हिंदु राष्ट्र की स्थापना धार्मिक उन्माद नहीं – रणजित सावरकर, कार्याध्यक्ष, स्वा. सावरकर राष्ट्रीय स्मारक

सभा के लिए २ हजार से भी अधिक हिन्दुओं की उपस्थिति !

सभा के प्रारंभ में दीपप्रज्वलन करते हुए श्री. रणजीत सावरकर, श्री. अभय वर्तक, श्री. सुनील घनवट एवं डॉ. (श्रीमती) दीक्षा पेंडभाजे

पनवेल – यहां हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित की गई हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा का प्रारंभ शंखनाद से हुआ । व्यासपीठ पर हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट, रणरागिणी शाखा के मुंबई समन्वयक डॉ. (श्रीमती) दीक्षा पेंडभाजे एवं सनातन संस्था के धर्मप्रचारक श्री. अभय वर्तक भी उपस्थित थे ।

मान्यवरों के हस्तों दीपप्रज्वलन हुआ । पुरोहित सर्वश्री आदित्य दुबे, सुशील उपाध्याय, रविरंजन तिवारी के वेदमंत्रपठन करने पर सभा का प्रारंभ हुआ । श्री. सुनील कदम ने हिन्दू जनजागृति समिति के कार्य का ब्योरा प्रस्तुत किया । सूत्रसंचालन श्री. प्रसाद वडके ने किया । इस अवसर पर भाजप, शिवसेना ठाकरे गुट, शिवसेना शिंदे गुट, मनसे के पक्षों सहित विविध हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता, उद्योजक, अधिवक्ता, इसके साथ ही विविध क्षेत्रों के मान्यवर उपस्थित थे । इस अवसर पर पनवेलवासियों ने हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य के लिए समय देने का निर्धार किया ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए साधना कर उपासना की शक्ति बढाएं ! – अभय वर्तक, प्रचारक, सनातन संस्था

आज भारतभर के हिन्दू राष्ट्र की मांग क्यों कर रहे हैं ? हिन्दुओं की गत अनेक पीढियों ने मार खाई है, इसलिए हिन्दू आज जागृत हो गए हैं । सरकारी अनुदानित विद्यालयों में धार्मिक शिक्षा को अनुमति नहीं; मात्र अल्पसंख्यकों के विद्यालयों में धार्मिक शिक्षा दी जाती है । आज अंग्रेजी भले ही नहीं आती, तब भी विश्व के किसी भी देश का कोई काम अडता नहीं । मंदिरों के पैसों का उपयोग करने के लिए सरकार ने उन्हें अपने नियंत्रण में लिया है । आज धर्म आपसे समय मांग रहा है । भारत के १०० करोड हिन्दू रास्ते पर उतरेंगे, तब हिन्दू राष्ट्र आएगा; परंतु हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए हिन्दुओं के संगठन के साथ आध्यात्मिक सामर्थ्य की भी आवश्यकता है । उसके लिए हिन्दुओं को उपासना की शक्ति बढाने की आवश्यकता है ।

प्रत्येक हिन्दू स्त्री को धर्माचरण के साथ स्वसुरक्षा प्रशिक्षण लेना आवश्यक ! – डॉ. (श्रीमती) दीक्षा पेंडभाजे

ईश्वर, देश एवं धर्म के लिए स्त्रीशक्ति का योगदान प्रत्येक युग में प्राप्त हुआ है । कलियुग में मात्र इसी मातृशक्ति को अपनी रक्षा के लिए लडना पड रहा है । आज के धर्मनिरपेक्ष भारत में स्त्री सुरक्षित नहीं, यह सत्य है । ऐसा होते हुए भी प्रत्येक चुनौती का सामना करने की अंतःप्रेरणा अब भी हमारी धमनियों में बह रही है, महिलाएं यह कदापि न भूलें । लव जिहाद जैसे संकट आज हिन्दुओं की जडों को काटने हेतु तत्पर हैं । उसका सामना करने के लिए हिन्दू स्त्रियों को इतिहास से प्रेरणा लेकर धर्माचरण के साथ ही स्वरक्षा प्रशिक्षण लेना भी आवश्यक है ।

