयुक्तको पत्र भेजकर संबंधित मंदिरका विश्वस्त मंडल निरस्त करनेकी विनती करेगी । तदुपरांत उसपर प्रशासककी नियुक्ति कर सरकार वह मंदिर अपने नियंत्रणमें लेनेवाली है । इस विषयमें पूछताछ करनेपर गृहविभागके अधिकारियोंने इस बातकी पुष्टि की एवं सूचित किया कि सरकार शीघ्र ही इस प्रकारका प्रस्ताव सिद्ध करनेवाली है । इ.स.२००६ में सातारा जनपदमें श्री मांढरदेवी यात्रामें हुई दुर्घटनाका आधार लेकर राज्यके साढेचार लाखसे अधिक मंदिर नियंत्रणमें लेकर सरकारद्वारा उनका सरकारीकरण किया जानेवाला था । हिंदुओंद्वारा किए गए विरोधके कारण बस्तेमें बंद किए गए मंदिर सरकारीकरणके सूत्रपर सरकार पुनः एक बार मंदिरमें हो रही चोरीयोंकी आडमें कार्यवाही करनेका  विचार कर रही है ।

रायगढ जनपदमें स्थित दिवेआगरमें सुवर्ण श्रीगणेश मंदिर एवं बीड जनपदमें अंबेजोगाई मंदिरमें चोरीकी घटनाएं हुई । इस पार्श्वभूमिपर  गृहमंत्रीने विधान परिषदमें कहा था कि मंदिरकी चोरीयोंके संदर्भमें विश्वस्तोंपर अपराध प्रविष्ट किए जाएंगे । उसी संदर्भमें  यह अतिरिक्त जानकारी उन्होंने दी है ।

 

मंदिरोंको स्वयं ही अपनी सुरक्षाका प्रबंध करना चाहिए !

११ जुलाई २०११ को गृहविभागद्वारा निकाले गए  गए परिपत्रके अनुसार (परिपत्र क्रमांक : सीआईआई १२१०/प्र.क्र.१९७/पोल-१२, मंत्रालय, मुंबई ४०००३२) मंदिरोंकी रक्षाके लिए मंदिरमें ‘सीसीटीव्ही’ छायाचित्रक लगाना, सतर्कताके लिए घंटाका प्रबंध करना, रात्रिके अंधेरेमें चित्रीकरण संभव हो ऐसे छायाचित्रक लगाना, मंदिरमें महत्त्वपूर्ण स्थानोंपर पर्याप्त प्रकाशका प्रबंध करना, मंदिरमें काम करनेवाले कर्मचारियोंकी पूर्ण जानकारी रखना, मंदिरमें अत्यधिक संपत्ति हो तो दिन एवं रात्रिके लिए सशस्र सुरक्षारक्षक रखना, धार्मिक स्थलोंकी  दीवारें, द्वार एवं भूमि पक्की करना आदि सूचनाएं सभी मंदिरोंको भेजी गई हैं । गृहमंत्रीने कहा कि मंदिरोंके विश्वस्त परिपत्रमें दी गई सूचनाओंकी उपेक्षा  कर रहे हैं । राज्यमें सैकडो मंदिर हैं । प्रत्येक मंदिरकी सुरक्षाके लिए सरकार पुलिसकी सुविधा नहीं दे सकती । अतः मंदिरोंके विश्वस्त स्वयं ही सुरक्षाका प्रबंध करें ’’(कानून एवं सुरक्षा रखनेका काम राज्यसरकारका है । ऐसा होते हुए भी स्वयंका दायित्व मंदिर समितियोंपर धकेलकर रा.रा. पाटीलने यही सिद्ध किया है कि वे राज्य करने योग्य नहीं हैं । ऐसे भ्रष्ट एवं अकार्यक्षम कांग्रेसियोंको हटाकर हिंदुराष्ट्र (अर्थात रामराज्य, आदर्श राज्य) स्थापित करना अनिवार्य है ! – संपादक)

सुरक्षाका प्रबंध न करनेवाले मंदिरोंके विश्वस्तोंपर अपराध प्रविष्ट fकए जाएंगे !

गृह विभागद्वारा उपरोक्त परिपत्र जनपदके प्रत्येक पुलिस विभाग एवं धर्मादाय आयुक्तको भेजा गया है । इस परिपत्रमें जनपदके पुलिस अधिकारियोंको  आपराधिक दंडसंहिताकी धारा १४४ के अनुसार मंदिरोंको उपरोक्त सूचनाएं  देने एवं   इस आदेशमें शासकीय अधिकारियोंद्वारा सूचित किया गया है कि इस आदेशके अनुसार कार्यवाही न करनेपर यदि किसी मंदिरमें चोरी हुई, तो उसके लिए विश्वस्त मंडलको उत्तरदायी सिद्ध कर उसे निरस्तकर दिया जाएगा ।

चार वर्षोमें मंदिरोंमें तेरह सौसे भी अधिक चोरियां- डकैती !

