‘राम शाकाहारी नहीं, मांसाहारी थे’ : जितेंद्र आव्हाड ने किया प्रभु श्रीराम का घोर अनादर

 बयान के खिलाफ भाजपा नेता ने पुलिस में की शिकायत

विरोध के बाद मांगी उपरी क्षमा

NCP (शरद गुट) के विधायक जितेंद्र आव्हाड के भगवान राम को मांसाहारी कहने पर हिन्दुओं के तीव्र विरोध के बाद उन्होंने क्षमा मांग ली है। शिर्डी में कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान आव्हाड ने मीडिया से कहा – ‘यदि किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची हो तो मैं खेद व्यक्त करता हूं। वे चुनाव के लिए श्रीराम को ला रहे हैं, लेकिन हमारे राम हमारे दिलों में हैं।’

आव्हाड ने कहा कि, सच कितना भी कड़वा क्यों न हो, जनभावनाओं को ध्यान में रखकर मैं खेद व्यक्त कर रहा हूं, यही हमें हमारे शरद पवार साहब ने सिखाया है!

क्षमा मांगने से पहले उनके खिलाफ राज्य में कई जगह प्रदर्शन किया गया। BJP नेता राम कदम ने आव्हाड के खिलाफ मुंबई के घाटकोपर पुलिस स्टेशन में शिकायत तक दर्ज करा दी है।

दरअसल, ​​​​​​आव्हाड ने धवार (3 जनवरी) को शिर्डी में पत्रकारों से कहा था, ‘राम हमारे हैं, बहुजनों के हैं। भगवान राम शिकार करके खाते थे। हम भी श्री राम के आदर्शों पर चल रहे हैं। राम को आदर्श बताकर लोगों पर शाकाहारी खाना थोपा जा रहा है।’

इतिहास को विकृत करना मेरा काम नहीं है। लेकिन मैंने कल जो कहा वह बार-बार दोहराया गया। राम, भगवान श्रीराम, जिन्हें हम महाराष्ट्र में पांडुरंग हरि कहते हैं। उस राम के बारे में बात करते हुए मैंने कहा कि वह मांसाहारी थे।

मैंने बिना स्टडी के कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन मैं कहता हूं, आजकल पढ़ाई नहीं, भावनाएं महत्वपूर्ण हैं। इस पर मैं कहूंगा- यदि कल के मेरे बयान से किसी की भावनाएं आहत हुई हों तो मुझे खेद है।

आव्हाड एक झूठा व्यक्ति : आचार्य सत्येन्द्र दास, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य पुजारी

जितेंद्र आव्हाड के बयान पर भड़कते हुए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा- “एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड जो बोल रहे हैं वह पूरी तरह से झूठ है। हमारे धर्मग्रंथों में कहीं भी नहीं लिखा है कि भगवान रान ने वनवास के दौरान मांसाहार का सेवन किया था। धर्मग्रंथों के अनुसार वह फल का सेवन करते थे। ऐसे झूठे व्यक्ति को हमारे भगवान राम का अपमान करने का कोई अधिकार नहीं है, हमारे भगवान हमेशा शाकाहारी थे। आव्हाड हमारे भगवान राम का अपमान करने के लिए अपमानजनक शब्द बोल रहे हैं।

स्रोत : भास्कर

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