इस्लामी, ईसाई, धर्मनिरपेक्ष या फिर हिन्दू राष्ट्र चाहिए ?, यह निर्धारिक करने का समय आ चुका है ! – सुनील घनवट, राज्य संगठक, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ, हिन्दू जनजागृति समिति

भारत में १४ प्रतिशत मुसलमानों की मांगों के लिए ८० प्रतिशत हिन्दू समाज को बलपूर्वक हलाल उत्पाद बेचे जा रहे हैं । भारतीयों की वंशपरंपरागत भूमि वक्फ कानून के नाम पर भारी मात्रा में हडप ली जा रही है । वर्ष २०४७ तक भारत को इस्लामी देश बनाने का जिहादियों का षड्यंत्र है । औरंगजेब, अफजलखान का उदात्तीकरण रोके बिना वास्तविक इतिहास ध्यान में नहीं आएगा । प्रत्येक गढ-किले को इस्लामी अतिक्रमण से मुक्त किए बिना आंदोलन नहीं रुकेगा । इतिहासद्रोह करनेवालों पर कठोर कार्रवाई होने हेतु कानून बनाना चाहिए । डेढ-दो वर्ष के काल में १ लाख हिन्दुओं का धर्मपरिवर्तन किया गया । उसके लिए हिन्दू धर्मप्रचारक तैयार होना आवश्यक है । ये सभी संकट हिन्दू धर्म को नष्ट करना चाहते हैं । अब हमें इस्लामी, ईसाई, खलिस्तानी, धर्मनिरपेक्ष अथवा हिन्दू राष्ट्र ? यह निर्धारित करने का समय आ चुका है !

मुंबई मुसलमानों के नियंत्रण में चली गई है ! – सावरकर

आज हिन्दुओं की उपासना पर रोक लगाई जाती है । इसलिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना की आवश्यकता है । मुंबई सहित भारत में ५ सहस्र छोटे पाकिस्तान हैं । मुंबई मुसलमानों के नियंत्रण में चली गई है । दादर में रास्ते को लगकर ही टैक्सीचालक, कबाडीवाले, इलेक्ट्रिक का काम करनेवाले, बढई बहुसंख्या में मुसलमान हैं ।

वर्ष १९४७ में जो गलती हुई, वह वर्ष २०४७ में पुन: न होने दें ! – रणजीत सावरकर

भारत में ‘राष्ट्र’ की संकल्पना अस्तित्व में नहीं थी, ऐसा गलत इतिहास हमें सिखाया गया है । भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहलाल नेहरू ने भी इसे प्रोत्साहित किया । आज भी वही इतिहास हमें सिखाया जा रहा है । महाभारत ५ सहस्र वर्षों पूर्व हुआ है । उस समय भीष्माचार्य ने युधिष्ठिर को ३०० पीढियों का इतिहास बताया । इसे वैज्ञानिक आधार होते हुए हिन्दुओं का यह दैदिप्यमान इतिहास छिपाया जा रहा है । राष्ट्र का इतिहास छिपाने से राष्ट्राभिमान नष्ट कर सकते हैं, यह अंग्रेजों की कुटनीति थी । हिन्दू राष्ट्र की पुनर्स्थापना करते समय भारत का दैदिप्यमान इतिहास समझाकर बताना चाहिए । धर्मांधता का उन्माद एवं लूट की लालसा के कारण जगत की अनेक सत्ताएं नष्ट हो गईं । भारत पर भी उसका दुष्प्रभाव पडा । जो चूक वर्ष १९४७ में हुई, वह वर्ष २०४७ में पुन: न होने दें, ऐसा आवाहन रणजीत सावरकर ने किया ।

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