अनेक प्रमुख मंदिरोंके विश्वस्तोंने कहा कि भले ही सरकारद्वारा ऐसी सूचनाएं भेजनेके संदर्भमें कहा जा रहा है, परंतु ऐसी कोई सूचना हमतक नहीं पहुंची है । पिछले चार वर्षोंमें राज्यमें १ सहस्र ३४१ मंदिरोंमें करोडो रूपयोंके संपत्तिकी चोरीयां हुई हैं तथा चोरियोंमें दिनोंदिन वृद्धि हो रही है । ऐसी स्थितिमें सरकारके उपरोक्त आदेशके अनुसार हिंदुओंके सहस्रों मंदिर सरकारके नियंत्रणमें जाएंगे । कुछ मंदिरोंके विश्वस्तोंने भय व्यक्त किया है कि पहले ही सरकारके नियंत्रणमें गए शिर्डी, पंढरपुर, मुंबई एवं पश्चिम महाराष्ट्रमें स्थित अनेक मंदिरोंके आर्थिक भ्रष्टाचारके प्रकरण निरंतर उजागर हो रहे हैं । ऐसी स्थितिमें उपरोक्त मंदिर सरकारके नियंत्रणमें जानेसे भारी मात्रामें अराजकता आरंभ होगी ।

शासनके निर्णयको विभिन्न मंदिरोंद्वारा विरोध !

१. श्री. जयंत ससाणे, भूतपूर्व अध्यक्ष, श्री साइंबाबा संस्थान, शिर्डी :

‘‘ हम सरकारके निर्णयसे सहमत नहीं हैं । अनेक मंदिर एवं धार्मिक स्थलोंके विश्वस्त सुरक्षाका प्रबंध अकेले नहीं कर सकते । इसलिए स्थानीय पुलिस प्रशासन एवं धार्मिक स्थलोंके fवश्वस्तोंको एकत्र आकर सुरक्षाका प्रबंध कर चोरीयोंको रोकना होगा ।’’

२. श्री. रवींद्रन मन्ननूर, प्रमुख, केरलीय क्षेत्रपरिपालन समिति : ‘‘मंदिरोंकी तुलनामें  मस्जिद एवं चर्चको ही भारी मात्रामें सुरक्षा एवं सहायता करनेका काम सरकार करती  है । इसलिए मंदिरोंमें चोरीयां होनेकी संख्या बढ गई है । मंदिरकी चोरीके पीछे कौनसा गुट कारणीभूत है, इसका पता लगाकर उसे ध्वस्त करना चाहिए । मंदिरोंको कष्ट देनेकी कोई आवश्यकता नहीं है । सरकारकी इस भूमिकाके विरोधमें दक्षिण भारतके ५० बडे मंदिर संगठित होकर इसका विरोध करेंगे ।’’

३. श्री. गिरीष शहा, जैन मंदिरोंके समन्वयक : ‘‘यह तो सरकारद्वारा मंदिरके सरकारीकरणका षडयंत्र है । स्वयं गृहमंत्री कहते हैं कि बडे-बडे नगरोंमें आतंकवादके समान छोटी-छोटी घटनाएं होती ही हैं ’, तो मंदिरमें सीसीटीव्ही छायाचित्रक लगाए जानेपर भी चोरियां हो ही रही हैं । इसके लिए मंदिरोंके विश्वस्त उत्तरदायी कैसे ? चोरोंपर सरकारकी धाक जमना चाहिए । सरकार मंदिर सरकारीकरणका जो कारण बता रही है, वह एक दिखावा है । सरकारका अंतिम हेतु मंदिरोंका सरकारीकरण कर उन्हें अपने नियंत्रणमें लेना ही है ।

४. श्री. मंगलप्रभात लोढा, विधायक भाजप एवं प्रतिनिधि जैन मंदिर : ‘‘मंदिरोंमे सरकारकी ओरसे कोई हस्तक्षेप नहीं होगा, इसकी ओर ध्यान देंगे’’ ।
 

महाराष्ट्र सरकारकी हिंदुओंके मंदिरोंके धनपर वक्रदृष्टि !

सुरक्षाका प्रबंध न होनेके कारण मंदिरमें चोरी होनेपर संबंधित मंदिरका विश्वस्त मंडल निरस्त कर मंदिर नियंत्रणमें लेनेका महाराष्ट्र सरकारद्वारा लिया गया निर्णय अर्थात मंदिरोंका सरकारीकरण करनेका षडयंत्र है । मंदिरकी संपत्तिपर क्या चोरोंके साथ महाराष्ट्र सरकारकी वक्रदृष्टि है ? ऐसा प्रश्न हिंदुओंके मनमें उठा है । मुगलोंके समयमें हिंदुओंके मंदिरोंकी हुई लूट एवं वर्तमानमें सरकारद्वारा मंदिरोंका सरकारीकरण कर की जा रही लूटमें कोई अंतर नहीं है । हिंदुओंके मंदिर नियंत्रणमें लेनेकी वार्ता करनेवाली सरकार क्या मस्जिद एवं चर्चको नियंत्रणमें लेनेका साहस दिखाएगी ? सरकार अकार्यक्षम होनेके कारण जिसप्रकार राज्यमें स्त्रियोंपर बलात्कार, तथा उपद्रवोंकी संख्यामें वृद्धि हुई है, उसीप्रकार मंदिरोंमें होनेवाली  चोरीयोंकी संख्यामें भी वृद्धि हुई है । मंदिरमें होनेवाली चोरीयां रोकनेके लिए कडे कदम उठानेके स्थानपर मंदिरोंके विश्वस्तोंको अपराधी ठहरानेवाली एवं मंदिर नियंत्रणमें लेनेकी वार्ता करनेवाली सरकार, चोर-डकैतोंको रोक पाना असंभव है, एक प्रकारसे इस बातकी प्रत्यक्ष स्वीकृति दे रही है । इस प्रकार जनताकी सुरक्षाके विषयमें उदासीन सरकारद्वारा किए जानेवाले मंदिरके सरकारीकरणका हिंदु जनजागृति समितिद्वारा तीव्र विरोध है ।- हिंदु जनजागृति समिति

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात
 

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