हम सनातन धर्म के लिए एकत्र आने हेतु तैयार हैं, यह दिखा देने का समय है – रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

हिन्दू जनजागृति समिति के ‘मैं सनातन धर्मरक्षक’ अभियान के अंतर्गत रत्नागिरी में व्याख्यान

श्री. रमेश शिंदे

रत्नागिरी (महाराष्ट्र)  – ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’की (संपूर्ण पृथ्वी ही कुटुंब है) सीख देनेवाला एकमेव धर्म है ‘सनातन धर्म’ ! इस ‘सनातन धर्म’ को नष्ट करने के लिए अनेक लाेग जीतोड प्रयत्न कर रहे हैं । ऐसी परिस्थिति में धर्म की ओर से खडे रहना, यही हमारा कर्तव्य है । छत्रपति शिवाजी महाराजजी को भी अपने ही लोगों से लडना पडा था । ‘सनातन धर्म’ नष्ट करना, यह वामपंथी लोगों का षड्यंत्र अब समाज को, इसके साथ ही अगली पीढी को समझना चाहिए । इस विषय में आज जागृति नहीं की, तो कल देश का भविष्य जिनके हाथों में है, अपनी ही वह पीढी ‘जे.एन्.यू.’में जाकर ‘भारत तेरे टुकडे होंगे !’ ऐसे नारे लगाएगी । भविष्य का यह चित्र बदलने के लिए हमें एकत्र आना चाहिए । सनातन धर्म के लिए हम एकत्र आने के लिए तैयार हैं, यह दिखाने का अब समय आ गया है, ऐसा आवाहन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने किया ।

समिति की ओर से ‘मैं सनातन धर्मरक्षक’ अभियान सर्वत्र चल रहा है । इस निमित्त से शहर के अंबर सभागृह में आयोजित व्याख्यान में श्री. रमेश शिंदे बोल रहे थे । सूत्रसंचालन श्री. महेश लाड ने किया । इस कार्यक्रम में २५० धर्मप्रेमी उपस्थित थे ।

उपस्थित धर्मप्रेमी

श्री. रमेश शिंदे आगे बोले,

१. सौ करोड हिन्दुओं के देश में ‘सनातन धर्म’ नष्ट करनेवालों के विरोध में हमें कम से कम कानून का उपयोग कर विरोध प्रकट करना चाहिए । यदि सर्वाेच्च न्यायालय ने कहा कि यह गलत है, तो हमें कम से कम अपराध तो प्रविष्ट करना चाहिए । इस दृष्टिकोण से हम शीघ्र ही एकत्र आने का नियोजन कर रहे हैं ।

२. निखिल वागळे, जितेंद्र आव्हाड ने सनातन धर्म नष्ट करने के विषय में किए गए वक्तव्य का समर्थन किया । उसके विरोध में उन पर परिवाद (शिकायत) प्रविष्ट होना चाहिए । इसे प्रविष्ट करने के लिए हिन्दुओं को भारी संख्या में पुलिस थाने के सामने एकत्र होना चाहिए, जिससे पुलिस को लगे कि अब अपराध प्रविष्ट करना ही होगा ।

३. हिन्दुत्व के टुकडे करके उसे नष्ट करने के लिए ‘डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व’ इस नाम से एक परिषद का आयोजन किया गया था । इस परिषद में ‘हिन्दू धर्म कैसे समाप्त करना है ?’ इस विषय में बताया । सौभाग्यवश हिन्दू समाज जागृत था, इसलिए विरोध शुरू हो गया । तब इन लोगों ने कहा, ‘हम हिन्दू धर्म के विषय में बात नहीं कर रहे, अपितु संघ, भाजपा और सावरकर के हिन्दुत्व के विषय में बोल रहे हैं । हम हिन्दू धर्म के विरोध में नहीं, अपितु हिन्दुत्व के विरोध में हैं ।’ ध्यान रहे कि ‘जहां माता है वहां मातृत्व’, ‘पिता है वहां पितृत्व’, ‘दाता है वहां दातृत्व है’, फिर ‘हिन्दू है तो वहां हिन्दुत्व’ आएगा ही न ! वह अलग कैसे होगा ?

उपस्थित धर्मप्रेमी

४. हमारे यहां भक्त प्रल्हाद के लिए भगवान ने अवतार लिया । केवल एक व्यक्ति के लिए भी अवतार लेनेवाले भगवान का धर्म नष्ट करनेवाले ये हैं कौन ? काल की आहट पहचानते हुए हम सभी को सनातन धर्मरक्षक बनना चाहिए ।

५. साम्यवादी लोगों का जो चेहरा सामने आया है, उससे ध्यान में आता है कि जो सामने दिखाई देते हैं केवल उतने ही शत्रु नहीं होते । उनके पीछे विषैली विचारधारा देनेवाले लोग ही वास्तव में सनातन धर्म के विरोध में कार्य कर रहे हैं ।

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